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    यूपी के इस जिला अस्पताल की डायबिटीज व कोलेस्ट्राल जांच में 'गड़बड़', निजी लैब के मुकाबले मिला बड़ा अंतर, मरीज परेशान

    Updated: Thu, 02 Oct 2025 04:49 PM (IST)

    Bulandshahar News बुलंदशहर के जिला अस्पताल में जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी सामने आई है जिससे मरीज परेशान हैं। सरकारी और निजी लैब की रिपोर्ट में डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में अंतर पाया गया है। इससे मरीजों को दी जाने वाली दवा की मात्रा में गड़बड़ी की आशंका है।

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    जिला अस्पताल की पैथोलाजी लैब की जांच में अंतर

    जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। कहने के लिए जिला अस्पताल मेडिकल कालेज के अस्पताल में समाहित हो गया है, लेकिन उपचार और जांच का स्तर लगातार गड़बड़ा रहा है। जिला अस्पताल की पैथोलाजी लैब में कराई गई डायबिटीज और कोलेस्ट्राल की रिपोर्ट में बड़ा अंतर आ रहा है। इससे मरीज परेशान हैं। रिपोर्ट सही नहीं होगी तो मरीज की दवा की डोज भी सही नहीं मिल पाएगी।

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    शहर के नुमाइश रोड निवासी मनोज ने बताया कि वह डायबिटीज के मरीज हैं। 25 सितंबर को उन्होंने कल्याण सिंह राजकीय मेडिकल कालेज से संबद्ध जिला अस्पताल की पैथोलाजी लैब में डायबिटीज की तीन माह वाली एचबीए-1 सी जांच व कोलेस्ट्राल की जांच कराई। यहां डायबिटीज की एचबीए-1 सी रिपोर्ट 10.1 आई और कोलेस्ट्राल 239 आई। दोनों जांच रिपोर्ट को चिकित्सक को दिखाया तो लक्षण देखने के बाद संदेह हुआ। इसके बाद निजी पैथोलाजी लैब पर दोबारा से सैंपल देकर जांच कराई। निजी पैथोलाजी लैब की रिपोर्ट में डायबिटीज की एचबीए-1सी 7.9 और कोलेस्ट्राल 185.6 आई। इसके अलावा शहर के भूड़ निवासी राजेश ने बताया कि उनकी जांच रिपोर्ट सरकारी अस्पताल की लैब पर एचबीए-1 सी रिपोर्ट सात आई, जबकि निजी पैथोलाजी लैब पर रिपोर्ट कराने पर 5.5 आई, यानी डायबिटीज नहीं है।

    राजेश ने बताया कि यदि वह सरकारी अस्पताल की रिपोर्ट पर विश्वास कर दवा शुरू कर देता तो कौन जिम्मेदार होता। जिला सर्विलांस अधिकारी डा. रमित कुमार सिंह का कहना है कि डायबिटीज होने पर ही दवा लेनी चाहिए। यदि शरीर में पर्याप्त इंसुलिन बन रहा है तो शुगर की दवा नहीं लेनी चाहिए। जिला महिला अस्पताल के सीएमएस डा. प्रदीप राणा का कहना है कि ऐसी किसी ने शिकायत नहीं की है। रिपोर्ट में इतना अंतर नहीं आ सकता। लैब से पता करेंगे।