बच्चों में बढ़ रहे निमोनिया के मामले: छाती में दर्द, सांस लेने में दिक्कत हो सकती है जानलेवा; जानें लक्षण और बचाव
निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है जिसके मुख्य लक्षण हैं: छाती में दर्द, कंपकपी, सूखी खांसी, थकान और साँस की तकलीफ। नवजात शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से खतरा अधिक होता है। गंभीर निमोनिया होने पर ही अस्पताल में भर्ती की जरूरत होती है।
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जिला अस्पताल में भर्ती
जागरण संवाददाता, बरेली। बदलते मौसम के साथ ही कफ-कोल्ड और निमोनिया के मरीज भी बढ़ने लगे हैं। गंभीर रूप से निमोनिया पीड़ित बच्चों को भर्ती भी करना पड़ रहा है। इस समय जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में हर दिन आठ से 12 बच्चे भर्ती हो रहे हैं। बुधवार को भी इनकी संख्या 10 रही। चिकित्सकों ने बच्चों का खास ख्याल रखने का सुझाव दिया है। कहना है कि छोटे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा नहीं होती है इसलिए उन्हें निमोनिया होने का खतरा ज्यादा रहता है। हालांकि सर्दी-खांसी के मरीजों की संख्या में कुछ कमी आई है।
इस मौसम में निमोनिया का खतरा काफी बढ़ जाता है। जिला चिकित्सालय के डाक्टरों का कहना है कि नवजात या काफी छोटे बच्चों में फैट काफी कम होता है। ऐसे में उनके शरीर का तापमान जल्द ही घटता-बढ़ता रहता है। इसके अलावा उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली भी पूरी तरह से विकसित नहीं होती। ऐसे में उन्हें सर्दी-खांसी के साथ निमोनिया होने का खतरा काफी ज्यादा हो जाता है।
बाल रोग विशेषज्ञ डा. संदीप गुप्ता का कहना है कि हर दिन ओपीडी में तमाम मरीज ऐसे आते हैं, जिसमें कफ कोल्ड या निमोनिया से ग्रसित बच्चे होते हैं। हालांकि इन सभी को भर्ती करने की जरूरत नहीं होती है। केवल सीवियर यानी गंभीर रूप से पीड़ित बच्चों को ही भर्ती करने की जरूरत पड़ती है। उन्हें उनकी बीमारी की स्थिति के आधार पर एक से पांच दिन तक भर्ती रखा जाता है।
इधर, जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में बुधवार को 11 बच्चे भर्ती मिले, जिनका निमोनिया का इलाज चल रहा था। उधर स्वास्थ्य विभाग ने निमोनिया की स्क्रीनिंग तेज करने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि स्क्रीनिंग करने के साथ उन्हें तत्काल इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है।
फेफड़ों का एक संक्रमण है निमोनिया
निमोनिया फेफड़ों का एक संक्रमण है जो आमतौर पर कवक, बैक्टीरिया या वायरस के कारण होता है और एक या दोनों फेफड़ों में सूजन का कारण बनता है। जिससे खांसी, ठंड लगना, बुखार और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। अधिकांश शिशुओं में निमोनिया का इलाज घर पर किया जा सकता है और यह दो से तीन सप्ताह के भीतर ठीक हो जाता है, लेकिन शिशुओं में यह बदतर हो सकता है, जिससे वे बहुत बीमार हो सकते हैं।
बीमारी की शुरुआत को रोकने के लिए शिशुओं को निमोनिया के टीके लगाने की सलाह दी जाती है। निमोनिया के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक भिन्न हो सकते हैं, जो संक्रमण पैदा करने वाले रोगाणु के प्रकार, आपके बच्चे की उम्र और समग्र स्वास्थ्य जैसे कारकों पर निर्भर करते हैं।
निमोनिया के कुछ ये हैं लक्षण
- छाती में दर्द
- बुखार, पसीना आना या कंपकपी वाली ठंड लगना
- सूखी खांसी
- थकान
- मतली, दस्त या उल्टी
- मांसपेशियों के दर्द
- सांस की तकलीफ
- तेज धड़कन
निमोनिया के गंभीर होने पर ही बच्चों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है, वरना ओपीडी करने की ही जरूरत पड़ रही है। अभिभावकों से बार-बार कहा जाता है कि इस वे इस मौसम में अपने बच्चों का खास ख्याल रखें।
- डा. संदीप गुप्ता, बाल रोग विशेषज्ञ, जिला अस्तपाल
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