स्वचालित इंटरलाकिग सिस्टम से एशिया का सबसे बड़ा यार्ड लैस
जागरण संवाददाता पीडीडीयू नगर (चंदौली) एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड स्वचालित इंटरलाकि
जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड स्वचालित इंटरलाकिग सिस्टम से लैस हो गया है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल वर्तमान में हर क्षेत्र में परचम लहरा रहा है। मार्च तक गंजख्वाजा से लेकर चिरैलापाथुर तक डीएफसीसी का काम पूरा कराने का लक्ष्य है। अभी 130 किमी प्रति घंटा के रफ्तार से ट्रेनें चल रही हैं। आरआरआइ सिग्नल प्रणाली से मंडल के सभी स्टेशन लैस हो गए हैं। सभी ट्रेनों में एलएचबी कोच लगा दी गई है। भूकंप रोधी अत्याधुनिक आरआरआइ (रूट रिले इंटरलाकिग) बिल्डिग का निर्माण हो रहा है। बिल्डिग के बनकर तैयार होने के बाद मंडल के लिए यह एक बड़ी उपब्लधि होगी।
गुरुवार को पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर जोन के महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी ने डीआरएम सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता में दी। जीएम ने बताया कि पीडीडीयू जंक्शन का यार्ड लगभग 12 किलोमीटर लंबा है। इतना बड़ा यार्ड विश्व में कहीं नहीं है। यार्ड को स्वचालित इंटरलाकिग सिस्टम से लैस करने से ट्रेनों के परिचालन में बाधा नहीं आएगी। वर्तमान में सबसे अधिक जोर डेटीकेटेड फ्रेट कारिडोर के कार्य पर दिया जा रहा है। युद्धस्तर पर कार्य कराया जा रहा है। गंजख्वाजा से चिरैलापाथुर तक काम पूरा होने के बाद ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा। बताया कि गया में बन रहा मेमू शेड भी पीडीडीयू मंडल की बड़ी उपब्लधि है। डीआरएम राजेश कुमार पांडेय, डीएफसीसी महाप्रबंधक अजित मिश्रा, एडीआरएम प्रथम राकेश रोशन, एडीआरएम द्वितीय अतुल कुमार, सीनियर डीसीएम रूपेश कुमार, कमांडेंट आशीष मिश्रा, सीनियर डीओएम सुधांशु रंजन, सीनियर डीएमई गौरव कुमार, सीनियर डीपीओ अजीत कुमार, डीसीएम इकबाल अहमद, सीनियर डीएसटी बीके यादव शामिल थे। अप्रैल तक पटरी पर आ जाएगा परिचालन
कोरोना काल में बेपटरी हुआ परिचालन अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह तक पटरी पर आ जाएगा। अब कोरोना का प्रकोप कम होने लगा है। ऐसे में यात्रियों की संख्या बढ़ने लगी है। यात्रियों की सुविधा के लिए सभी ट्रेनों को चलाने की रणनीति बनाई जा रही है। भविष्य में अगर सब ठीक रहा तो ट्रेनें फर्राटा भरती दिखेंगीं। महिलाओं के लिए अलग से होंगे कोच
ट्रेन में महिलाएं सुरक्षित यात्रा कर सकें, इसके लिए कई कार्य किए गए हैं। आरपीएफ की माई सहेली इसकी मुख्य कड़ी है। अकेली महिलाओं को गंतव्य तक पहुंचाना रेलवे की जिम्मेदारी है। इसीलिए ट्रेनों में महिलाओं के लिए अलग से कोच लगाएं जाएंगे। इस कोच में महिलाओं के अलावा किसी और को यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी।