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    Bijnor:गुलदार का नया ठिकाना...नदी व नहर का किनारा, शिकार आसान और पानी भी पास

    Updated: Sun, 14 Sep 2025 06:50 PM (IST)

    Bijnor News बिजनौर में गुलदारों का आतंक जारी है। एएमयू के सर्वे में खुलासा हुआ है कि गुलदार नदियों और नहरों के पास खेतों में छिप रहे हैं क्योंकि वहां शिकार और पानी आसानी से मिल जाता है। पहले बेसहारा गोवंशी शिकार बने फिर कुत्ते और मवेशी। वन विभाग गुलदारों को पकड़ने के लिए अभियान चला रहा है और किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है।

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    नदियों के किनारे गुलदारों ने बनाए ठिकाने, बरसात में आ रहे गांवों की ओर। (प्रतीकात्मक फोटो)

    जागरण संवाददाता, बिजनौर। गुलदार खेतों में लगातार शिकार कर रहे हैं। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की टीम के सर्वे में भी यह बात सामने आई है कि गुलदार नदियों और नहरों के पास ही खेतों को ठिकाना बना रहे हैं। यहां से न तो शिकार दूर हैं और न ही प्यास बुझाने के लिए पानी। बरसात में गुलदार खेतों में पानी भरने पर गांवों के और पास आ रहे हैं।

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    बाघों के डर से गुलदारों ने अमानगढ़ टाइगर रिजर्व को छोड़ा और गन्ने के खेतों में आ गए। गन्ने के खेतों में गुलदारों के लिए कोई चुनौती नहीं थी। गुलदारों को पहले खेतों में बेसहारा गोवंशियों के रूप में आसान शिकार मिला।

    बेसहारा गोवंशी कम हुए तो गुलदारों ने गांवों की ओर रुख किया। गांवों में पहले कुत्ते गुलदारों का शिकार बने और बाद में मवेशी। गुलदार इंसानों पर भी लगातार हमले करते रहे। इस सब के बीच एक बात सामान्य रही कि गुलदारों ने नदी और नहरों के इलाकों को ही छिपने के लिए चुना। गुलदार शिकार का पीछा करते हुए काफी जल्दी थक जाता है और इसके शरीर का तापमान बढ़ जाता है। फिर यह आराम करके और पानी पीकर खुद को सामन्य करता है। इसके लिए नदी, नहर या अन्य जल स्त्रोत के पास रहना गुलदार की मजबूरी होता है। वन्यजीव भी खेतों से निकलकर पानी पीने के लिए जल स्त्रोतों के पास आते हैं। गुलदारों को इनके पास शिकार भी आसानी से मिल जाता है।

    आसान शिकार बने बेसहारा गोवंशी

    गुलदारों का खेतों में आने और कुनबा बढ़ने का सबसे प्रमुख कारण बेसहारा गोवंशी रहे। कुछ वर्ष पहले बड़ी संख्या में गोवंशी खेतों में घूमते थे। गुलदारों ने इनका शिकार किया और खूब दावत उड़ाई। गोवंशी रात को गांवों में जाते थे तो गुलदारों ने उनके पीछे गांवों में आना शुरू किया। इससे मनुष्यों के पास आने का गुलदारों का डर भी निकलता गया।

    ज्ञान सिंह, सहायक वन संरक्षक का कहना है कि गुलदारों को पकड़ने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है। किसानों से खेतों में सतर्कता के साथ काम करने को लगातार चौकस कर रहे हैं।