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    पागल कुत्ता काटने के एक माह बाद इलेक्ट्रीशियन में दिखे रेबीज के लक्षण, कई जगह इलाज कराने पर भी नहीं हुआ सुधार, मौत

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 07:13 PM (IST)

    Bulandshahr News बुलंदशहर के अमरगढ़ गांव में एक महीने पहले पागल कुत्ते के काटने से 45 वर्षीय इलेक्ट्रीशियन की मौत हो गई। कुत्ते ने कई अन्य ग्रामीणों को भी काटा था। इलेक्ट्रीशियन ने सरकारी अस्पताल के बजाय झोलाछाप से इलाज करवाया जिससे उसकी हालत बिगड़ गई। रेबीज के लक्षण दिखने पर उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।

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    पागल कुत्ते के काटने से इलेक्ट्रीशियन की मौत (प्रतीकात्मक फोटो)

    संवाद सूत्र, जागरण, ऊंचागांव (बुलंदशहर)।  ऊंचागांव क्षेत्र के गांव अमरगढ़ में पागल कुत्ते के काटने के एक माह बाद 45 वर्षीय इलेक्ट्रीशियन की मौत हो गई। ग्रामीण ने सरकारी अस्पताल जाने के बजाए झोलाछाप के यहां एआरवी लगवाई थी। रेबीज से मौत होने पर पागल कुत्ते के शिकार हुए गांव के अन्य चार लोगों में बीमारी को लेकर बेचैनी है।

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    अमरगढ़ गांव निवासी अंकुर ने बताया कि उनके पिता 45 वर्षीय सरदार पुत्र गोपाल गांव में ही इलेक्ट्रीशियन का काम करते थे। सात सितंबर को सरदार खेतों से घर जा रहे थे। तभी शकरपुर गांव की तरफ से आए कुत्ते ने उसके ऊपर हमला कर दिया। कुत्ते ने दोनों हाथों पर कोहनी से ऊपर और पैरों में काट लिया। ग्रामीणों ने लाठी और डंडों से उन्हें बचाया। कुत्ता लार गिरा रहा था और उसकी पूंछ भी गिरी थी। वह भी रुक भी नहीं रहा था और पानी को देखकर डर रहा था।

    इससे स्पष्ट हो गया था कि कुत्ता पागल है। इसके बाद ग्रामीणों ने कुत्ते को घेरकर मार डाला। पागल कुत्ते ने सरदार के अलावा गांव निवासी सुमित पुत्र विजेंद्र, जीतू पुत्र लेखराज, मीनू पुत्री सुखपाल, मनवीर पुत्र रामशरण सिंह को भी काटा था। घायल इलेक्ट्रीशियन सरकारी अस्पताल जाने के बजाए अमरगढ़ गांव में ही झोलाछाप के यहां पहुंचे और वैक्सीन लगवाई। इसके बाद वह नौ सितंबर को सीएचसी ऊंचागांव पर पहुंचे और एआरवी लगवाई। 

    सीएचसी पर उसने एआरवी लगवाई, लेकिन एआरएस इलेक्ट्रीशियन को नहीं लगी। एआरवी के कोर्स के दौरान ही उसके शरीर में खुजली होने लगी। शरीर में बैचेनी होने पर स्वजन उसे जहांगीराबाद के एक निजी चिकित्सक के पास ले गए और इलाज कराकर घर ले आए। इसके बाद दो अक्टूबर को इलेक्ट्रीशियन में रेबीज के लक्षण दिखाई देने लगे।

    सरदार पानी को देखकर डरने लगा और मुंह से झाग आने लगे थे। पिछले पांच अक्टूबर से उसने खाना पीना छोड़ दिया। सात अक्टूबर को हालत बिगड़ने पर उसे सीएचसी ऊंचागांव ले जाया गया। वहां पता चला कि महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवकाश चलते चिकित्सक नहीं है। इसके बाद स्वजन उन्हें निजी चिकित्सक के पास ले गए। 

    निजी चिकित्सक ने हालत गंभीर देखकर जिला अस्पताल भेज दिया। रेबीज फैलने के कारण जिला अस्पताल से दिल्ली के लिए रेफर कर दिया गया। स्वजन बुधवार सुबह दिल्ली ले जाने का विचार बनाकर वापस घर ले आए। मंगलवार रात को सरदार ने दम तोड़ दिया।

    सीएचसी प्रभारी डा. शोवीर सिंह ने बताया कि सरदार ने पागल कुत्ता के काटने के बाद पहली डोज बाहर और एआरवी की तीन डोज अस्पताल पर लगवाई। पागल कुत्ता द्वारा काटे गए अन्य लोगों की जांच कराई जा रही है। जिला सर्विलांस अधिकारी डा. रमित सिंह का कहना है कि गुरुवार को टीम भेजकर रेबीज से मरने व्यक्ति के परिवार, आसपास के लोग और कुत्ता काटे के अन्य मरीजों की जांच कराई जाएगी।