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    बस्ती के तिलकपुर में यूकेलिप्टस के पेड़ पर दिखे जटायु के वंशज, पर्यावरण प्रेमियों ने बताया शुभ संकेत

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 11:04 AM (IST)

    बस्ती के तिलकपुर में यूकेलिप्टस के पेड़ पर जटायु के वंशज गिद्ध दिखे। पर्यावरण प्रेमियों ने इसे शुभ संकेत बताया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये दुर्लभ प्रजाति के गिद्ध हैं। पर्यावरण प्रेमियों ने इनके संरक्षण पर जोर दिया है, क्योंकि गिद्ध प्रकृति के सफाईकर्मी माने जाते हैं और इनका दिखना पर्यावरण के लिए अच्छा है।

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    लगभग 20 की संख्या में दिखे भारतीय गिद्ध (जिप्स इंडिकस)

    जागरण संवाददाता, बस्ती। जनपदवासियों के लिए एक अच्छी खबर है। कप्तानगंज रेंज के तिलकपुर गांव में पेड़ों पर अचानक जटायु के वंशज यानि गिद्ध दिखे तो लोग उन्हें कौतूहलवश देखते रहे। इनके दिखने की खबर मिलते ही गांव निवासी भाजपा जिलाध्यक्ष विवेकानन्द मिश्र के स्वजन भी मौके पर पहुंच गए। सभी ने पेड़ों पर मौजूद गिद्धों की फोटो भी अपने मोबाइल के कैमरों में कैद की।

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    क्षेत्रीय वन अधिकारी शारदानन्द त्रिपाठी ने बताया कि यह भारतीय गिद्ध है जिसे जिप्स इंडिकस कहा जाता है। यह भारतीय उपमहादीप में पाया जाता है जो लगभग 99 प्रतिशत खत्म हो चुका है। ऐसे में इनका बस्ती में दिखना पर्यावरण प्रेमियों व वन विभाग के लिए एक शुभ संकेत है।

    हल्के भूरे रंग का, मध्यम आकार के यह गिद्ध अचानक गुरुवार को तिलकपुर गांव में पहुंच गए। यूकेलिप्टस के पेड़ों पर बैठे तकरीबन 20 गिद्धों पर ग्रामीणों की नजर उस समय पड़ी जब गिद्धों के बच्चाें को कौवे परेशान कर रहे थे। लोगों ने पेड़ों पर गिद्धों को देखा तो उन्हें पुराने दिनों की याद आ गई है।

    बड़े इन्हें देख उनकी चर्चा में लीन हो गए तो बच्चे कौतूहलवश उन्हें देखते रहे। जिला पर्यावरण समिति के सदस्य एडवोकेट मनमोहन श्रीवास्तव ने कहा कि जिले में गिद्ध और उनके बच्चों को देखकर लगता है कि अब वह धीरे धीरे जीवन की राह पकड़ रहे हैं।

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    गिद्धों के विलुप्त होने का कारण
    क्षेत्रीय वन अधिकारी शारदानन्द तिवारी ने बताया कि भारत में गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश अब विलुप्त होने के कगार पर हैं। गिद्धों की आबादी लगभग खत्म होने का मुख्य कारण डाइक्लोफिनेक दवा थी, जो गिद्धों द्वारा खाए जाने वाले मवेशियों के शवों में पाई जाती थी। पशु चिकित्सा में उपयोग की जाने वाली इस दवा पर 2008 में प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद से कभी कभार गिद्ध दिखाई पड़ने लगे। बस्ती में तो यह कई वर्ष बाद दिखे हैं।