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    Bijnor: आईपीएस बनकर गांव पहुंचा किसान का बेटा, खुशी से झूम उठीं प्रदीप कुमार की मां, ढोल-नगाड़ों और डीजे पर नाचे ग्रामीण

    Bijnor News In Hindi Today IPS Pradeep Kumar यूपीएससी परीक्षा में 686 वी रैंक प्राप्त करने वाले प्रदीप कुमार पहली बार गांव पहुंचे तो गांव वालों ने उनका स्वागत फूल माला पहनाकर किया। वहीं खुशी में जमकर नाचे गांव वाले। प्रदीप कुमार ने बताया कि सेल्फ स्टडी करके उन्होंने आईआईटी पास किया था लेकिन रुपये न होने के कारण वे श्रीनगर नहीं जा सके थे।

    By Virendra Rana Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 29 Apr 2024 07:54 AM (IST)
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    Bijnor News: आईपीएस बनकर गांव पहुंचे प्रदीप कुमार का ग्रामीणों ने किया स्वागत

    संवाद सूत्र, जागरण रेहड़/बिजनौर। यूपीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण कर आईपीएस बनकर प्रथम बार गांव आगमन पर प्रदीप कुमार का स्वजन एवं ग्रामीणों ने माल्यार्पण कर जोरदार स्वागत किया।

    क्षेत्र के गांव जाब्तानगर निवासी प्रदीप कुमार पुत्र रूपचंद ने यूपीएससी में 686 वी रैंक हासिल की है। रविवार को दिल्ली से बादीगढ़ चौराहे पर पहुंचने पर ग्रामीणों ने फूल-मालाओं से सजी खुली जिप्सी में बैठाकर कारों के काफिले के साथ ग्रामीण जुलूस के रूप में गांव जाब्तानगर जा रहे थे। इस दौरान रास्ते में विभिन्न स्थानों पर ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया।

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    गांव के तिराहे पर महिलाओं के साथ खड़ी प्रदीप कुमार की मां कैलाशो देवी ने भी अपने बेटे के गले में माला डालकर उसे सीने से लगा लिया। घर पहुंचने पर वहां मौजूद तमाम महिलाओं और पुरुषों ने भी स्वागत कर माल्यार्पण किया।

    कड़ी मेहनत के बाद सपना हुआ पूरा

    पत्रकारों से वार्ता करते हुए प्रदीप कुमार ने कहा कि उनका सपना फील्ड वर्क वाली सम्मानजनक पोस्ट प्राप्त करना था, जो कड़ी मेहनत के बाद अब पूरा हुआ है। बताया कि उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर भगतावाला से एवं वर्ष 2014, इंटरमीडिएट की परीक्षा गांव सादकपुर स्थित इंटर कलेज से उत्तीर्ण की।

    कई दोस्तों व शिक्षकों से प्रेरणा प्राप्त कर आईआईटी की तैयारी शुरू कर दी और सेल्फ स्टडी कर पहले ही प्रयास में आईआईटी जेईई मेंस की परीक्षा पास कर ली। जिसमें उनका एनआईटी श्रीनगर में नंबर आ गया, लेकिन उस समय एडमिशन के लिए 50,000 रुपए की व्यवस्था नहीं हो पाने व समय पर श्रीनगर न पहुंच पाने के कारण वह एनआईटी में एडमिशन नहीं ले पाए।

    प्रदीप कुमार ने अपना प्रयास जारी रखा और वर्ष 2015 में पुनः जेईई मेंस एवं जेईई एडवांस क्वालीफाई किया और उन्हें आईआईटी दिल्ली में मैकेनिकल इंजीनियर की ब्रांच मिली। एक वर्ष बाद उन्होंने इसे चेंज करके इलेक्ट्रिकल ब्रांच कर लिया। वर्ष 2019 में आईआईटी उत्तीर्ण कर केंपस प्लेसमेंट से बेंगलुरु की एक कंपनी में प्राइवेट जॉब की।

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    प्राइवेट जॉब के दौरान पास किया सिविल सर्विसेज का एग्जाम

    प्राइवेट जॉब करने के दौरान वर्ष 2020 में भारतीय इंजीनियरिंग सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की। जिससे विद्युत मंत्रालय आरकेपुरम नई दिल्ली में सहायक निदेशक की जॉब मिली। लेकिन यूपीएससी का सपना देखते हुए वे लगातार प्रयासरत रहे और दूसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी में 686 वी रैंक हासिल कर ली और आईपीएस बनकर अपना सपना पूरा करते हुए क्षेत्र का नाम रोशन किया।

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    29 वर्ष की उम्र में आईपीएस बने प्रदीप कुमार मध्यम वर्गीय साधारण परिवार से हैं और चार भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। इनके पिताजी रूपचंद खेती-बाड़ी का कार्य करते हैं।