Bijnor News: मध्य गंगा नहर से वन्यजीवों के लिए बनेगा कारिडोर, दस वाटर होल, सिंचाई विभाग ने शासन को भेजा प्रस्ताव, जल्द मिलेगा बजट
Madhya Ganga Canal project सड़कों पुलों और नहरों के निर्माण से मनुष्य ही नहीं वन्यजीव भी प्रभावित होते हैं। मनुष्य तो विस्थापित होकर भी अपना जीवन फिर ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, बिजनौर: विकास कार्याें में अब वन्यजीवों की अनदेखी नहीं की जाएगी। जिले से निकलने वाली मध्य गंगा नहर फेज 2 पर वन्यजीवों के लिए पांच कारिडोर बनाए जाएंगे। इसके अलावा उनके लिए प्यास बुझाने को दस जगह वाटर होल बनाए जाएंगे। इनके प्रस्तावों को शासन ने भी मंजूरी दे दी है। जल्दी ही इसके लिए बजट जारी कर दिया जाएगा।
इन जिलों में मिलेगा भरपूर पानी
अमरोहा, संभल व मुरादाबाद जिलों के किसानों की फसलों की सिंचाई के लिए गंगा बैराज से 66 किलोमीटर लंबी मध्य गंगा नहर फेज 2 बनाई गई है। इसमे दो ट्रायल भी पूरी तरह सफल हो चुके हैं। नहर के बनने से पूरा इलाका दो भागों में बंट गया है। लेकिन वन्यजीवों की प्रवास व अन्य आदतों को देखते हुए वन विभाग ने नहर पर एनिमल कारिडोर व वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए वाटर हाल बनवाने की मांग सिंचाई विभाग से की गई थी।
सिंचाई विभाग ने पांच एनिमल कारिडोर और दस वाटर हाल का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था। इन प्रस्तावों को शासन ने हरी झंडी दे दी है। जल्दी ही इस परियोजना के लिए बजट जारी होने की उम्मीद है।
वाटर हाल से बुझेगी प्यास
वन्यजीवों को खेतों में गन्ने आदि की फसल में शरण मिलती है। एक क्षेत्र में फसल कम होने पर वे दूसरे इलाकों में चले जाते हैं। खेतों में ही उन्हें संरक्षण मिलता है। पुल बनने से वे कहीं भी आ जा सकेंगे। इसके अलावा नहर में चलने वाले हजारों क्यूसेक पानी भी वन्यजीवों की प्यास नहीं बुझा पाता है। वाटर हाल से वन्यजीवों की प्यास बुझेगी।
'मध्य गंगा नहर फेज 2 पर एनिमल कारिडोर और नहर के आसपास वाटर होल बनाने के प्रस्ताव भेजे गए थे जो स्वीकृत हो गए हैं। बजट जारी होने पर कारिडोर व वाटर होल का निर्माण कराया जाएगा।' पीपी गौतम, एक्सईएन-सिंचाई विभाग

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