Bijnor : माता-पिता को हरिद्वार में कराई तीर्थ यात्रा, कंधों पर पालकी कांवड़ में लेकर लौटे नरेश कुमार
Bijnor News रामपुर जिला निवासी नरेश कुमार ने अपने माता-पिता को हरिद्वार की तीर्थ यात्रा कराई। उन्हें पालकी कांवड़ में बैठाकर रामपुर की ओर प्रस्थान किया। बिजनौर जिले के नजीबाबाद पहुंचे नरेश ने कहा कि माता-पिता की सेवा से बढ़कर कुछ नहीं है और उनके चरणों में ही सारे तीर्थ हैं। नरेश की पूरे मार्ग में लोग प्रशंसा कर रहे हैं।

अनुज कुमार शर्मा, जागरण, नजीबाबाद (बिजनौर)। 'ये तो सच है कि भगवान है, है मगर फिर भी अंजान है धरती पे रूप मां-बाप का उस विधाता की पहचान है,' इन पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए एक पुत्र ने अपने माता-पिता को हरिद्वार की तीर्थ यात्रा कराकर पालकी कांवड़ में बैठाया और गंतव्य रामपुर की ओर निकल पड़ा। नजीबाबाद पहुंचने पर वह लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया। यहां से होकर गुजर रहे होनहार इकलौते पुत्र ने बताया कि उनकी इच्छा थी कि वह अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार से पैदल ही अपने घर तक पहुंचे।
दुनिया में माता-पिता से बढ़कर कुछ भी नहीं
शनिवार को नजीबाबाद से होकर गुजर रहे जनपद रामपुर के ग्राम पिपलिया निवासी नरेश कुमार ने बताया कि इस दुनिया में माता-पिता से बढ़कर कुछ भी नहीं है। वह 17 जुलाई को अपने माता-पिता को हरिद्वार की तीर्थ यात्रा कराने ले गया था।
कलियुग के इस श्रवण कुमार नरेश ने बताया कि वह अपनी माता रामरती और पिता शिवदयाल का इकलौता पुत्र है। उसने माता-पिता हरिद्वार की यात्रा कराने का संकल्प लिया था। वह हंसी खुशी पालकी कांवड़ में अपने माता-पिता को बैठाकर गंगाजल के साथ पैदल यात्रा करते हुए बम-बम भोले के जयघोष के साथ आगे बढ़ रहा है।
नरेश अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर कंधों पर लेकर पैदल हरिद्वार तक चलकर माता-पिता को तीर्थ के दर्शन कराए। वापसी में हर कोई नरेश कुमार की मदद के लिए आगे बढ़ रहा था। नरेश कुमार ने बताया माता-पिता की सेवा से बढ़कर कुछ नहीं है सारे तीर्थ माता-पिता के चरणों में ही हैं, उसे अपने माता-पिता को तीर्थ कराने में बेहद ही खुशी हो रही है और उनके आशीर्वाद से जरा भी थकान का एहसास नहीं हो रहा। वह 22 जुलाई की देर रात तक अपने गंतव्य तक पहुंचकर शिवरात्रि पर जलाभिषेक करेगा।
लोगों के लिए बना मिसाल
नरेश ने कहा कि भोले बाबा का आशीर्वाद है कि वह कांवड़ में गंगाजल के साथ ही अपने माता-पिता को बैठाकर तीर्थ यात्रा कराकर लाया है। आज जब आधुनिकता के दौर में परिवार टूट रहे हैं और युवा अपनी जड़ों को भूलते जा रहे हैं, ऐसे में नरेश समाज के सामने रिश्तों का सम्मान करने की मिसाल पेश कर रहा है।
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