Bijnor News : ग्राम न्यायालय से लोगों को मिला लाभ, इसके भवन को लेकर विवाद का यह है कारण
Bijnor News बिजनौर के धामपुर में ग्राम न्यायालय की स्थापना से जनता को लाभ मिला है लेकिन भवन को लेकर विवाद है। इसे लेकर अधिवक्ता दो गुटों में बंट गए हैं। एक गुट तहसील परिसर में न्यायालय चाहता है तो दूसरा दूसरे भवन के पक्ष में है। ग्राम न्यायालय में 25 हजार तक के सिविल और दो वर्ष तक की सजा के फौजदारी मुकदमों की सुनवाई होती है।

संवाद सहयोगी, जागरण, धामपुर (बिजनौर)। तहसील धामपुर में अभी तक सिविल जज न्यायालय स्थापित नहीं था। लंबे समय से इसकी मांग उठ रही थी, जिसके बाद नवंबर 2015 में शासन से स्वीकृति मिलने पर फरवरी 2024 में धामपुर में ग्राम न्यायालय स्थापित किया गया है। इसका स्थानीय जनता को लाभ भी मिल रहा है। इससे पहले सिविल मामलों के लिए मुंसफी नगीना या बिजनौर जाना पड़ता था, लेकिन ग्राम न्यायालय के भवन को लेकर स्थानीय अधिवक्ता ही दो पक्षों में बंटे हुए हैं।
धामपुर में स्थापित हुए ग्राम न्यायालय को अभी तक अपना निजी भवन नहीं मिल सका है।
धामपुर में कोई सरकारी भूमि या पुराना उचित भवन ना मिलने के चलते नगीना मार्ग पर दुर्गा विहार कालोनी में इसे किराए के भवन में संचालित किया जा रहा है। लेकिन आवासीय कालोनी में ग्राम न्यायालय बनाने का स्थानीय निवासी विरोध कर रहे हैं। पिछले वर्ष स्योहारा मार्ग पर एक पुराना सरकारी भवन भी मिल चुका है, जिसका जीर्णोद्धार करा दिया गया है। लेकिन यह भवन स्थानीय तहसील परिसर से बहुत दूर है।
दूरी के कारण दो पक्षों में बंटे अधिवक्ता
ग्राम न्यायालय के लिए जो भवन चिन्हित किया गया है, वह तहसील परिसर से लगभग ढाई से तीन किलोमीटर दूर है। बीच में रेलवे लाइन का फाटक भी पड़ता है। इतनी दूरी को लेकर स्थानीय अधिवक्ता भी दो पक्षों में बंटे हुए हैं। तहसील परिसर में कार्यारत अधिवक्ता चाहते हैं कि इसी परिसर में ग्राम न्यायालय शिफ्ट हो, लेकिन वहीं कुछ अधिवक्ताओं का मानना है कि दूसरे स्थान पर ही ग्राम न्यायालय को शिफ्ट करना उचित है। बार एसोसिएशन धामपुर के वर्तमान अध्यक्ष विनोद कुमार का कहना है कि तहसील परिसर में ही ग्राम न्यायालय बनने से अधिवक्ताओं को लाभ और समय की बचत होगी। अन्यथा बार-बार इतनी दूर ग्राम न्यायालय में जाना पड़ेगा, जबकि उनके चैंबर तहसील में हैं।
जनता को मिला लाभ, दो वर्ष तक की सजा व 25 हजार मालियत के मुकदमे
नागरिकों को उनके घर के समीप न्याय मुहैया कराने के लिए ग्राम न्यायालयों की स्थापना का प्रविधान किया गया था। यह सुनिश्चित किया गया था कि सामाजिक, आर्थिक या अन्य परेशानियों के कारण किसी को न्याय प्राप्त करने के अवसरों से वंचित न किया जाए। धामपुर में ग्राम न्यायालय स्थापित होने से पूरी तहसील क्षेत्र की जनता को लाभ मिला है।
ग्राम न्यायालय में सिविल मामलों के 25 हजार की मालियत के मुकदमों की सुनवाई होती है। वहीं फौजदारी के मामलों में दो वर्ष तक की सजा के मुकदमों की सुनवाई होती है। ग्राम न्यायालय बनने से पहले जनता को तहसील नगीना के मुंसफी कोर्ट या बिजनौर न्यायालय जाना पड़ता था।
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