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गढ़वाल के स्टापेज को किरतपुर के लोगों की गांधीगिरी

किरतपुर रेलवे स्टेशन पर सछ्वावना व गढ़वाल एक्सप्रेस के ठहराव की मांग को लेकर समाजसेवी ताल्हा मकरानी के नेतृत्व में नगरवासियों का सांकेतिक धरने को आज दोहरा शतक पूरा हो गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 08:47 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 08:47 PM (IST)
गढ़वाल के स्टापेज को किरतपुर के लोगों की गांधीगिरी
गढ़वाल के स्टापेज को किरतपुर के लोगों की गांधीगिरी

बिजनौर, जेएनएन। किरतपुर रेलवे स्टेशन पर सछ्वावना व गढ़वाल एक्सप्रेस के ठहराव की मांग को लेकर समाजसेवी ताल्हा मकरानी के नेतृत्व में नगरवासियों का सांकेतिक धरने को आज दोहरा शतक पूरा हो गया। 200वां सांकेतिक साप्ताहिक धरना 24 घंटे का शुरू कर केंद्रीय रेल मंत्री से जनहित में ट्रेन का ठहराव करने की मांग की गई। हालांकि सांकेतिक धरने से नगर वासियों को सद्भावना एक्सप्रेस का स्टापेज नसीब हो गया है और अब गढ़वाल एक्सप्रेस का स्टापेज भी लेने को गांधीगिरी की राह पर चल पड़े हैं। धरना स्थल पर पहुंचे नगीना के बसपा सांसद गिरीश चंद्र ने भी रेल मंत्री से बात कर ट्रेन के ठहराव का आश्वासन दिया।

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रविवार सुबह नौ बजे किरतपुर रेलवे स्टेशन पर समाजसेवी तलहा मकरानी एडवोकेट के नेतृत्व में 24 घंटे का 200वां सांकेतिक साप्ताहिक धरना शुरू हुआ। धरनास्थल पर पहुंचे नगीना से बसपा सांसद गिरीश चंद्र ने कहा कि 20 सितंबर को उनकी केंद्रीय रेल मंत्री से मीटिग है। वह तलहा मकरानी के साथ रेल मंत्री से किरतपुर में ट्रेन के ठहराव की मांग करेंगे। तलहा मकरानी ने कहा कि वह जनता के सहयोग से गढ़वाल एक्सप्रेस ट्रेन के किरतपुर रेलवे स्टेशन पर ठहराव के लिये लगातार 200 हफ्तों से सांकेतिक साप्ताहिक धरना दे रहे हैं, लेकिन रेल मंत्रालय जनहित की मांग को पूरा नहीं कर रहा है। किरतपुर नगर की आबादी लगभग एक लाख है तथा काफी ग्रामीण क्षेत्र भी लगता है, लेकिन यहां की जनता के लिए देश की राजधानी दिल्ली जाने के लिए कोई सीधी रेल नही हैं। एक गढ़वाल एक्सप्रेस ट्रेन जाती है, वह भी यहां नही रुकती है। अगर इस ट्रेन का ठहराव किरतपुर हो जाए, तो जनता की धन व समय की बचत भी होगी और रेलवे की आय भी बढ़ेगी। अफजल के संचालन में हुई धरना सभा में मजहर नामी, बाबू खां, नरेश कालरा, साधना रस्तौगी, तलमीज अंसारी, मुशीर, मुकेश गोयल, याकूब मलिक, आफाक मकरानी आदि ने विचार रखे। मजबूत इरादा, सुख-दुख में नहीं डिगा हौंसला

-सछ्वावना का स्टापेज के बाद गढ़वाल

-धरना हमारा अधिकार है, लड़ाई तो बहुत आगे निकल चुकी है

अशोक गुप्ता, किरतपुर: पिछले 200 हफ्तों से लगातार रविवार को सांकेतिक धरना दिया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का इरादा इतना तटस्थ है कि आंदोलन के संयोजक तलहा मकरानी के भाई की शादी के दिन भी उन्होंने धरना दिया था।

किरतपुर रेलवे स्टेशन के बाहर गढ़वाल एक्सप्रेस तथा सछ्वावना एक्सप्रेस ट्रेन के किरतपुर रेलवे स्टेशन पर ठहराव की मांग को लेकर 14 अक्टूबर 2014 से साप्ताहिक सांकेतिक धरना तलहा मकरानी एडवोकेट के नेतृत्व में शुरू हुआ था। तत्कालीन नगीना के भाजपा सांसद डा.यशवंत सिंह के साथ वर्ष 2015 में तलहा मकरानी ने बड़ौदा हाउस दिल्ली में रेलवे के जीएम को दोनों ट्रेनों के ठहराव के लिए मांग पत्र दिया था। तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री सुरेश प्रभु से भी मांग की गई थी। कार्यकारी निदेशक कोचिग पी गुहा से भी ठहराव की मांग की गई। उसके बाद आठ अक्टूबर 2015 को किरतपुर रेलवे स्टेशन पर लखनऊ-चंडीगढ सद्भावना एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव मंजूर हो गया था। उसके बाद लगातार गढ़वाल ट्रेन के ठहराव के लिए प्रत्येक रविवार को साप्ताहिक सांकेतिक धरना जारी रहा। किरतपुर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के ठहराव के लिये तलहा मकरानी तत्कालीन नगीना सांसद डा.यशवंत सिंह के साथ पांच बार तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से मिलकर मांग पत्र दे चुके हैं। रेलवे को हर माह मिल रहा छह लाख का राजस्व

रेल मंत्रालय किरतपुर में रेल के ठहराव के लिए कभी सात किलोमीटर दूर मुअज्जमपुर नारायण जंक्शन रेलवे स्टेशन की बात कहकर मांग पत्र खारिज कर देता है, कभी किरतपुर रेलवे स्टेशन छोटा स्टेशन बताकर दो एक्सप्रेस ट्रेनों का स्टापेज नहीं दे पाने की कहकर मांग खारिज कर देता है। तलहा मकरानी एडवोकेट ने बताया कि रेल मंत्रालय ने सद्भावना ट्रेन का छह महीने का अस्थाई ठहराव देते हुए प्रतिमाह दो लाख रुपये राजस्व प्राप्त होने की शर्त रखी थी, लेकिन किरतपुर रेलवे स्टेशन पर छह लाख रुपये प्रतिमाह राजस्व प्राप्त हो रहा है, जो रेलवे की मांग से कही ज्यादा है। तलहा मकरानी ने वर्ष 2018 में उच्च न्यायालय इलाहाबाद में जन हित याचिका दायर कर किरतपुर रेलवे स्टेशन पर गढ़वाल एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव कराने की मांग की थी। हालांकि कोर्ट ने इसे रेलवे का मसला बताया था। किरतपुर में ट्रायल बेस पर छह महीने के लिए ठहराव की मांग की है। रेलवे को भरोसा दिलाया गया है कि सद्भावना एक्सप्रेस ट्रेन से ज्यादा इस ट्रेन को राजस्व मिलेगा।


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