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    Mathura News: श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मंदिरों का समय बदला; देशी नुस्खा दे रहा अविचल गिरिराजजी को सर्दी से राहत

    By Manoj KumarEdited By: Abhishek Saxena
    Updated: Tue, 28 Nov 2023 08:58 AM (IST)

    Mathura News In Hindi ये ब्रजभूमि है। यहां पालनहार का भी पालन किया जाता है। भगवान को बाल स्वरूप में लाड़ लड़ाया जाता है तो सर्दी गर्मी से बचाव के उपाय ...और पढ़ें

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    आज से बदलेगा श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मंदिरों का समय

    जागरण संवाददाता, मथुरा/गोवर्धन। श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मंदिरों के समय में मंगलवार से परिवर्तन हो गया है। श्रद्धालुओं को आज से नए समय से दर्शन हो रहे हैं। अब श्रीगभर्गृह मंदिर के दर्शन सुबह 6.30 बजे से रात 8.30 बजे तक होंगे। अभी तक श्रद्धालु सुबह 6.30 बजे से रात नौ बजे तक दर्शन करते थे।

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    भागवत भवन और अन्य मंदिर के दर्शन सुबह 6.30 बजे से दोपहर एक बजे तक होंगे। शाम के दर्शन दोपहर तीन बजे से रात 8.30 बजे तक होंगे। अभी तक यह दर्शन शाम चार बजे से रात नौ बजे तक होते थे।

    सर्दी से बचाने के लिए उपाय

    प्रभु को कहीं सर्दी न लग जाए। भक्तों को प्रभु के स्वास्थ्य की चिंता सताने लगी है। दानाघाटी मंदिर के सेवक विष्णु शर्मा ने बताया कि बढ़ती ठंड से गिरिराज बीमार न पड़ जाएं, इसके लिए शयन के समय मखमली रजाई का प्रयोग किया जा रहा है। भगवान का सर्दी से बचाव करने को भक्त तमाम प्रयास कर रहे है। सुबह लगने वाली ठंड से बचाव को प्रभु की सेवा में देसी नुस्खा सुहाग-सोंठ का सेवन कराया जा रहा है। सुहाग-सोंठ में गरम मसालों का प्रयोग किया जाता है।

    भाेग में आया बदलाव

    मुकुट मुखारविंद मंदिर रिसीवर कपिल चतुर्वेदी ने बताया कि मंगला आरती के समय प्रभु को सुहाग-सोंठ का भोग लगाया जाता है। मंगला के बाद मेवा युक्त गरेम खिचड़ी बाल भोग में शामिल की जाती है। प्रभु के प्रसाद में आने वाले पदार्थों की सूची बदल दी गई है। प्रभु के अभिषेक में केसर युक्त दूध रबड़ी का प्रयोग किया जा रहा है।

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    इनका होता है प्रयोग

    जतीपुरा मुखारविंद मंदिर के सेवायत सुनील पुरोहित के अनुसार गिरिराज प्रभु की सेवा में गरमी प्रदान करने वाली वस्तुएं धराई जा रही हैं। गिरिराज प्रभु को सर्दी से बचाव के लिए बनाई जाने वाली सुहाग-सोंठ में कई सामग्री मिलाकर बनाई जाती है।

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    सुहाग सोंठ में मुख्यत: केसर, कस्तूरी, जावित्री, काली मिर्च, लौंग, सोंठ, जायफल, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, खोवा, चीनी आदि का प्रयोग किया जाता है।