Bijnor : सुबह सोकर उठते ही किसान के उड़े होश, देखा घर में मुंह खोले बैठा है पांच फीट लंबा मगरमच्छ
बिजनौर के चाहड़वाला गांव में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक किसान सोकर उठे तो देखा कि घर में एक मगरमच्छ बैठा है। यह देखकर उनके होश उड़ गए। उन्होंने शोर मचा दिया। ग्रामीणों ने मगरमच्छ को कमरे में बंद कर दिया। वन विभाग को सूचना दे गई। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची।

संवाद सूत्र, जागरण मंडावर (बिजनौर) : एक मगरमच्छ नाले के रास्ते होते हुए एक किसान के घर में घुस गया। किसान की आंख खुली तो मगरमच्छ उनके सामने फर्श पर मुंह खोले बैठा था। किसान के होश उड़ गए। ग्रामीणों ने मगरमच्छ को कमरे में बंद कर दिया और वन विभाग की टीम को बुलाया। वन विभाग की टीम ने मगरमच्छ को पकड़कर गंगा में छोड़ा है।
गांव चाहड़वाला गंगा से मुश्किल से 150 से 200 मीटर दूर है। पहाड़ों पर बरसात होने से इस समय गंगा का जलस्तर बढ़ा हुआ चल रहा है। गांव के पास में ही एक तालाब है। तालाब के पास में शीशराम सिंह का मकान है। मंगलवार सुबह शीशराम सिंह घर में कमरे में सोए थे।
उनकी सुबह को आंख खुली तो उनके सामने एक मगरमच्छ मुंह खोले फर्श पर बैठा था। मगरमच्छ करीब पांच फीट लंबा था और उसका वजन 45 किलोग्राम से अधिक था।
आंखों के सामने एकदम से मगरमच्छ को देखकर शीशराम सिंह के होश उड़ गए और उन्होंने शोर मचा दिया। शोर सुनकर ग्रामीणों की भीड़ एकट्ठा हो गई।
उन्होंने मगरमच्छ को कमरे में बंद कर दिया। वन विभाग की टीम ने आकर मगरमच्छ को रस्सी से बांधा और गंगा में छोड़ दिया। गांव वालों ने बताया कि मगरमच्छ कई बार तालाब में दिखाई दे चुका है। शीशराम सिंह के घर से एक चौड़ी नाली के जरिए तालाब में पानी जाता है। आशंका है कि मगरमच्छ उसी नाली से होकर घर में आया होगा।
अलग हैं घड़ियाल और मगरमच्छ के प्राकृतिक आवास
जिले में गंगा में मगरमच्छ और घड़ियाल दोनों मिलते हैं, लेकिन दोनों के प्राकृतिक आवास में फिर भी थोड़ा अंतर होता है। घड़ियाल गंगा की धारा में रहते हैं जबकि मगरमच्छ रूके हुए पानी जैसे तालाब में। गांवों के आसपास तालाबों में अक्सर मगरमच्छ रहते हैं। इसके अलावा गंगा के वेटलैंड क्षेत्र में भी मगरमच्छ रहते हैं।
क्षेत्रीय वनाधिकारी महेशचंद्र गौतम का कहना है कि चाहड़वाला में एक अल्पव्यस्क मगरमच्छ घुस गया था। ग्रामीणों ने उसे नुकसान नहीं पहुंचाया और वन विभाग की टीम को बुलाया। मगरमच्छ को पकड़कर गंगा में छोड़ दिया गया है। ग्रामीणों से सचेत रहने और वन्यजीवों को नुकसान न पहुंचाने को कहा गया है।
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