विदेशों तक हैं नगीना की काष्ठकला के कद्रदान, 90 प्रतिशत माल होता है निर्यात, सरकार के इस कदम से उद्यमियों को है बड़ी आस
Bijnaur News बिजनौर के नगीना की काष्ठकला अंग्रेजों के समय से विदेशों में मशहूर है। आज भी 90% से अधिक माल बाहर जाता है जहां हाथ की नक्काशी पसंद की जाती है। अमेरिकी सबसे बड़े खरीदार हैं। सरकार एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत सामान्य सुविधा केंद्र बना रही है जिससे उत्पादन बढ़ेगा और लागत कम होगी। इससे काष्ठकला उद्योग को और बढ़ावा मिलेगा।

जागरण संवाददाता, बिजनौर : नगीना का काष्ठकला कारोबार अंग्रेजों के समय से विदेशी बाजार में जगह बना चुका है। आज भी 90 प्रतिशत से अधिक माल विदेशों में ही जाता है। यहां हाथ से लकड़ी पर होने वाले नक्काशी को खूब पसंद किया जाता है। अमेरिकी काष्ठकला आइटम के सबसे बड़े खरीदार थे।
नगीना में काष्ठकला का काम 250 से 300 वर्ष से अधिक समय से हो रहा है। अंग्रेजी हुकुमत के समय अंग्रेज अफसर भी अपने स्वजन के साथ नगीना में काष्ठकला के आइटम खरीदने के लिए आते थे। उन्होंने काष्ठकला को विदेशों में पहचान दिलाई और बाजार भी। नगीना का काष्ठकला जिले के प्रमुख व्यवसायों में से एक है। प्रदेश सरकार द्वारा इसे एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया गया है।
विदेशों में चाइना के आइटम को टक्कर देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा जिले में तीन कामन फेसिलिटी सेंटर बनाए जा रहे हैं। यहां पर ताइवान से मंगवाकर मशीन लगवाई गई हैं। आधुनिक मशीनों और कंप्यूटर ग्राफिक्स की मदद से यहां पर काष्ठकला के आइटम बनाए जाएंगे। इनमें से एक कामन फेसिलिटी सेंटर का उदघाटन जल्दी ही होने का अनुमान है। काष्ठकला उद्यमी आफताब अहमद का कहना है कि नगीना की काष्ठकला अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती है। कामन फेसिलिटी सेंटर बनने से लागत कम होगी और कम समय में माल तैयार होगा। इससे काष्ठकला उद्योग को और बढ़ावा मिलेगा।
आंकड़ों से समझें
450 करोड़ का टर्नओवर है काष्ठकला का
800 काष्ठकला इकाई संचालित हैं नगीना में
15000 लोगों को रोजगार देती है काष्ठकला
03 कामन फेसिलिटी सेंटर बनाए जा रहे हैं जिले में
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