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    Bijnor News : दस दिनों में तीन बच्चों की जान ले चुका है गुलदार, वन विभाग पकड़ने में नाकाम

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 08:34 PM (IST)

    Bijnor News बिजनौर में एक आदमखोर गुलदार ने दस दिनों में तीन बच्चों को मार डाला है जिससे इलाके में दहशत है। वन विभाग अभी तक गुलदार को पकड़ने में नाकाम रहा है जिससे स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की ओर से लगाये गए पिंजरों में बकरी तक की व्यवस्था नहीं की गई है।

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    तीन बच्चों की जान ले चुका है गुलदार, वन विभाग पकड़ने में नाकाम (प्रतीकात्मक फोटो)

    संवाद सहयोगी, जागरण, नजीबाबाद (बिजनौर)। तू डाल-डाल तो मैं पात-पात वाली कहावत चरितार्थ करते हुए आदमखोर गुलदार वन विभाग को चकमा दिए फिर रहा है। बिजनौर वन प्रभाग नजीबाबाद वन क्षेत्र में तीन बच्चों की जान लेने वाला गुलदार अभी तक वन विभाग की पकड़ में नहीं आया है। इससे नागरिकों में रोष व्याप्त है।

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    गुलदार (तेंदुआ) हमले पर हमले कर लोगों को मौत की नींद सुला रहा है। इसके बावजूद संसाधन विहीन विभाग अभी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया है। गुलदारों से निजात दिलाने के लिए किसान संगठन और लोग प्रदर्शन कर विरोध जता रहे हैं। इसके बावजूद नतीजा नहीं निकल पा रहा है। ग्रामीणों का यहां तक आरोप है कि वन विभाग की ओर से लगाये गए पिंजरों में बकरी तक की व्यवस्था नहीं की गई है। विभाग के एसडीओ ज्ञान सिंह ने बताया कि पिंजरों में बकरी की व्यवस्था की जाएगी।

    अभी तक खाली हाथ है वन विभाग

    बिजनौर वन प्रभाग के नजीबाबाद डिवीजन में महज दस दिन में गुलदार ने तीन बच्चों को मौत के घाट उतार दिया। दो सितंबर को नजीबाबाद डिवीजन की राजगढ़ वन रेंज के ग्राम रामदासवाली निवासी डालचंद के आठ वर्षीय पुत्र कनिष्क पर हमला कर मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद पांच सितंबर को कौड़िया वन रेंज के ग्राम कंडरावाली में रह रहे जनपद लखीमपुर निवासी प्रेमसिंह की बेटी गुड़िया की जान ले ली थी।

    गुलदार का हमला यहीं पर नहीं रुका नौ सितंबर को कौड़िया रेंज और विकासखंड नजीबाबाद की ग्राम पंचायत मथुरापुरमोर के गांव नयागांव निवासी राहुल उर्फ रविंद्र के कक्षा दो में पढ़ने वाले आठ साल के बेटे हर्ष को भी मौत की नींद सुला दिया था। लोगों के आक्रोश और विरोध के चलते वन विभाग ने घटनास्थलों के आसपास पिंजरे जरूर लगाए, लेकिन सितंबर माह आधा बीतने को है इसके बावूजद अभी तक वन विभाग खाली हाथ है। ऐसे में लोगों का सवाल यह है कि आखिर वन विभाग मानव और वन्यजीव संघर्ष पर विराम लगा भी पाएगा कि नहीं। परिणाम चाहे जो भी हो, लेकिन लोगों में वन विभाग के अफसरों के प्रति भारी रोष व्याप्त है।