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    महिला का संघर्ष अाया कामः बेचा हुआ बेटा वापस मिला, पति का लखनऊ में इलाज

    By Amal ChowdhuryEdited By:
    Updated: Wed, 03 Jan 2018 08:22 AM (IST)

    बच्चा बेचने वाले हरस्वरूप का इलाज लखनऊ के केजीएमसी में होगा, उसके साथ तीन लोगों की टीम भी बरेली से भेजी गई है।

    महिला का संघर्ष अाया कामः बेचा हुआ बेटा वापस मिला, पति का लखनऊ में इलाज

    बरेली (जेएनएन)। बीमारी से तंगहाली के कारण बच्चा बेचने वाले हरस्वरूप को इलाज के लिए बरेली के प्रशासन ने वहां के जिला अस्पताल से लखनऊ के केजीएमसी भेज दिया है। एडवांस लाइफ सपोर्ट वाली विशेष एम्बुलेन्स हरस्वरूप को लेकर लखनऊ के लिए रवाना हो चुकी है। साथ में पिता नंदलाल और जिला अस्पताल के फार्मासिस्ट जावेद अख्तर सहित 3 लोगों की टीम भी भेजी गयी है। बच्चों की देखभाल और शिक्षा के लिए आशा ज्योति केंद्र टीम ने भी ली हरस्वरूप से उसके परिवार की जानकारी ली, संरक्षण अधिकारी पहुंची थीं।

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    मामला उजागर होने पर सोमवार को सरकारी मशीनरी हरकत में आ गई। डीएम के निर्देश पर नवाबगंज के एसडीएम कुंवर पंकज और सीओ पीतमपाल सिंह हाफिजगंज गांव खोह ढकिया में हरस्वरूप के घर पहुंचे और पूरी जानकारी ली। 

    डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह तक जैसे ही यह खबर पहुंची उन्होंने बच्चे को ढूंढकर परिवार तक पहुंचाने का आदेश जारी किया। जिसके बाद प्रशासन भी हरकत में आया और मंगलवार को उन्होंने बच्चे को ढूंढ निकाला और अभिभावकों को सौंप दिया।

    इतना ही नहीं बच्चे के पिता हरस्वरूप का इलाज भी जिला अस्पताल में शुरू कर दिया गया है और डॉक्टरों की टीम ने उसका एक्स रे किया है। डॉक्टरों का कहना है कि वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे हैं और हरस्वरूप को बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

    गांव खोह ढकिया निवासी हरस्वरूप उसकी पत्नी अपने दो बच्चों के साथ गांव में रहता है। उत्तराखंड के खटीमा में मजदूरी के दौरान दीवार ढहने से उसके दोनों पैर खराब हो गए। तब से वह बिस्तर पर है। इस कारण उसका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। रविवार को उसने मीडिया के सामने परिवार का खर्च और कर्ज के बोझ उतारने के लिए बेटे को 42 हजार रुपये में बेचने की बात कही थी।

    गोद दिया तो कागज कहां गए: नवाबगंज एसडीएम ने बताया कि बच्चा बेचा नहीं। उसे गोद दिया। तहसील में गोद के कागज दिए हैं। प्रशासन के दावों पर उन्हीं के शब्द संदेह पैदा कर रहे हैं। जबकि, न तो पीड़ित परिवार के पास ही गोदनामा की प्रक्रिया का कोई कागज मिला और न ही प्रशासन के पास ही ऐसा कोई लिखित दस्तावेज है। जो शख्स खुद तीन माह से चलने तक को मोहताज है, वह 30 दिसंबर को आखिर तहसील कैसे पहुंचा।

    बच्चा बरामद करने के निर्देश: सूत्रों के मुताबिक डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह ने नवाबगंज एसडीएम से पूरे मामले की रिपोर्ट मंगलवार दोपहर तक देने को कहा है। वहीं, बहेड़ी के एसडीएम व सीओ को बच्चा लेने वाले व्यक्ति की जानकारी कर बच्चे को बरामद करने और उसे हरस्वरूप के परिवार को सौंपने के निर्देश दिए।

    राशन कार्ड तक नहीं: हरस्वरूप के परिवार का राशन कार्ड तक नहीं बना है। न ही खेतीहर मजदूर के रूप में उसे मनरेगा के तहत कभी मजदूरी का कार्य मिला।

    लखनऊ में होगा ऑपरेशन: हरस्वरूप के पैर काम नहीं कर रहे हैं। उसकी सर्जरी होनी है। एसडीएम ने बताया कि हरस्वरूप को इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सर्जरी के लिए स्टीमेट बनवाया जाएगा। मुख्यमंत्री राहत कोष से पीड़ित की मदद की जाएगी। लखनऊ में ऑपरेशन कराया जाएगा।

    क्या कहते हैं अधिकारी: डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह ने बताया, हरस्वरूप के परिवार की मदद के लिए एसडीएम नवाबगंज को भेजा था। पूरी रिपोर्ट मांगी है। परिवार को सरकार से चल रही योजना के तहत आर्थिक सहायता दिलाई जाएगी। एसडीएम की रिपोर्ट के बाद इसके लिए प्रक्रिया की जाएगी। वहीं नवाबगंज के एसडीएम कुंवर पंकज कहते हैं, 30 दिसंबर को तहसील में गोदनामा लिखवाया गया था। कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्चे को गोद दिया गया। बेचने की बात गलत है।

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    समाजसेवियों ने मदद को हाथ बढ़ाए: भाजपा ब्रज प्रांत के क्षेत्रीय महामंत्री दुर्विजय के साथ अशोक सेवा संघ के संस्थापक भूपेन्द्र मौर्य पीड़ित के घर पहुंचे और आर्थिक मदद के रूप में साढ़े दस हजार रुपये दिए। वहीं, समाजसेवा मंच के अध्यक्ष नदीम शम्सी, महेश, शादाब न्याज, मुजाहिद, इम्तयाज आदि के साथ गांव पहुंचे। बताया कि गरीब मजदूर की मदद की जाएगी।

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