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    Basti News: सालों से सरकारी भूमि पर दबंगों का कब्जा, भू-माफिया घोषित नहीं

    Updated: Sat, 13 Sep 2025 01:01 PM (IST)

    बस्ती जिले में सरकारी जमीनों पर भू-माफियाओं का कब्जा है और प्रशासन कार्रवाई से बच रहा है। एंटी भू-माफिया पोर्टल पर हजारों शिकायतें आने के बाद भी जमीनी स्थिति जस की तस है। राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से कई मामले वर्षों से लंबित हैं और आयुक्त के निर्देशों के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। लैबुड़वा ताल पर भी 49 लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है।

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    मरवटिया में विवादित भूमि पर बनाई जा रही पानी की टंकी स्वयं

    ब्रजेश पांडेय, बस्ती। शासन ने प्रशासन को भू-माफिया पर कार्यवाही को लेकर समय-समय पर सख्त निर्देश दिए हैं, पर जनपद भू-माफिया मुक्त है। प्रशासन की रिपोर्ट में भू- माफिया का कालम शून्य है, जबकि सरकारी जमीनों पर दबंगों के कब्जा की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं और दबंग राजस्व कर्मियों की गोद में बैठे हैं।

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    प्रशासन कार्यवाही से परहेज करता है। इस प्रवृत्ति से भूमि विवाद बढ़ते जा रहे हैं। एंटी भू-माफिया पोर्टल पर अब तक 3282 शिकायतें आईं, जिनमें से 3272 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया है, जबकि दस शिकायतों का निस्तारण नहीं हो सके हैं। जबकि सच्चाई कुछ और ही है।

    केस एक

    मरवटिया सदर बस्ती के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पूर्व सांसद स्व. अनन्त प्रसाद धुसिया की भूमिधरी पर लेखपाल और तहसील कर्मियों ने मिलकर न सिर्फ एक दबंग को कब्जा करा दिया है, बल्कि वहां गलत रिपोर्ट लगवाकर पानी की टंकी का निर्माण करा रहे हैं। पूर्व सांसद के पुत्र पठान टोला निवासी रतनदीप को जीत मिली है, लेकिन राजस्व कर्मी अपना गर्दन फंसता देख खतौनी का पन्ना बीच से फाड़कर नष्ट कर दिए।

    इन कर्मचारियों और भू-माफिया पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं हुई। रतन दीप न्याय के लिए उच्च न्यायालय इलाहाबाद गए, जहां से भूमि-धरी की पैमाइश के लिए आदेश किए गए, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई।आरोप है कि लेखपाल ने वहां की सरकारी भूमि को पैसा लेकर बेच दिया है।

    केस दो

    आयुक्त न्यायालय में वाद संख्या 162/2023 प्रचलित है। संबंधित भूमि संपत्ति राज्य सरकार कैसर हिंद के नाम से अभी भी दर्ज है। इस भूमि को कब्जा से मुक्त कराने के लिए आवास विकास कालोनी के दीनानाथ शुक्ला लड़ाई लड़ रहे हैं, यह मामला 2017 से चल रहा है।

    राजस्व कर्मियों ने जब फर्जी दस्तावेज के सहारे एक पक्षीय आदेश करा दिया तो अपील में 27 जनवरी 2023 को यह मामला सदर तहसील से स्थानांतरित होकर आयुक्त कार्यालय में पहुंचा।

    शुक्ला का कहना है कि सरकार उत्तर प्रदेश द्वारा जिलाधिकारी बस्ती बनाम राम सेवक आदि के इस वाद में निर्णय तो दूर संबंधित कब्जेदार को नोटिस भी नहीं दी गई है। करोड़ों की बेशकीमती जमीन हैं, जिसे दूसरे के नाम फर्जी तरीके से करने में लेखपाल और कानूनगो की गर्दन फंस रही है। नजूल की इस भूमि पर 22 वर्षों से कब्जा है।

    केस तीन

    सदर तहसील में पीपी एक्ट 1971 के तहत सुनवाई के लिए उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद बनाम राम सेवक के नाम से केस नंबर 8/1999 अभी तक लंबित है। एसडीएम सदर के न्यायालय में यह मामला 26 वर्षों से लटका है, लेकिन कोई कार्रवाई इस पर नहीं हो पा रही है। सरकार की जमीन पर संबंधित व्यक्ति ने मकान और दुकान का भी निर्माण करा लिया है। इस केस में भी लेखपाल और राजस्व कर्मियों की मिली भगत सामने आ रही है।

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    एक वर्ष पहले आयुक्त ने सभी एसडीएम को भू-माफया को चिन्हित कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन इस पर अमल नहीं हो सका। भूमि विवाद से जुड़े मामले जो न्यायालय में चल रहे हैं, उसे भी जल्द निस्तारित करने के लिए आइजीआरएस और एंटी भू-माफिया पोर्टल का सहारा लिया जा रहा है, लेकिन अधिकारी पुराने मामलों को निस्तारित करने में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। लैबुड़वा ताल पर 49 लोगों ने कब्जा कर रखा है।

    इसकी फाइल भी राजस्व कर्मियों ने दबा रखा है, जिसमें कब्जेदार लेखपाल, कानूनगो, राजनीति, कचहरी और मीडिया से जुड़े लोग बताए जा रहे हैं। आइजीआरएस पर 101 विवादित मामले डिफाल्टर की श्रेणी में हैं। एंटी-भू माफिया पोर्टल पर आठ मामले सरकारी जमीनों पर कब्जा के लंबित हैं।दो मामले जल जमाव से जुडे हैं, जहां जल निकासी बाधित है।

    सरकारी भूमि से कब्जा हटाने के लिए समय-समय पर अभियान चलाए जाते हैं। जो मामले न्यायालयों में लंबित हैं, उन्हें भी यथाशीघ्र निस्तारित करने के निर्देश दिए गए हैं। सरकारी जमीनों में कब्जे को लेकर जहां तक राजस्वकर्मियों के संलिप्तता की बात है, तो उनपर भी जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। सभी तहसीलों में भू-माफिया चिन्हित कर कार्रवाई के लिए निर्देश दिए जाएंगे।

    -प्रतिपाल सिंह चौहान, एडीएम वित्त एवं राजस्व