Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'वो छोड़के यूं बढ़ा जाता है, जैसे मेरा...', Munawwar Rana के निधन पर भावुक हुए वसीम बरेलवी- पंक्तियों में छलका दर्द

    By Jagran NewsEdited By: Vinay Saxena
    Updated: Mon, 15 Jan 2024 12:28 PM (IST)

    अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर प्रो. वसीम बरेलवी बोले मुनव्वर राणा दुनिया से जल्दी चले गए। सामान्य तौर पर गजल इश्किया इजहार के लिए जानी जाती थी। इससे इतर उन्होंने मां व अन्य रिश्तों को भी गजल के माध्यम से प्रस्तुत किया जोकि यादगार रहेगा। उनकी कलम को भुला पाना किसी के लिए भी संभव नहीं है। उन्होंने दैन‍िक जागरण से अपना दर्द साझा किया।

    Hero Image
    मुनव्वर राणा के निधन पर प्रो. वसीम बरेलवी हुए भावुक।- फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, बरेली। शायर मुनव्वर राणा के निधन पर प्रो. वसीम बरेलवी भावुक हो गए। रविवार रात उन्होंने दैन‍िक जागरण से अपना दर्द साझा किया। फोन पर कहा कि मुनव्वर राणा के साथ दर्जनों बार मंच साझा किया। हर बार उनके स्नेह को महसूस किया। वो देर से मंच पर आए मगर, अमिट छाप छोड़ी। उनके जाने से उर्दू-साहित्य का बड़ा नुकसान हुआ है। उन्हें याद करते हुए बोले- 'वो मुझे छोड़के यूं आगे बढ़ा जाता है, जैसे अब मेरा सफर खत्म हुआ जाता है।'

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'उनकी कलम को भुला पाना संभव नहीं'  

    अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर प्रो. वसीम बरेलवी बोले, मुनव्वर राणा दुनिया से जल्दी चले गए। सामान्य तौर पर गजल इश्किया इजहार के लिए जानी जाती थी। इससे इतर उन्होंने मां व अन्य रिश्तों को भी गजल के माध्यम से प्रस्तुत किया, जोकि यादगार रहेगा। उनकी कलम को भुला पाना किसी के लिए भी संभव नहीं है।

    यह भी पढ़ें: Munawwar Rana Shayari: मुनव्वर राणा के वे शेर और शायरियां, जिन्होंने मुनव्वर को किया मशहूर… क्या आपने भी कभी पढ़ी?

    मुनव्वर राणा के शहर आगमन का संस्करण सुनाते हुए उन्होंने कहा कि कुछ वर्ष पहले वह यहां आए थे। हम दोनों लोग टहलते हुए कचहरी के पास पान की दुकान तलाश रहे थे। कुछ दूर जाकर दुकान मिली, मुन्नवर राणा पान खाकर रुपये देने लगे। उन्हें ऐसा करता देख मैंने रोका तो उन्होंने तुरंत सुधार किया। कहने लगे, माफ करिए, इस शहर में तो आपका सिक्का चलता है। वो गंभीर बात को भी बड़े सहज शब्दों में कह जाते थे। शहर में उनका कई बार आना हुआ। देश के अन्य हिस्सों और विदेश में भी उनके साथ मंच साझा किए, जोकि यादगार बने रहेंगे।

    यह भी पढ़ें: Munawwar Rana: '...कि सपना खत्म होता है', मुनव्वर राना के न‍िधन से दुखी अखि‍लेश यादव, कही ये बात