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    MNREGA Scam: प्रधान ने अपने खाते में मंगा लिया मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी, शिकायत पर खुली पोल

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 01:40 PM (IST)

    बस्ती जिले के कुदरहा विकास खंड के रैनिया ग्राम पंचायत में प्रधान पर मनरेगा श्रमिकों की मजदूरी का पैसा अपने खाते में जमा कराने का आरोप है। शिकायत के बाद डीएम ने जांच टीम गठित की पर अभिलेख न मिलने से कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका। शिकायतकर्ता ने प्रधान पर स्वयं मनरेगा कर्मी बनकर पैसा निकालने का आरोप लगाया है जिसके सबूत भी दिए हैं।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, बस्ती। ग्राम पंचायत रैनिया में प्रधान ने गांव के मनरेगा श्रमिकाें की मजदूरी का भुगतान अपने ही खाते में करा लिया। शिकायत के बाद हुई जांच में यह मामला सामने आया। हालांकि अभिलेख न मिलने से यह नहीं पता चल सका कि कितना मजदूरी खाते में लिया गया।

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    कुदरहा विकास खंड के रैनिया ग्राम पंचायत निवासी श्रवण कुमार ने 17 जून को जिलाधिकारी को शपथ पत्र के साथ शिकायत किया था। उनका आरोप था कि प्रधान मनरेगा श्रमिक बनकर पैसा निकाल रहे। इसके बाद डीएम ने जांच के लिए श्रम परिवर्तन अधिकारी नागेंद्र मणि त्रिपाठी की अध्यक्षता में टीम का गठन कर प्रकरण की जांच के निर्देश दिए।

    टीम में अवर अभियन्ता नलकूप खंड बस्ती अरविन्द यादव, सहकारी समितियों एवं पंचायत लेखा परीक्षा बस्ती अनिल कुमार सिंह को शामिल किया गया। जांच टीम ने 19 अगस्त को अपनी रिपोर्ट में कहा कि रैनिया के ग्राम विकास अधिकारी गोरखनाथ, प्रधान रामदौड़, शिकायतकर्ता श्रवण कुमार, बृजेन्द्र कुमार, शीला देवी, अनुया देवी, गायत्री देवी एवं अमरावती देवी आदि ग्रामीणों से बातचीत कर मामले की जांच की गई।

    अभिलेखीय जांच के लिए बीडीओ कुदरहा को पत्र लिखकर संबंधित पटल सहायक, पंचायत सचिव को अपने स्तर से समस्त अभिलेखों के साथ 19 अगस्त को उपस्थित होने का निर्देश दिया गया था, किन्तु उनके द्वारा कोई भी अभिलेख उपलब्ध नहीं कराया गया।

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    ऐसे में जांच टीम का किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचना सम्भव नहीं है। शिकायतकर्ता की ओर से पोखरे की खोदाइ जेसीबी से करते हुए फोटोग्राफ्स एवं वीडियो उपलब्ध कराया गया था। शिकायतकर्ता ने यह भी अवगत कराया कि रामदौड़ (पंजीकरण पहचान पत्र संख्या-UP-53-013-019-002/57) ग्राम प्रधान की ओर से स्वयं मनरेगा का कर्मी बनकर मनरेगा का पैसा अपने खाते में भुगतान कराया जाता था। जिसका साक्ष्य शिकायतकर्ता की ओर से उपलब्ध कराया गया है। जांच टीम ने डीपीआरओ को रिपोर्ट सौंप दी है।

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