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    यूपी के इस मंडल में 12 मंदिरों का होगा पर्यटकीय विकास, खर्च होंगे 11.25 करोड़ रुपये

    Updated: Sat, 04 Oct 2025 01:16 PM (IST)

    अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के साथ यूपी सरकार बस्ती मंडल के 12 मंदिरों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने पर ध्यान दे रही है। इसके लिए 11.25 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। जल निगम की कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज को जिम्मेदारी सौंपी गई है। विक्रमजोत के चतुर्भुजी मंदिर सहित कई मंदिरों में यात्री निवास और अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

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    चतुर्भुजी मंदिर में विराजित प्रतिमा । जागरण

    ब्रजेश पांडेय, बस्ती। अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ प्रदेश सरकार का पूरा ध्यान आस-पास के जिलों के धार्मिक स्थलों को पर्यटकीय दृष्टि से मजबूत करने पर है। कुछ जगहों पर पहले से कार्य चल रहे हैं। अब नए कार्यों में प्रमुख चतुर्भुजी मंदिर सहित बस्ती मंडल के तीनों जिलों के 12 मंदिरों का पर्यटकीय विकास होगा।

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    इसमें अनुमानित लागत 11 करोड़ 25 लाख रुपये बताई गई है। शासन स्तर से इस कार्य की जिम्मेदारी जल निगम की कार्यदायी संस्था कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज को सौंपी गई है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में यह कार्य पूरा होने हैं। बजट की स्वीकृति का इंतजार है।

    बस्ती जनपद में तीन करोड़, सिद्धार्थनगर में साढ़े तीन करोड़ व संतकबीर नगर में सर्वाधिक 4 करोड़ 75 लाख रुपये खर्च होंगे। हर्रैया विधान सभा क्षेत्र के विक्रमजोत ब्लाक के चतुर्भुजी मंदिर लोनिया में यात्री निवास, लाइट, पेयजल, शौचालय आदि पर एक करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

    यह स्थान 84 कोसी परिक्रमा मार्ग के निकट है। महादेवा विधान सभा क्षेत्र के कुदरहा ब्लाक स्थित ग्राम गौराधुंधा प्राचीन शिव मंदिर और रुधौली के बैडवा समय माता मंदिर पर भी एक-एक करोड़ रुपये खर्च होंगे। सिद्धार्थनगर जनपद के गालापुर के वटवासिनी मंदिर, शोहरतगढ़ के प्राचीन समय माता भिरण्ड, जोगिया में योग माता मंदिर पर एक-एक करोड़ रुपये व कपिलवस्तु के मथुरानगर में स्थित ब्रह्मबाबा स्थान को पचास लाख रुपये से विकसित करने की कार्य योजना पर्यटन विभाग की तरफ से बनाई गई है।

    संतकबीर नगर के मेंहदावल में सांथा हनुमानगढ़ी एवं राम जानकी मंदिर, धनघटा में मगहरीपुर के दक्षिण पौराणिक नदी पर स्थित माता स्थान, बाबा बैजूधाम व खलीलाबाद के तमेश्वरनाथ मंदिर पर एक-एक करोड़ व नाथनगर में ठाकुरजी का मंदिर स्थल को विकसित करने के लिए 75 लाख रुपये खर्च होंगे।

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    चतुर्भुजी मंदिर पर मंगलवार को लगता है मेला

    अमोढ़ा राजघराने के प्राचीन चतुर्भुजी मंदिर परिसर में आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष के अंतिम मंगलवार को बुढ़वा मंगल मेले का वृहद आयोजन होता है। हर मंगलवार को मेला लगता है। यहां चतुर्भुज भगवान के दर्शन करने के लिए लोग आते हैं, मंदिर के महंत अनिल दास के मुताबिक किदवंतियां है कि चतुर्भुज भगवान कलयुग में साक्षात प्रकट होकर अमोढ़ा के राजा जालिम सिंह के गायों का दूध पी जाते थे।

    चरवाहों के द्वारा पता लगाने पर राजा जालिम सिंह ने चतुर्भुज भगवान का पीछा किया तो चतुर्भुज भगवान पृथ्वी के अंदर समाने लगे। राजा ने खुदाई शुरू कराई तो नीचे से आवाज आयी की मैं तुमको पाषाण रूप में ही मिल सकूंगा। वहीं दिव्य रूप में चतुर्भुज भगवान पाषाण रूप में विराजमान हो गए। जो आज चतुर्भुजी भगवान के नाम से पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। यहां का दर्शन करने के बाद ही लोग अयोध्या राम लला का दर्शन करने जाते हैं।

    मंडल के तीनों जिलों के मंदिरों का पर्यटकीय विकास होगा। मखौड़ाधाम, श्रींगीनारी, वशिष्ठ आश्रम आदि स्थानों को विकसित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 12 मंदिरों पर पर्यटकीय विकास होने जा रहा है। पर्यटकों व श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला, यात्री शेड, इंटरलाकिंग, पेयजल और शौचालय, लाइट आदि की व्यवस्था सुदृढ़ की जाएगी। सीएंडडीएस को कार्य सौंपा गया है। परीक्षण रिपोर्ट के बाद कार्य शुरू कराए जाएंगे।

    -विकास नारायण, जिला पर्यटन अधिकारी, बस्ती व संतकबीरनगर