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    बच्चों में टीबी के लक्षण की पहचान व उपचार चुनौतीपूर्ण कार्य

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 29 Nov 2021 10:29 PM (IST)

    जेएनएन बुलंदशहर जिला अस्पताल परिसर स्थित जिला क्षय रोग विभाग द्वारा टीबी ग्रस्त बच्चों को निक्षय पोषण योजना के तहत पोषण किट वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें टीबी से ग्रस्त 10 बच्चों को पोषण किट का वितरण किया।

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    बच्चों में टीबी के लक्षण की पहचान व उपचार चुनौतीपूर्ण कार्य

    जेएनएन, बुलंदशहर : जिला अस्पताल परिसर स्थित जिला क्षय रोग विभाग द्वारा टीबी ग्रस्त बच्चों को निक्षय पोषण योजना के तहत पोषण किट वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें टीबी से ग्रस्त 10 बच्चों को पोषण किट का वितरण किया। जिला क्षय रोग विभाग द्वारा निक्षय पोषण योजना के तहत पोषण किट वितरण कार्यक्रम का शुभारंभ सीएमओ डा. विनय कुमार सिंह ने शून्य से 18 वर्ष की आयु के टीबी ग्रस्त बच्चों को पोषण किट का वितरण किया। पोषण किट में चना, गुड़, बादाम, दलिया, सेव व केला शामिल रहा। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का केंद्र सरकार का संकल्प है। इसी को ध्यान में रख डीएम व सीडीओ तथा सीएमओ ने टीबी ग्रस्त 10 बच्चों को पिछले दिनों गोद लिया था। जिससे इन बच्चों को पोषणयुक्त आहार मिल सके। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. सीपीएस गौतम ने कहा कि बच्चों में टीबी के लक्षण जान पाना और इलाज करवाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। बच्चों में वयस्क की तुलना में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है। बच्चे को शाम के समय हल्का बुखार होना, कमजोरी होना, वजन कम होना टीबी के लक्षण हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने, खसरा होने, टायफाइड होने एवं पौष्टिक आहार नहीं मिलने पर टीबी होने की आशंका बढ़ जाती हैं। दिमागी टीबी होने पर रोगी को बुखार, एक अंग का काम नहीं करने, बेहोशी छाने जैसे लक्षण पाएं जाते हैं। जबकि फेफड़ों की टीबी होने पर रोगी की पसली चलने, तेज बुखार होने, सांस तेज चलने, तेज खांसी होने जैसे लक्षण होते हैं। जबकि गांठ वाली टीबी में गले, बगल में गांठ पड़ जाती है। इसमें दर्द होता है। ऐसी स्थिति में जांच अवश्य करानी चाहिए। नियमित दवा और परहेज से टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। उपचार के साथ-साथ मरीज को खान-पान का विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। टीबी रोगी को पौष्टिक आहार दें, फास्ट फूड से परहेज करें। यदि परिवार में कोई सदस्य टीबी से ग्रस्त है, तो परिवार के सभी सदस्यों की जांच करा कर दवा लें। नियमित रूप से दवा का सेवन करें। इस दौरान जिला क्षय रोग विभाग का स्टाफ मौजूद रहा।

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