पर्णकुटी का दर्शन कर निहाल हो रहे भक्त
काशी-प्रयाग के मध्य मोक्षदायिनी गंगा के तट पर स्थित सेमराधनाथ धाम में कल्पवास माघ मेला स्थल पर संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी रामशंकर दास की पर्णकुटी के दर्शन मात्र से भक्तों को मुक्ति मिलती है। पर्णकुटी के दर्शन से भक्त हो रहे निहाल हो रहे हैं।
जागरण संवाददाता, ऊंज (भदोही) : काशी-प्रयाग के मध्य मोक्षदायिनी गंगा के तट पर स्थित सेमराधनाथ धाम में कल्पवास माघ मेला स्थल पर संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी रामशंकर दास की पर्णकुटी के दर्शन मात्र से भक्तों को मुक्ति मिलती है। पर्णकुटी के दर्शन से भक्त हो रहे निहाल हो रहे हैं। मेले के उत्तराधिकारी स्वामी रामशंकर दास ने 14 जनवरी 1996 को कल्पवास मेले का शुभारंभ किया था। इसके पश्चात वह ब्रम्हलीन हो गए।
कल्पवास स्थल पर स्वामी जी की बनाई गई पर्णकुटी (आश्रम) पर भक्त गंगा स्नान व दर्शन के बाद मत्था टेकते हैं। उत्तराधिकारी स्वामी करुणा शंकर दास ने बताया कि कुटी के अंदर महाराज जी का चित्र, मां गंगा के चित्र के साथ श्रीराम जानकी मंदिर में सिर झुकाने के बाद श्रद्धालु सेमराध में कुएं में विराजमान देवाधिदेव महादेव का दर्शन करते हैं।
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28 से शुरू होगा एक माह का अखंड हरिकीर्तन
- कल्पवास माघ मेले में एक माह के अखंड हरिकीर्तन (राम नाम का जप) 28 जनवरी से शुरू होगा। समापन 27 फरवरी को होगा। इसके साथ ही एक फरवरी से सात फरवरी तक प्रयाग के स्वामी शांतनु जी महाराज प्रति दिन भागवत कथा का रसपान कराएंगे। 16 फरवरी से नौ दिवसीय शतचंडी महायज्ञ का भी आयोजन होगा।