बच्चों को दस्त होने पर दें जिंक और ओआरएस
बच्चों को दस्त होने पर दें जिंक और ओआरएस बच्चों को दस्त होने पर दें जिंक और ओआरएस

बच्चों को दस्त होने पर दें जिंक और ओआरएस
बिजनौर, टीम जागरण। बच्चों को दस्त से बचाने एवं अभिभावकों को जागरूक करने के उद्देश्य से एक से 15 जून तक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाएगा। इस दौरान दस्त से होने वाली बाल मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से पांच वर्ष तक की आयु के बच्चों के अभिभावकों को ओआरएस और जिंक के उपयोग के प्रति जागरूक किया जाएगा।
एक जून से शुरू होने वाले सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े के अंतर्गत पांच साल तक की आयु के बच्चों केे अभिभावकों को ओआरएस बनाने की विधि, इसके इस्तेमाल के संबंध में जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा दस्त के दौरान शिशु की देखभाल के संबंध मेंं भी जानकारी दी जाएगी। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. प्रमोद गुप्ता का कहना है कि बच्चों के दस्त बंद होने के भी जिंक की खुराक अगले 14 दिनों तक देनी जारी रखनी चाहिए। ऐसा करने से अगले दो से तीन माह तक बच्चे को डायरिया होने की संभावना कम हो जाती है। छो से छह माह तक के बच्चों को जिंक की आधी तथा सात माह से पांच साल तक के बच्चों को पूरी गोली पानी में मिलाकर देनी चाहिए। दस्त ठीक होने पर बीच में दवा न छोड़े। ओआरएस और जिंक के इस्तेमाल के बाद भी डायरिया ठीक नहीं होने पर बच्चे को लेकर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र अवश्य जाएं।
एएनएम करेंगी बच्चे की जांच
डा. प्रमोद गुप्ता ने बताया कि एएनएम बच्चे की जांच करेगी। बच्चे के अति कुपोषित पाए जाने पर बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती किया जाएगा। दो वर्ष तक के बच्चों की माताओं को स्तनपान, उम्र के अनुसार पोषाहार, हाथ साफ करने, एवं साफ पानी पिलाने की जानकारी दी जाएगी। आशाओं को पांच वर्ष तक के बच्चों की लिस्ट तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं।
बच्चे को कब ले जाए अस्पताल
बच्चे को पानी जैसा पतला मल आने, बार-बार उल्टी होने, अत्यधिक उल्टी होने, अधिक प्यास लगने, पानी न पीने, बुखार होने, मल में खून आने पर लापरवाही न बरतें और बच्चे को तुरंत सरकारी अस्पताल ले जाएं।
क्या कहते हैं अधिकारी
सीएमओ डा. विजय गोयल का कहना है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय के निर्देशानुसार सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चलाया जाएगा। इसके लिए सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। उन्होंने अभिभावकों से दस्त होने पर लापरवाही नहीं बरतने एवं आवश्यकता पड़ने पर सरकारी अस्पताल ले जाने का आह्वान किया।
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