सुधर जाओ वरना पैदल घर जाओ! बार-बार चालान कटाने वालों की अब गाड़ियां होंगी जब्त, RTO सख्त
बरेली में बार-बार चालान कटवाने वालों की अब खैर नहीं. आरटीओ ने सख्त कदम उठाते हुए ऐसे वाहन चालकों की गाड़ियां जब्त करने का फैसला किया है. लगातार याताया ...और पढ़ें

प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददाता, बरेली। मंडलीय सड़क सुरक्षा समिति के सचिव प्रणव झा ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए गांव-गांव सुरक्षात्मक उपाय किए जाएंगे। इसके लिए मंडल की सभी 4017 ग्राम पंचायतों में ग्राम सड़क सुरक्षा समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। समितियां दुर्घटना बाहुल्य स्थलों को चिह्नित कर रिपोर्ट देंगी।
दस हजार रुपये से कम लागत से सुधारात्मक कार्य ग्राम पंचायत स्तर से कराए जाएंगे। उससे ऊपर के सुधारात्मक कार्यों के लिए सड़क सुरक्षा समिति के माध्यम से शासन से बजट मंगाकर उपलब्ध कराया जाएगा। सोमवार को जागरण विमर्श में उन्होंने दुर्घटनाओं से बचाव के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी दी।
सजग रहने की जरूरत
संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन प्रणव झा ने बताया कि इसके अलावा लोगों को खुद भी सजग रहने की जरूरत है कि वह यातायात नियमों का पालन करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। आमतौर पर देखा जाता है कि चालान की बार-बार कार्रवाई होने के बावजूद चालक रोड सेफ्टी के नियमों को नहीं मानते।

इतना ही नहीं, पकड़े जाने पर वह अपनी पूरी ऊर्जा को प्रभाव दिखाने में लगा देते हैं, लेकिन वह यह भूल जाते हैं कि सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करके वह खुद अपनी और अपनों की जान बचा रहे हैं। उन्होंने कोहरे में सड़क हादसों और गलत दिशा में दौड़ाने वालों के कारण होने वाले हादसों को नियंत्रित करने के बारे में जानकारी दी।
सितारगंज हाईवे पर अवैध कट
उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को लेकर अगर स्टेट रैंकिंग की बात करें तो हादसों का आंकड़ा 12.6 प्रतिशत वृद्धि हुई है जबकि मंडल में यह बढ़ोतरी सिर्फ 2.1 प्रतिशत ही दर्ज हुई है। बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को लेकर उन्होंने कहा कि इसमें पीछे कई बड़ी वजह है। इसमें एक कारण हाईवे के गलत डिजाइन को लेकर भी सामने आया है।
खासकर पीलीभीत जिले में सितारगंज हाईवे पर कई जगहों पर अवैध कट बनाए गए हैंं। इससे यहां हादसों की काफी संख्या है। शायद यही वजह है कि मंडल में पीलीभीत सड़क हादसों को लेकर सबसे आगे है। उन्होंने कि सड़क हादसों को रोकने के लिए काफी चुनौतियां झेलनी पड़ रही हैं। अक्सर देखा जाता है कि तीन या उससे अधिक बार भी चालान होने के बावजूद लोग यातायात नियमों का पालन नहीं करते हैं।
दूसरों की जान आफत में डाल रहे चालक
वैसे तो अब सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से ई-चालन हो रहे हैं लेकिन मैनुअल चालान के दौरान सड़क नियमों को तोड़ने वाले लोग बचाव करने के लिए पूरी जी-जान लगा देते हैं। जबकि उन्हें यह समझना चाहिए कि हेलमेट, सीट बेल्ट या फिर रांग साइड में चलने से उन्हें और उनके परिवार को ही खतरा है। साथ ही ट्रैफिक रूल तोड़कर वह दूसरे वाहन चालकों की जान को भी आफत में डाल रहे है।
सड़क हादसों को रोकने के लिए क्या प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। इस पर एआरटीओ ने बताया कि इस बार ग्राम सड़क सुरक्षा समितियां बनाई जा रही हैं। यह समितियां उन जगहों को चिह्नित करेंगी, जहां पर सर्वाधिक हादसे हो रहे हैं। उसकी सूची तहसील से होते हुए जिला सड़क सुरक्षा समिति तक पहुंचेगी। इसके बाद उन जगहों पर रोड सेफ्टी के काम कराए जाएंगे, जिससे हादसों पर लगाम लगाई जा सके।
विभागों में समन्वय की कमी
सड़क हादसों को रोकने के लिए संभागीय परिवहन विभाग, पीडब्ल्यूडी और एनएचएआइ के बीच समन्वय की कितनी कमी दिखाई देती है, इस सवाल के जवाब में प्रणव झा ने बताया कि जिला और मंडल सड़क सुरक्षा समिति को और ज्यादा मजबूत बनाने की जरूरत है, क्योकि इन विभागों के बीच जब तक सही से तालमेल नहीं होगा, रोड सेफ्टी के काम कराने में अड़चन पैदा होगी।
बाइक से बाइक की टक्कर से हो जा रहीं ज्यादातर मौतें
आरटीओ प्रवर्तन ने बताया कि बताया कि सबसे ज्यादा हादसे और उसमें जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बाइकों की आपसी भिड़ंत से हो रही है। इसके बाद बाइक और कार, फिर बाइक और बस और सबसे कम बाइक और ट्रक की टक्कर से हो रही है। इससे जाहिर है कि सड़क हादसे के सबसे ज्यादा मामले छोटे वाहनों के आपस में टकराने से हो रहे हैं। हालांकि ट्रकों की ओवरलोडिंग को रोकने के लिए नियमित तौर चालान और उसके सीज करने की कार्रवाई भी की जाती है।

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