अब नहीं सताएगा बाढ़ का डर...बिजनौर में गंगा की धारा से हटेंगे सिल्ट के टापू, बनेगा 7 किलोमीटर लंबा चैनल
बिजनौर में गंगा नदी की धारा से सिल्ट के टापू हटाए जाएंगे। बाढ़ से बचाव के लिए सात किलोमीटर लंबा चैनल बनाया जाएगा। इस परियोजना से क्षेत्र में बाढ़ का ख ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बिजनौर। गंगा के प्रकोप को शांत करने और बाढ़ के खतरे को कम करने के लिए पहले नदी की धारा के बीच में काम किया जाएगा। नदी की धारा के बीच से सिल्ट के टापू साफ किए जाएंगे और पानी के बहने के लिए चैनल बनाया जाएगा।
नदी के बैड क्षेत्र को भी गहरा किया जाएगा। नदी को खुलकर बहने की जगह मिलेगी तो धारा तटबंध की ओर कटान नहीं करेगी। साथ ही गांवों की ओर बाढ़ का खतरा भी खत्म हो जाएगा।
सिंचाई विभाग द्वारा इसकी परियोजना बनाकर भेजी गई है। आठ दिसंबर 2025 जिले में यह वह तारीख थी जिस दिन गंगा किनारे के दो दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीणों के अलावा जिला मुख्यालय के लोगों की आंख से रात भर नींद गायब थी।
पहाड़ों पर बरसात से गंगा पूरे वेग से बह रही थी और गंगा का पानी रावली तटबंध को तेजी से काटकर बहा रहा था। लग रहा था कि तटबंध अब टूटा कि अब टूटा।
तटबंध टूटता तो गंगा का पानी कितने गांवों में भरता, कहां तक जाता इसकी कल्पना से ही लोग डरे हुए थे। चमत्कार हुआ और तटबंध किसी तरह टूटने से बच गया, लेकिन धारा अभी भी तटबंध से ही सटकर बह रही है। इसका कारण है कई किलोमीटर तक गंगा की धारा के बीच में सिल्ट के टापू बने हैं।
गंगा की धारा उत्तराखंड से जिले में आती है। इसमें मालन और सोनाली नदी भी यहीं समाहित होती हैं। इन नदियों के पानी के साथ खेतों में कटान की मिट्टी, सिल्ट आदि भी आती है। पानी बह जाता है और सिल्ट धारा में जमी रह जाती है जो धीरे-धीरे धारा से भी ऊंचे टापू का रूप ले लेती है।
इन टापुओं की वजह से गंगा में पानी धीरे-धीरे तटबंध की ओर शिफ्ट होता जा रहा है। पूरे वेग से पानी न निकलने पर पानी पीछे की ओर जोर मारता है और तटीय गांवों की खेतों में भर जाता है। तटबंध बच गया लेकिन खतरा तो अभी भी है। इस खतरे से निपटने के लिए सिंचाई विभाग पहली बार गंगा की धारा में चैनल बनाने जा रहा है।
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ऐसे होगा काम
गंगा की धारा में रावली से लेकर बैराज तक लगभग सात किलोमीटर क्षेत्र में सिल्ट को बड़ी मशीनों से हटाकर तटबंध की ओर डाला जाएगा। इससे तटबंध मजबूत होगा। साथ ही गंगा की धारा तो चार से पांच मीटर तक गहरा किया जाएगा। धारा के बीच में कोई व्यवधान नहीं होगा तो पानी सरपट बहता चला जाएगा।
आज तक साफ नहीं हुई सिल्ट
बिजनौर में चौधरी चरण सिंह मध्य गंगा बैराज का निर्माण वर्ष 1984 में हुआ था। तब से अब तक गंगा की धारा में सिल्ट साफ नहीं हुई है। उत्तराखंड से पानी के साथ जो भी सिल्ट बहकर आई वह धारा के बीच में जमा होती गई।
गंगा का पानी बीच धारा को छोड़कर दोनों ओर कटान करता रहा। इससे गंगा की धारा पांच किलोमीटर से भी अधिक चौड़ी हो गई है।
गंगा की धारा में चैनल बनाने का प्रस्ताव भेजा गया है। इसे जल्दी ही मंजूरी मिलने की संभावना है। यांत्रिकी खंड द्वारा गंगा की धारा में तटबंध बनाने का कार्य किया जाएगा।
ब्रजेश मौर्य, अधिशासी अभियंता- सिंचाई विभाग

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