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    राजस्थान, हरियाणा, पंजाब में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के कई मामले मिले पॉजिटिव

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 08:48 PM (IST)

    अफ्रीकन स्वाइन फीवर राजस्थान के करौली में फैल गया है। आईवीआरआई ने नमूनों में पुष्टि की है और रिपोर्ट भेजी है। जुलाई में पंजाब हरियाणा में भी मामले आए थे। यह वायरस तेजी से फैलता है सुअरों की मृत्यु दर बहुत अधिक है। मनुष्यों पर इसका कोई असर नहीं है। अधिकारियों को दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

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    तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण

    जागरण संवाददाता, बरेली। सुअरों के लिए जानलेवा अफ्रीकन स्वाइन फीवर राजस्थान के करौली जिले में फैल रहा है। वहां से भारतीय चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान आए पांच नमूनों में इसकी पुष्टि हुई है। चार दिन पहले संस्थान ने इसकी रिपोर्ट राजस्थान भेज दी।

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    जुलाई में पंजाब, हरियाणा के कुछ स्थानों के नमूनों में भी अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि हुई थी। उनकी रिपोर्ट भी भेजी जा चुकी है।

    बर्ड फ्लू के बाद अब सुअरों में होने वाली गंभीर बीमारी अफ्रीकन स्वाइन फीवर के मामले भी पाजिटिव आ रहे हैं। राजस्थान के करौली व जयपुर, हरियाणा के डाची, और पंजाब के संगरूर जिलों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के केस पाजिटिव मिले हैं।

    इसकी पुष्टि होने के साथ ही इससे संबंधित गाइडलाइन जारी की जा रही है। संस्थान के विज्ञानियों ने बताया कि जुलाई में अलग-अलग तिथियों पर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से पांच-पांच नमूने आए थे।

    सबसे पहले पंजाब, इसके बाद हरियाणा के नमूनों की जांच हुई, जिसमें अफ्रीकन स्वाइन फीवर पाया गया। इसके बाद राजस्थान के करौली से आए नमूनों की जांच की गई थी। अफ्रीकन स्वाइन फ्रीवर वायरस अत्याधिक तेजी से फैलता है।

    इसकी चपेट में अन्य सुअर न आ जाएं, इसलिए संक्रमितों को अलग रखने की सलाह दी गई है। इस वायरस से संक्रमित 90 प्रतिशत सुअरों की मौत हो जाती है। संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि पांच वर्ष पहले देश में सबसे पहले अफ्रीकन स्वाइन फीवर के मामले सामने आए थे।

    अलग-अलग स्थानों पर वायरस की पुष्टि होने लगी। सुअरों के बीच तेजी से फैलने वाला यह वायरस अन्य पालतू पशुओं को भी प्रभावित करता है। एएसएफ वायरस से होने वाला यह रोग सीधे पशु संपर्क या दूषित भोजन, सासेज या कच्चे मांस के माध्यम से फैलता है।

    इससे संक्रमित पशु को तेज बुखार, उल्टियां होती हैं। इसके अलावा भूख न लगना, कमजोरी, त्वचा में लालिमा, दस्त, और सांस लेने में दिक्कत होती है। अफ्रीकन स्वाइन फीवर अन्य पशुओं में न फैले, इसलिए संक्रमित पशु को मार भी दिया जाता है।

    उन्होंने बताया कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर सिर्फ पशुओं में फैलता है। इस वायरस का मनुष्यों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं है। हालांकि, अभी तक जिले में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से संक्रमित कोई भी सुअर नहीं मिला है।

    राजस्थान के करौली के साथ ही बीते एक माह में जयपुर हरियाणा के डाची, पंजाब के संगरूर में भी अफ्रीकन स्वाइन फीवर के मामले सामने आए हैं। आइवीआरआइ की पशु रोग शोध एवं चिकित्सा संस्थान की लैब में अफ्रीकन स्वाइन फीवर की पुष्टि होने पर अंतिम रिपोर्ट नौ अगस्त को करौली भेजी गई। साथ ही संबंधित क्षेत्र के पशु चिकित्सा अधिकारियों इसकी गाइडलाइन से भी अवगत करा दिया गया।

    - डॉ. त्रिवेणी दत्त, निदेशक, IVRI 

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