सर्दियों में बढ़ती खर्राटों की आवाज हल्के में न लें, ये लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं, नहीं तो हो सकता है जानलेवा
सर्दियों में खर्राटों की बढ़ती आवाज को हल्के में न लें। यदि कुछ विशेष लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें, अन्यथा यह जानलेवा हो सकता है। ठ ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, बुलंदशहर। ठंड बढ़ने के साथ सांस के मरीजों की न सिर्फ दिक्कतें बढ़ रही हैं बल्कि खर्राटें की आवाज भी बढ़ रही है। चिकित्सकों का कहना है कि खर्राटे की आवाज बढ़ना दिल के लिए खतरे की घंटी है।
सांस के मरीज खर्राटे की आवाज को हल्के में ना लें। निजी अस्पताल से लेकर मेडिकल कॉलेज तक की ओपीडी में हर रोज ऐसी समस्या लेकर मरीज पहुंच रहे हैं।
कल्याण सिंह राजकीय मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. धीर सिंह ने बताया कि सर्दी के दिनों में नींद के दौरान होने वाली सांस की दिक्कतों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। प्रदूषण के बीच बढ़ी सर्दी में खर्राटों की समस्या तेजी से बढ़ रही है।
जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 150 से 200 मरीज सांस से जुड़ी शिकायतों के साथ पहुंच रहे हैं। उन्होंने बताया कि तापमान गिरने से शरीर में वायु मार्ग संकुचित हो जाता है। इससे कई लोगों में खर्राटों की समस्या इतनी गंभीर हो जाती है कि दिल पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगता है।
मेडिसिन विभाग के सीनियर रेजीडेंट डॉ. रजत ने बताया कि ठंड में नाक और गले की झिल्लियों में सूजन आ जाती है। इसके अलावा वायरल संक्रमण, एलर्जी व स्मॉग मिलकर सांस की नली में वायु प्रवाह को और कम कर देते हैं। ऐसे में खर्राटें बढ़ जाते हैं।
कई बार यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया में बदल जाता है। इसमें नींद में सांस रुकने लगती है और दिल की धड़कन तेज हो जाती है। वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. जेसी मुद्गल ने बताया कि स्लीप एपनिया के मरीजों में बार-बार सांस रुकने से शरीर में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है।
यह स्थिति लंबे समय तक रहने पर हाई बीपी, अनियमित धड़कन और दिल का दौरा पड़ने तक का खतरा बढ़ा सकती है। इसलिए सर्दी के मौसम में बुजुर्ग, ओवरवेट लोग और दिल या फेफड़ों के रोगियों को सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।
पिछले 15 दिन से खर्राटों और घबराकर उठने की समस्या से परेशान मरीज आ रहे हैं। जांच में सामने आया कि ठंड और प्रदूषण की वजह से नाक में सूजन व वायु मार्ग संकुचित हो गया है। मरीजों को स्टीम इनहेलेशन, गरारे, धूल-धुएं से दूरी, वजन नियंत्रण रखने और सोने से पहले हल्का भोजन करना चाहिए।
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ये बरतें सावधानी
- धूल, धुआं और स्मॉग से बचें, जरूरत हो तो मास्क पहनें।
- खर्राटों, सांस फूलने या नींद टूटने को नजरअंदाज न करें।
- नाक खुली और शरीर को गर्म रखें।
- वजन नियंत्रित रखें और सोने से पहले भारी भोजन न करें।
- समस्या बढ़ने पर तुरंत जांच कराएं, ताकि दिल से जुड़ी जटिलताओं से बचाव हो सके।

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