Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिजनौर में दो बालिकाओं से दुष्कर्म के दोषी को 40 वर्ष की सजा; रोते हुए पीड़ित बच्चियों ने की थी पहचान

    Updated: Wed, 18 Sep 2024 08:44 AM (IST)

    पांच और छह वर्ष की ममेरी-फुफेरी बहनों का अपहरण कर उनके साथ आरोपी ने दुष्कर्म किया था। पुलिस ने इस केस में मजबूत पैरवी की। आरोपित को साक्ष्यों के साथ ग ...और पढ़ें

    Hero Image
    पुलिस की गिरफ्त में बच्चियों से दुष्कर्म का आरोपित मनोज। जागरण आकाईव

    जागरण संवाददाता, बिजनौर। पॉक्सो एक्ट के विशेष अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रकाश चंद्र शुक्ला ने दो बालिकाओं का अपहरण और दुष्कर्म करने के मामले में मंगलवार को आरोपित मनोज कुमार को दोषी पाते हुए 40 वर्ष कारावास की सजा सुनाई है। एक लाख 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। जुर्माने की राशि में से 50 हजार पीड़िताओं को देने के आदेश दिए गए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विशेष लोक अभियोजन अधिकारी योगेंद्र कुमार ने बताया कि शेरकोट क्षेत्र के एक गांव की रहने वाली छह वर्षीय बच्ची और उसकी पांच साल की ममेरी बहन के साथ 27 मई 2023 को अपहरण कर दुष्कर्म किया गया था। पीड़ित बालिकाओं में से एक की चचेरी बहन की शादी थी। शादी समारोह में भीड़ का फायदा उठाकर आरोपित उन्हें जंगल में ले गया था।

    पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था आरोपित

    विवेचना के दौरान आरोपित मनोज कुमार का नाम प्रकाश में आया। मनोज दोनों बच्चियों को बहलाकर अपहरण कर जंगल में ले गया और उनके साथ दुष्कर्म किया। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। मामले में सुनवाई के दौरान 62 तारीखें कोर्ट में लगीं। सुनवाई 16 जून 2023 से प्रारंभ हुई। कोर्ट ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बिजनौर को निर्देश दिए हैं कि वह अपने यहां निर्दिष्ट योजना के तहत अगर कोई हो तो पीड़िता या उसके आश्रित को उक्त अपराध के कारण होने वाली हानि से पुनर्वास के लिए प्रतिकर प्रदान करे।

    ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के युवाओं के लिए खुशखबरी; सरकार ने समूह ग पदों की भर्ती प्रक्रिया की शुरू, इन विभागों में नौकरियां

    ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के युवाओं के लिए खुशखबरी: सरकार ने शुरू की समूह ग पदों की भर्ती प्रक्रिया, इन विभागों में नौकरियां

    रोते हुए पीड़ित बच्चियों ने की थी पहचान

    आरोपित को 40 साल की सजा सुनाए जाने में पुलिस की जांच और साक्ष्य तो मजबूत आधार बने ही, पीड़ित बालिकाओं द्वारा आरोपित की पहचान किया जाना ही सजा का असल आधार बना। आरोपित के सामने आने पर बच्चियों ने रोते हुए उसकी पहचान की थी। तब दोनों आरोपित को देखकर डर गईं थी और डरते हुए अपनी बात कही थी।

    इस केस को लेकर लगातार पुलिस मजबूती के साथ पैरवी कर रही थी। कोर्ट ने जल्द से जल्द फैसला सुनाया है। इस मामले में गवाही के अलावा मेडिकल और फोरेंसिक साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत किए गए थे। रामअर्ज, एएसपी देहात