यूपी के इस जिले में हर साल करीब एक लाख लोगों को काट रहे आवारा कुत्ते, हर गली व मुहल्ले में है इनका आतंक
Bulandshahar News बुलंदशहर में आवारा कुत्तों का आतंक जारी है जिससे हर महीने हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार प्रतिमाह लगभग 7800 लोगों पर कुत्ते हमला करते हैं। नगरपालिका की ओर से प्रभावी कदम नहीं उठाए जाने के कारण स्थिति गंभीर बनी हुई है। एंटी रेबीज वैक्सीन पर लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं।

जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। शीर्ष अदालत के आदेश पर नगरपालिका आवारा आतंक की रोकथाम के लिए विचार तो कर रही है, लेकिन अभी धरातल पर काम शुरू नहीं हुआ है। यही कारण है कि जिले में शहर से देहात तक आवारा कुत्तों की समस्या बढ़ती जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जिले में प्रतिमाह लगभग 7800 लोगों पर कुत्ते हमला करते हैं। इसमें सात हजार लोग आवारा कुत्तों के हमले के घायल होते हैं।
हर माह लगाई जाती है 12 हजार घायलों को मुफ्त एआरवी
जिले में जिला अस्पताल, 13 सीएचसी और पांच ब्लाक स्तरीय पीएचसी पर प्रतिमाह कुत्ते समेत अन्य जानवरों के काटने के लगभग 12 हजार घायलों को मुफ्त में एआरवी (एंटी रेबीज वैक्सीन) लगाई जाती है। इसमें आवारा और पालतू कुत्ते, बंदर, बिल्ली, नेवला, गीदड़, गधा और घोड़ा आदि जानवरों के काटे मरीज होते हैं। इनमें कुत्ते काटे के 7800 मरीज होते हैं, जिसमें पालतू कुत्ते के काटने वाले सात सौ और आवारा कुत्ते के दांत लगने वाले 7000 हजार मरीज होते हैं।
कल्याण सिंह राजकीय मेडिकल कालेज से संबद्ध जिला अस्पताल की ओपीडी में कुत्ता काटने वाले मरीज सुबह आठ बजे ही पहुंचना शुरू हो जाते हैं। दोपहर दो बजे ओपीडी समाप्त होने तक मरीज पहुंचते रहते हैं। वर्तमान में प्रतिदिन 180 से 190 मरीजों को एआरवी लगाई जा रही है। इसमें औसतन 140 से 150 मरीज पहली डोज लगवाने होते हैं।
प्रतिमाह होता है 25 लाख रुपए का खर्चा
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी स्वयं मानते हैं कि यह एक गंभीर समस्या है, क्योंकि एआरवी पर वैक्सीन, सिरिंज और स्टाफ के वेतन समेत प्रतिमाह लगभग 25 लाख रुपए खर्च होते हैं। पिछले माह 27 जून को खुर्जा के गांव फराना निवासी 22 वर्षीय कबड्डी खिलाड़ी की रेबीज से मौत हो गई थी। मौत होने से लगभग दो माह पहले खिलाड़ी को गांव में एक पिल्ले ने काट लिया था। सीएमओ डा. सुनील कुमार दोहरे का कहना है कि कोई भी जानवर काटे तुरंत एआरवी लगवाएं। समय से एआरवी लगती है तो रेबीज का खतरा न के बराबर रह जाता है।
जल्द बनेगा आश्रय स्थल, कुत्तों का बधियाकरण भी होगा
दो साल पहले आवारा कुत्तों की नसबंदी करने का काम शुरू भी हुआ तो कुछ माह चलने के बाद बंद कर दिया गया। इस दौरान लगभग दो हजार कुत्तों की नसबंदी की गई। अब कोर्ट का आदेश आया है तो बोर्ड बैठक में टेंडर रखने की तैयारी की जा रही है।
पालिका के अधिशासी अधिकारी डा. अश्विनी कुमार सिंह का कहना है कि आवारा कुत्तों को पकड़ आश्रय गृह में रखा जाएगा। इसके लिए शिकारपुर बाइपास रोड स्थित चीरघर के पास जल्द आश्रय गृह बनाया जाएगा।
शहर से देहात तक आवारा कुत्तों का आतंक है। छोटे बच्चे गली से सड़क तक स्कूल की बस में बैठने आते हैं तो अभिभावक साथ आते हैं, क्योंकि डर रहता है कि कहीं आवारा कुत्ते बच्चों को काट न लें।
थर्ड डिग्री बाइट वाले मरीजों को लग रही एआरएस
जिन मरीजों के कुत्ते के दांत गहरे लगे हों या फिर गर्दन के ऊपर काटा हो तो एआरवी के साथ ही एआरएस (एंटी रेबीज सीरम) भी लगाना पड़ता है। जिला अस्पताल में मरीजों को एआरएस की सुविधा दी जा रही है।
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