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    यूपी के इस जिले में तीन साल बाद मिला स्क्रब टाइफस का केस, समय पर इलाज न होने पर जानलेवा है यह रोग, ऐसे करें बचाव

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 05:40 PM (IST)

    Bulandshahr News बुलंदशहर में तीन साल बाद स्क्रब टाइफस का मामला सामने आया है। सिकंदराबाद के एक श्रमिक का दो साल का बच्चा इस बीमारी से ग्रस्त पाया गया है जिसका इलाज कासना के एक अस्पताल में चल रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है और आसपास के क्षेत्रों में जांच शुरू कर दी है।

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    बुलंदशहर में तीन साल बाद स्क्रब टाइफस का केस मिला (सांकेतिक फोटो)

    जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। Scrub Typhus case in Bulandshahr जिले में तीन साल बाद चूहों के कारण होने वाली स्क्रब टाइफस की बीमारी का मरीज मिला है। स्क्रब टाइफस पाजिटिव मरीज सिकंदराबाद औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले श्रमिक का दो वर्षीय बेटा है। बच्चे का इलाज गौतमबुद्धनगर के कासना स्थित काशीराम अस्पताल से चल रहा है। मरीज मिलने की रिपोर्ट एडी आफिस और शासन को भेज दी गई है।

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    दस दिन पहले बच्चे को आया था बुखार

    बिहार के पटना निवासी युवा सिकंदराबाद औद्योगिक क्षेत्र की निजी कंपनी में नौकरी करते हैं। उनका परिवार सिकंदराबाद के मुहल्ला सलेमपुर कायस्थ में रहता है। दस दिन पहले उनके दो वर्षीय बेटे को बुखार आया। पहले दिन घर पर पैरासिटामोल की गोली दी। बुखार न मिलने पर चिकित्सक को दिखाया। चार दिन तक बुखार न उतरने पर एक निजी अस्पताल में चिकित्सक के उपचार कराया। इसके बाद गौतमबुद्धनगर जनपद के कासना स्थित काशीराम हास्पिटल लेकर पहुंचे। 

    जांच में स्क्रब टाइफस की हुई पुष्टि

    यहां चिकित्सकों ने लक्षण देखने के बाद कई तरह की जांचें कराई। जांच में स्क्रब टाइफस नामक बीमारी की पुष्टि हुई। अब चार दिन से बच्चे की हालत में सुधार है। स्वास्थ्य में सुधार होने पर चिकित्सकों ने बच्चे को डिस्चार्ज कर दिया। अब दो दिन से बच्चे का घर पर ही दवाएं ले रहा है।

    गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की सलेमपुर कायस्थ मुहल्ला जाकर बच्चे के स्वजन और आसपास के घरों के लोगों के स्वास्थ्य की जांच करेगी।

    चिकित्सकों का कहना है कि स्क्रब टाइफस की बीमारी चूहों के बालों व कानों में पाए जाने वाले पिस्सू से होती है। इस बीमारी का लिंक खोजने के लिए टीम अलग-अलग हिस्सों से पिंजरे लगवाकर चूहे पकड़वाएगी। 

    बैक्टीरिया के कारण होने वाली गंभीर बीमारी

    सीडीसी सेंट्रल आफ डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक स्क्रब टाइफस ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाली गंभीर बीमारी है। स्क्रब टाइफस संक्रमित चिगर्स (लार्वा माइट्स) के काटने से इंसानों में फैलता है। इस रोग को बुश टाइफस के नाम से भी जाना जाता है। जिन स्थानों में यह संक्रमण हो वहां रहने वाले या वहां की यात्रा करने वाले लोगों में संक्रमण का खतरा हो सकता है। यदि समय पर इस रोग का इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। सीएमओ ने बताया कि चूहे पकड़वाने के लिए संबंधित विभाग से संपर्क किया जाएगा।

    104 तक आता है बुखार

    स्क्रब टाइफस संक्रमित व्यक्ति को 103 से 104 तक बुखार आता है। सामान्य एंटीबायोटिक से बुखार नहीं उतरता है। मरीज को हास्पिटल में भर्ती ही करना पड़ता है। संक्रमित व्यक्ति का यदि समय पर इस रोग का इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। स्क्रब टाइफस से बचाव के लिए अभी तक कोई टीका उपलब्ध नहीं है।

    ऐसे करें बचाव

    डिप्टी सीएमओ डा. हरेंद्र सिंह बंसल के अनुसार संक्रमित के संपर्क से बचकर रहना उचित होता है। जंगलों और झाड़ वाले इलाकों में यह कीड़े अधिक हो सकते हैं, ऐसे में ऐसी जगहों पर जाने से बचें। यदि आपको कोई भी कीड़ा काट ले तो तुरंत साफ पानी से उस हिस्से को धोकर एंटीबायोटिक दवाएं लगा लें। ऐसे कपड़े पहनें जिससे हाथ और पैर अच्छी तरीके से ढके रह सकें।

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