Bijnor: यूरोप की महिलाएं अपना रहीं लकड़ी की क्रोशिया, बुनाई के दौरान सेहत को इससे मिलते हैं हैरान करने वाले लाभ
Bijnor News आजकल भारतीय महिलाएं ऊन की बुनाई से दूर हो रही हैं वहीं यूरोप में लकड़ी की क्रोशिया की मांग बढ़ गई है। बिजनौर के नगीना में बनी क्रोशिया यूरोप में खूब पसंद की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि क्रोशिया से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है और मोबाइल से दूरी बनाने में मदद मिलती है।
अजीत चौधरी, बिजनौर। आज भारतीय समाज की महिलाएं ऊन के कपड़े बुनने के लिए सलाई से दूरी बना रही हों लेकिन यूरोप की महिलाएं इसे तेजी से अपना रही हैं। नगीना में बनने वालीं क्रोशिया की यूरोप से भारी मांग आ रही है। सात से आठ प्रतिशत डिमांड केवल क्रोशिया की ही है। नगीना के काष्ठकला कारोबारी भी क्रोशिया के नए नए डिजाइन बनाकर विदेशी महिलाओं को आकर्षित कर रहे हैं।
यूरोप में ऊन के कपड़ों की बुनाई का चलन बढ़ा
ऊन के कपड़े आज भारतीय परिधानों से लगभग बाहर हो चुके हैं। युवा पीढ़ी तो सलाई से ऊन की बुआई करना जानती भी नहीं है। जिले में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है, लेकिन यूरोप में इसका उलटा हो रहा है। यूरोप में ऊन के कपड़ों की बुनाई का चलन एकदम से बढ़ गया है। इसका प्रमाण यह है कि यूरोपीय देशों से नगीना को लगातार लकड़ी की सलाई के आर्डर मिल रहे हैं। लकड़ी की इन सलाई को क्रोशिया बोला जाता है।
ठंडे मौसम वाले देशों की महिलाएं हाथों की कसरत और शौक में लगातार इनकी खरीदारी कर रही हैं। काष्ठकला उद्यमी आफताब अहमद के अनुसार हर वर्ष 25 से 30 करोड़ की क्रोशिया नगीना से यूरोपीय देशों में भेजी जा रही है। एक जोड़ी क्रोशिया 600 से तीन हजार रुपये तक में बेची जा रही है। इसके अलावा ऊन के गुच्छे से गुल्ला बनाने वाला स्पिनर भी महिलाएं खरीद रही हैं। व्यापारी आफताब अहमद ने बताया कि यूरोप में रूस, नार्वे, फिनलैंड, स्वीडन आदि देशों में नगीना में बनी क्रोशिया जाती है।
यह होता है लाभ
विशेषज्ञों के अनुसार क्रोशिया से काम करना यानी कपड़े बुनना सबसे अच्छी कसरत में से एक मानी जाती है। इससे मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। मोबाइल से दूरी बनाने और बुजुर्ग महिलाओं का ध्यान बहलाने में ये कारगर है। साथ ही स्वजन के लिए ऊन के कपड़े बनने से परिवार में प्रेम बढ़ता है।
हाथ से बुनाई एक प्रकार की कसरत: डा.पवन चौधरी
न्यूरो फिजियोथेरेपिस्ट डा.पवन चौधरी ने बताया कि कपड़ों की हाथ से बुनाई एक प्रकार की कसरत ही है। इससे हाथ की मांसपेशियां मजबूत रहती हैं। ऊन के कपड़े बुनना एक कसरत की तरह होता है। यह मांसपेशियों को मजबूत रखता है। उधर, उपायुक्त उद्योग अमित कुमार सिंह कहते हैं कि नगीना में बनने वालीं क्रोशिया का यूरोप में अच्छा बाजार है। यह महिलाओं के बीच काफी पसंद की जाती है। व्यापारियों ने अभी भी क्रोशिया के आर्डर होने के बारे में बताया है।
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