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सपा घमासानः शिवपाल ने अखिलेश की जगह गिनाएं मुलायम सरकार के काम

सपा में जाहिरा तौर पर भले ही कुनबे में मनमुटाव दूर होने का संदेश है लेकिन, कलह की आग अभी ठंडी नहीं हुई। इसका अहसास पार्टी की बरेली मंडलीय रैली करा गई।

By Nawal MishraEdited By: Published: Wed, 07 Dec 2016 09:38 PM (IST)Updated: Wed, 07 Dec 2016 11:42 PM (IST)
सपा घमासानः शिवपाल ने अखिलेश की जगह गिनाएं मुलायम सरकार के काम

बरेली (जेएनएन)। समाजवादी पार्टी में जाहिरा तौर पर भले ही कुनबे में मनमुटाव दूर होने का संदेश दिया जा रहा है लेकिन, कलह की आग अभी ठंडी नहीं हुई। इसका अहसास पार्टी की मंडलीय रैली करा गई। जिस अखिलेश सरकार के विकास कार्यों के बूते फिर से चुनाव जीतने की तैयारी है, सपा प्रदेशाध्यक्ष शिवपाल यादव ने उन मुख्यमंत्री का एक बार भी जिक्र नहीं किया। मौका भी आया तो मुलायम सिंह यादव सरकार की मिसाल देते रहे। उनका रुख भांपकर ही पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री के लिए मंच से चेतावनी जारी की।

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जिस तरह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चाचा अखिलेश यादव समेत कई मंत्रियों को पिछले दिनों बर्खास्त किया, उसकी कसक कहीं न कहीं बाकी रह गई। चाचा-भतीजे गले भले ही मिल चुके हैं लेकिन, दिल नहीं मिले।

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बरेली रैली प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री के बीच रिश्ते की कड़वाहट का अहसास कराती दिखी। मुख्यमंत्री नहीं आए तो रैली की कमान शिवपाल सिंह के हाथ में रही। नेताजी से पहले उनका सम्बोधन हुआ। अपने पंद्रह मिनट के भाषण में एक बार भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का नाम नहीं लिया। काम गिनाते हुए जब मुख्यमंत्री का नाम लेने की बारी भी आई तो श्रेय मुलायम सिंह यादव को देते दिखे। कहा कि जब-जब नेताजी मुख्यमंत्री बने तो उनकी कलम सबसे पहले किसान, व्यापारी, नौजवान और मुसलमानों के विकास को चली। इसके बाद उनका पूरा भाषण नोटबंदी पर केंद्रित हो गया। यह अपने में ही बड़ी बात है कि सपा जिन कामों के बूते फिर से सत्ता का दम भर रही है, चाहे वे लखनऊ में मेट्रो, एक्सप्रेस-वे का निर्माण, लैपटॉप वितरण, कन्या विद्या धन, फिर लोहिया आवास या फिर समाजवादी पेंशन हो, उसके लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का नाम नहीं लिया जाए। तब जबकि सरकार की तरफ से विपक्ष को चुनौती दी जा रही है कि इतने कामों को तोड़ बताओ।

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खैर शिवपाल सिंह के रवैये के बाद सोने पर सुहागा यह रहा कि सपा मुखिया का रवैया भी मुख्यमंत्री के खिलाफ दिखा। उन्होंने बर्खास्त किए गए शिवपाल सिंह और मंच पर मौजूद ओमप्रकाश सिंह का नाम लेकर कहा कि इन मंत्रियों का काम नये बनाए गए मंत्रियों से ज्यादा अच्छा था। संभवतया ऐसा उन्होंने शिवपाल सिंह का मूड भांपने के बाद ही किया। नेताजी मंच से मुख्यमंत्री की नौकरियां नहीं देने के लिए आलोचना भी कर गए।

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