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    Bijnor: कोबरा से भी खतरनाक सांप ने युवक को डसा, लगाए 32 एंटी वैनम इंजेक्शन और फिर जो हुआ उसे देख परिवार...

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 08:41 PM (IST)

    Bijnor News बिजनौर के हल्दौर में एक युवक को सोते समय कामन करैत सांप ने डस लिया। परिवार वाले उसे तुरंत अस्पताल ले गए जहां उसे 32 एंटी वैनम इंजेक्शन लगाए गए। बताया गया कि कामन करैत सांप कोबरा से भी ज्यादा खतरनाक होता है इसलिए तुरंत इलाज जरूरी है। झाड़-फूंक से बचना चाहिए।

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    कामन करैत सांप ने डसा, 32 एंटी वैनम इंजेक्शन लगकर बची जान (सांकेतिक फोटो)

    संवाद सूत्र, जागरण हल्दौर (बिजनौर)। कमरे में पलंग पर सोए युवक को काम करैत सांप ने डस लिया। स्वजन युवक को अस्पताल ले गए। वहां उसे एंटी वैनम के 32 इंजेक्शन लगाए गए और उसकी जान बच गई। इससे परिवार ने राहत की सांस ली।

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    गांव मलपुरा निवासी विजयपाल सिंह के 27 वर्षीय पुत्र लोकेश को शुक्रवार तड़के कमरे में कामन करैत सांप ने हाथ के अंगूठे में डस लिया था। डसने बाद सांप छिप गया, लेकिन लोकेश ने उसे देख लिया था। स्वजन उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां से लोकेश को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया गया। स्वजन लोकेश को निजी अस्पताल लेकर गए। वहां उसे 32 एंटी वैनम इंजेक्शन लगाए गए।

    जिले में सांप के डसने पर कई लोग झाड़ फूंक वालों के पास ले जाते हैं। अगर स्वजन लोकेश को भी किसी वाले के पास ले जाते तो उसकी जान पर बन आती। इस मामले में सर्प मित्र भरत भास्कर ने बताया कि कामन करैत सांप कोबरा से भी खतरनाक होता है। 

    इसके जहर में न्यूरोटाक्सिन होते हैं, इससे तंत्रिका तंत्र प्रभावित होता है। समय पर उपचार नहीं मिलने पर मांसपेशियों की कमजोरी और सांस लेने में दिक्कत के कारण जान जा सकती है। अगर किसी को कोई भी सांप डस ले तो घबराना नहीं चाहिए और तुरंत उपचार के लिए चिकित्सक के पास जाना चाहिए।

    यह होता है सांप के डसने पर

    डाक्टरों के अनुसार देश में पाए जाने वाले सांपों में पच्चीस-तीस प्रतिशत के आसपास की जहरीले होते हैं, लेकिन किसी भी सांप के डसने पर डाक्टर को जरूर दिखाएं। सांप के डसने से न्यूरोटाक्सिक व वासक्यूलोटाक्सिक के लक्षण होते हैं। न्यूरोटाक्सिक में मरीज के दिमाग पर असर पड़ता है। उसका खून का दौरा बंद हो जाता है। इस कारण व्यक्ति की मौत हो जाती है। वासक्यूलोटाक्सिक के मामले में पूरे शरीर का ब्लड सर्कुलेशन रूक जाता है। शरीर में अंदरूनी व बाहरी हिस्सों में ब्लीडिंग होने लगती है। जिससे मौत हो जाती है।