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    बिजनौर में शटरिंग लाक खुलने से गिरा था निर्माणाधीन अंडरपास का स्लैब, पांच श्रमिक हुए थे घायल

    By Raj Kumar SharmaEdited By: Jagran News Network
    Updated: Wed, 01 Oct 2025 12:40 AM (IST)

    - दो जून को

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    बिजनौर में शटरिंग लाक खुलने से गिरा था निर्माणाधीन अंडरपास का स्लैब, पांच श्रमिक हुए थे घायल

    - दो जून को निर्माणाधीन ओवर ब्रिज का गिर गया था स्लैब

    बिजनौर: मेरठ-पौड़ी निर्माणाधीन हाईवे पर निर्माणाधीन अंडरपास बनाते समय उसका स्लैब गिर गया था। एनएचएआइ दिल्ली मुख्यालय से एक टीम गठित की गई थी। अब टीम ने जांच रिपोर्ट एनएचएआइ के परियोजना निदेशक को सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हादसा की वजह शटरिंग का लाक खुलने से हुआ था। हालांकि, सामग्री की जांच नहीं हो सकी थी। तब निर्माण में प्रयोग होने वाली सामग्री की गुणवत्ता को लेकर भी खूब सवाल उठे थे।

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    मेरठ-पौड़ी नेशनल हाईवे का निर्माण चल रहा है। तीसरे चरण में बहसूमा से बिजनौर के बीच हाईवे निर्माणाधीन है। निर्माण कार्य के दौरान दो जून को बिजनौर-गंगा बैराज पुल के बीच एक अंडरपास का स्लैब गिर गया था। इसमें पांच श्रमिक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसकी जांच एनएचएआइ ने दिल्ली मुख्यालय की एक इंजीनियरों की टीम गठित की थी। स्लैब गिरने की जांच सौंपी थी। इस प्रकरण में लापरवाही पर ब्रिज और ढांचा इंजीनियर ओम बिहारी तिवारी को निलंबित कर दिया था। इंजीनियरों की टीम ने जांच कर रिपोर्ट परियोजना निदेशक मेरठ को सौंप दी है। एनएचएआइ को सौंपी रिपोर्ट में कार्य के दौरान लापरवाही सामने आई है। असल में स्लैब डालते समय नीचे लगाई गई शटरिंग का लाक खुल गया था। इस वजह से पूरा स्लैब भरभरा कर गिर गया था। पांच मजदूर मलबे में दब गए थे। विभाग का दावा है कि सरिया की जांच आइआइटी रुड़की की प्रयोगशाला में कराई गई थी। जांच रिपोर्ट में लोहे की गुणवत्ता ठीक गई है। अब विभाग ने शटरिंग के लाक खुलने से ही हादसा होना बताकर पल्ला झाड़ लिया है। हालांकि, अभी स्लैब का दोबारा निर्माण शुरू नहीं हो सका है। कार्यदायी संस्था को सभी जांच एजेंसी व अधिकारियों ने क्लीनचिट दे दी है। एनएचएआइ के एसडीओ आशीष शर्मा ने बताया कि जांच रिपोर्ट में शटरिंग का लाक खुलने से हादसा हुआ था।

    15 दिन तक लोनिवि में पड़े रहे सामग्री के कट्टे

    स्लैब गिरने के बाद दिल्ली की एनएचएआइ की टीम गठित की गई थी। एसडीएम सदर को भी जांच दी गई थी। स्लैब में इस्तेमाल सामग्री की जांच के भी आदेश दिए गए थे। लोनिवि को यह जिम्मा सौंपा गया था। लेकिन, प्रयोगशाला में जांच का खर्च नहीं देने पर 15 दिन तक रेत-सीमेंट के कट्टे लोनिवि विभाग में पड़े रहे थे। बाद में सिर्फ लोहे की सरिया के सैंपल की जांच कराई गई थी। एनएचएआइ का दावा है कि स्लैब में इस्तेमाल सामग्री का कंप्रेशिव मशीन से जांच कराई गई थी। जांच में भी सामग्री की गुणवत्ता सही होने का दावा किया था।