Bijnor News : रावली-बैराज तटबंध को बचाने के लिए प्रशासन की पहल, कटाव रोकने के लिए चल रहा युद्धस्तर पर काम
Bijnor News बिजनौर में रावली-बैराज तटबंध को बचाने के लिए प्रशासन ने प्रयास तेज कर दिए हैं। गंगा का जलस्तर बढ़ने से कटाव का खतरा बढ़ गया है जिससे लाखों लोगों के जीवन पर असर पड़ सकता है। सिंचाई विभाग कटान रोकने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है। एसडीएम ने भी कटान निरोधी कार्य का निरीक्षण किया।

जागरण संवाददाता, बिजनौर । रावली-बैराज तटबंध के कटान को रोकने के लिए प्रशासन ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। दो वर्ष पहले भी गंगा ने मंडावर में गलखा देवी मंदिर के पास बहुत कटान किया था। तब किसी तरह कटान को रोका गया था। पिछले वर्ष गंगा की धारा शांत ही रही थी लेकिन इस वर्ष फिर से विकराल रूप से कटान कर रही है। अगर गंगा के तटबंध काट दिया तो लाखों लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो जाएगा।
बीते एक माह से गंगा का जलस्तर काफी बढ़ा हुआ चल रहा था। जलस्तर बढ़ने पर गंगा की धारा सामान्य से थोड़ा ऊंची हो जाती है। ऐसी स्थिति में कटान नहीं होता है। लेकिन जलस्तर थोड़ा कम होने के बाद भी गंगा की धारा बहुत तेज होती है। यह धारा तटबंध या खेतों की मिट्टी में नीचे से कटान करती है।
नीचे की ओर कटान होने से ऊपर की मिट्टी अपने आप नदी में गिर जाती है। कटान को रोकने के लिए सिंचाई विभाग द्वारा दो वर्ष पूर्व कटान निरोधी कार्य किया गया था लेकिन गंगा की धारा खादर में रूख बदलती रहती है। इस समय गंगा की धारा बहुत तेज है और उसके आगे कटान निरोधी कार्य आसानी से नहीं किए जा सकते हैं।
लगभग एक माह पहले ही मालन का तटबंध टूट गया था। तब एक दर्जन गांवों में पानी भर गया था और बाढ़ आ गई थी। केवल 20 मीटर कटा तटबंध नदी के तेज बहाव से कुछ ही घंटों में 100 मीटर तक हो गया था। तब प्रशासन द्वारा तटबंध को ठीक करने में पूरी एडी चोटी का जोर लगाने के बाद भी 72 घंटे से अधिक का समय लग गया था। मालन में पानी बहुत कम होता है लेकिन गंगा में उससे कहीं अधिक पानी बह रहा है। हालांकि सिंचाई विभाग द्वारा कटान को रोकने का काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है।
पोकलेन मशीन से तटबंध के किनारे मिट्टी लगाई जा रही है। एसडीएम रितु चौधरी ने भी कटान निरोधी कार्य का निरीक्षण किया। ब्रजेश मौर्य, अधिशासी अभियंता का कहना है कि तटबंध को कटने से रोकने के लिए अभियान शुरू कर दिया गया है। पेड़ आदि काटकर धारा के पास डाले जा रहे हैं। गंगा की तेज गति के कारण थोड़ी समस्या आ रही है।
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