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    UP के इस जिले में नहीं मिल रहा 70 हजार मतदाताओं का ठिकाना, 58 हजार मृतक आए सामने

    Updated: Thu, 11 Dec 2025 12:28 PM (IST)

    बस्ती में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के दौरान 70 हजार से अधिक मतदाताओं का पता नहीं चल पा रहा है, जबकि 58 हजार मतदाताओं को मृतक मान लिया गया है। मकान न ...और पढ़ें

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    कैंप लगाकर 20 प्रतिशत से अधिक नो-मैंपिंग वाले बूथों पर जमे रहे अधिकारी। जागरण

    ब्रजेश पांडेय, बस्ती। विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान में 70 हजार 425 मतदाताओं का ठिकाना नहीं मिल पा रहा है। मकान नंबर और पूरा पता पहले से दर्ज न होने के कारण बीएलओ भी मुसीबत में पड़े हैं। इन्हें ढूंढ़ना चुनौती भरा काम है। ऐसे में यदि कोई जागरूक मतदाता होगा और वह अपने बीएलओ से संपर्क स्थापित कर लेगा तो कार्य आसान हो जाएगा, नहीं तो उनके नाम भी डिलिट हो जाएंगे।

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    बूथ लेबल अफसरों की तरफ से जिले के 58 हजार 468 मतदाताओं को मृतक माना गया है। जिनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है। कुल मतदाताओं के सापेक्ष 10.10 प्रतिशत ऐसे मतदाता हैं, जिनकी वर्ष 2003 की सूची से मैपिंग नहीं हो पा रही है। इनकी संख्या 191964 है।

    जिले में कुल 1900430 मतदाता थे, जिनमें से 1567859 का डिजिटलाइनेशन पूरा हो चुका है। एसआइआर प्रक्रिया में मकान नंबर बड़ी चुनौती है, जिस पर आगे चलकर विवाद भी बढ़ सकते हैं, क्योंकि दूसरे के मकान नंबर पर कई-कई मतदाताओं के नाम दर्ज किए गए हैं। एक बूथ लेबर अफसर ने बताया कि आधार कार्ड में जो मकान नंबर अंकित है, उसका निर्वाचन सूची से कोई संबंध नहीं है।

    मकान नंबरों को ठीक करने का कोई आप्शन भी नहीं मिला है। इसमें निर्वाचन आयोग को एक बार और मेहनत करानी पड़ सकती है। सर्वाधिक परेशानी कस्बों और शहरी क्षेत्र में हैं, जिसे लेकर एसआइआर कार्य में जुटे अधिकारी भी परेशान हैं। अधिकारी मतदाताओं को दलील दे रहे हैं कि आगे जो भी दिशा-निर्देश आएगा, उसके अनुरूप कार्य होंगे, फिलहाल अभी मैपिंग पर पूरा जोर है।

    मड़वानगर और काशीराम आवासीय कालोनी में पहुंचे मुख्य राजस्व अधिकारी कीर्ति प्रकाश भारती व एडीएम राजेश यादव के सामने नागरिकों ने शिकायत किया कि उनके नाम पूर्व की मतदाता सूची में भी नहीं मिल रहे हैं। कई लोगों का नाम सूची में पहले से गायब कर दिया गया है। एसडीएम राजेश यादव ने कहा कि आगे चलकर फार्म छह, सात और आठ भरे जाएंगे, जिसके आधार पर उनका नाम सूची से जुड़ जाएगी।

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    डारीडीहा में पहुंचे अधिकारियों के सामने यह मामला उठा कि मतदाता अपने बूथ का नाम नहीं बता पा रहे हैं। कम पढ़े लिखे लोग बता नहीं पा रहे कि उनके माता-पिता कहां और किस बूथ पर मत डालते थे। ऐसे में उनका पता पूछकर 2003 की मतदाता सूची डाउनलोड करके उनके घर वालों के नाम ढूंढे जा रहे हैं। मड़वानगर में उपजिलाधिकारी सदर शत्रुध्न पाठक के सामने भी यही मामला उठा। मतदाताओं का नाम पता ढूंढ़कर मैपिंग ग्राफ को ठीक करने का कार्य होता रहा।

    अभियान में एएसडीडी यानी स्थानांतरित, अनुपस्थित, मृतक और समानता वाले मतदाताओं की सूची भी ठीक कराई जा रही है, जिसमें बीएलओ अपने अधिकारियों को बता रहे हैं कि उनसे पूर्व में कुछ गलतियां हो गई हैं, जिस पर उस मतदाता का रोल बैक यानी मूल रूप में आन लाइन उन्हें वापस किया जा रहा है, जिसके बाद बीएलओ द्वारा इन्हें उचित श्रेणी में रखा जा रहा है।
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    विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान का कार्य तेजी से चल रहा है। डिजिटलाइजेशन का कार्य पूरा हो चुका है। एएसडीडी मतदाताओं का सत्यापन व संशोधन का कार्य चल रहा है, जो 16 दिसंबर तक चलेगा। जिन लोगों का पता नहीं मिल पा रहा है, नागरिक सहयोग करें और बीएलओ की पूरी मदद करें। निर्वाचन कार्यालय के हेल्पलाइन नंबर 1950 पर सहयोग ले सकते हैं। जिनकी मैपिंग शेष रह जाएगी, उन्हें बाद में नोटिस दिया जाएगा।

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    -कृत्तिका ज्योत्स्ना, जिलाधिकारी, बस्ती