बरेली : सर्दी में BP-डायबिटीज के मरीज हुए बेहाल! 10% तक बढ़े केस, हार्ट अटैक-फालिज का खतरा
सर्दियों में बीपी और डायबिटीज के मरीजों को खास ध्यान रखना चाहिए। ठंड से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ती हैं, जिससे बीपी बढ़ सकता है। शारीरिक गतिविधि कम होने से ब्लड शुगर लेवल भी बढ़ सकता है। नियमित जांच, गर्म कपड़े, सक्रिय जीवनशैली और स्वस्थ भोजन से बचाव संभव है। किसी भी बदलाव पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
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प्रतीकात्मक चित्र
अनूप गुप्ता, जागरण, बरेली । बढ़ती सर्दी बीपी और डायबिटीज को आंख दिखाने लगी है। इससे इन दोनों के मरीजों की ओपीडी अभी से ही करीब 10 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। इसमें जरा सी लापरवाही का बड़ा खामियाजा न भुगतना पड़े, इसे लेकर चिकित्सक भी लगातार सतर्क कर रहे हैं। डाक्टरों का कहना है कि डायबिटीज को खासकर सर्दी में नियंत्रित न रखा गया तो इसका असर दिल के साथ दिमाग पर पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
तापमान गिरने से रक्त वाहिनियों सिकुड़ने लगती है और कम पानी पीने से रक्त गाढ़ा होने से उसका प्रवाह भी प्रभावित होता है, जिससे बीपी की दिक्कत बढ़ना भी लाजिमी है। नियमित चेकअप और उसके अनुसार दवाइयां लेने से खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।स्वास्थ्य विभाग के गैर संचारी रोग (एनसीडी) विभाग में इस समय बीपी और शुगर का चेकअप कराने वाले मरीजों की काफी संख्या है।
यहां सितंबर में 1938 लोगों की ओपीडी की गई थी, जिसमें 415 डायबिटीज और 305 लोगों बीपी से पीड़ित मिले थे। नवंबर में 1563 लोगों का चेकअप करने के बाद 214 और 230 बीपी के मरीजों का परीक्षण करने के बाद उन्हें दवाइयां उपलब्ध कराई गईं। जबकि नवंबर में अब इन मरीजों की संख्या में करीब 10 प्रतिशत की बताई जा रही है।
यह तो सिर्फ सरकारी आंकडें हैं, जबकि इस समय निजी अस्पतालों में भी इन मर्ज से पीड़ितों की काफी संख्या बढ़ रही है। अभी दिसंबर और जनवरी में कड़ाके की सर्दी के बीच इन बीमारियों से ग्रसित रोगियों को और भी ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत होती है। जिला अस्पताल में एनसीडी क्लीनिक के जनरल फिजीशियन डा. मनोज कुमार गुप्ता बताते हैं कि इस समय मरीजों को खास एहतियात बरतने की जरूरत होती है।
इसका बड़ा कारण ये है कि इस समय शरीर से पसीना कम निकलता है और सर्दी की वजह से खून की नसें भी स्वाभाविक तौर से सिकुड़ना शुरू हो जाती है। डायबिटीज के मरीजों में शर्करा की मात्रा अधिक होने से वह खून में गाढ़ापन ला देता है। इससे रक्त प्रभाव प्रभावित होने से ब्लड प्रेशर भी बढ़ना शुरू हो जाता है। इस मौसम में इसकी जरा सी भी अनदेखी मरीजों के लिए बड़ी दिक्कत का सबब भी बन सकती है। हालांकि इससे घबराने के बजाय नियमित तौर से जांच कराएं और डाक्टर की सलाह पर डाइट चेंज करने के साथ दवाओं का नियमित तौर से सेवन भी करना चाहिए।
हार्ट अटैक और फालिज का खतरा भी बढ़ जाता
शुगर और बीपी के साथ जो लोग ह्दयरोग से पीड़ित हैं, उन्हेें इस मौसम में हार्ट अटैक का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। डीएम कार्डियोलाजिस्ट डा. मनाजिर इकबाल का कहना है कि इस समय मरीज को नियमित तौर से जांच करानी चाहिए, क्योंकि कई बार मरीज की नसें पहले से ही काफी ब्लाकेज होती है और खून गाढ़ा होने से उसमे दबाव और बढ़ जाता है। ऐसे में रोगी फालिज और हार्टअटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। रोगी के खून को कितना पतला या गाढ़ा रखना है, यह जांच के बाद ही मालूम हो सकता है, क्योंकि दोनों ही स्थितियां घातक हैं।
इंसुलिन की दवा बाहर तीन से चार सौ की, सरकारी फ्री
चिकित्सकों का कहना है कि आमतौर पर डायबिटीज को दो श्रेणी में रखा गया है। पहला टाइप-वन और दूसरा टाइप-टू। टाइप-टू के मरीजों के लिए तो अब काफी एडवांस दवाइयां आ गई हैं और बहुत ही कम मामलों में ही उन्हें इंसुलिन की दवा देने की जरूरत पड़ती है, जबकि टाइप-वन के मरीजों की शुगर नियंत्रित रखने के लिए अक्सर इंसुलिन दिया जाता है। खास बात ये है कि इंसुलिन खरीद पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती। कम आमदनी वालों के लिए हर दिन की 300 से 400 रुपये का खर्च उठाने में पसीना छूटना स्वाभाविक ही है। हालांकि जिला अस्पताल में यह दवा फ्री है। इसके लिए मरीज को सिर्फ आधार लाना जरूरी है।
इन बातों का रखें ध्यान
- -ठंड में लोग कम चलते हैं, जिससे डायबिटीज के मरीजों के लिए शुगर संभालना मुश्किल हो जाता है। सर्दियों में बाहर निकलने की प्रवृत्ति कम हो जाती है, जिससे शारीरिक व्यायाम की कमी हो जाती है।
- -इस मौसम में अक्सर गरम और तैलीय भोजन का सेवन बढ़ जाता है। ये खाने की चीजें कैलोरी और फैट्स में अधिक होती हैं, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसानदेह हो सकती हैं।
- -शरीर की गर्मी बनाए रखने के लिए अधिक खाने की आदत भी घातक है। ठंड में शरीर को गर्म रखने के लिए ज्यादा खाने का मन करता है, जिससे शुगर के स्तर बिगड़ सकता है।
- - सर्दी में त्वचा सूखने की समस्या बढ़ सकती है, और सूखी त्वचा का डायबिटीज़ के मरीजों पर अतिरिक्त प्रभाव पड़ सकता है, जैसे इन्फेक्शन का खतरा।
- - इन्फ्लूएंजा और सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियां आम हो जाती हैं, जिनसे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है और शुगर लेवल बिगड़ सकता है।
सर्दी बढ़ने के साथ जिला अस्पताल के एनसीडी में भी मरीजों की संख्या बढ़ रही है। ओपीडी में करीब 10 प्रतिशत मरीजों ज्यादा आ रहे हैं। उनका नियमित चेकअप करने के बाद आवश्यक दवाएं दी जा रही हैं। इंसुलिन की वाइब भी अस्पताल में निश्शुल्क उपलब्ध है।
-डा. मनोज कुमार गुप्ता, जनरल फिजीशियन, एनसीडी
इस समय डायबिटीज और बीपी के रोगियों का अपना खास ख्याल रखने की जरूरत है। हल्का गुनगुना या सामान्य पानी को समुचित मात्रा में पीते रहे। व्यायाम करें और खानपान का भी ध्यान रखें। इसके अलावा सबसे ज्यादा जरूरी है कि मरीजों को इस समय नियमित चेकअप कराने के साथ दवा खानी चाहिए।
-डा. वागीश वैश्य, वरिष्ठ फिजीशियन
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