भारत की 'सबसे धीमी' परियोजना? 90% बैराज बनने के बाद 6 साल से काम बंद, रामगंगा प्रोजेक्ट पर ग्रहण!
बरेली और बदायूं में रामगंगा बैराज सिंचाई परियोजना का काम बजट की कमी के कारण 6 साल से रुका है। 630 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद भी, 90% बैराज निर्माण क ...और पढ़ें
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रामगंगा बैराज बदायूं सिंचाई परियोजना
कमलेश शर्मा, जागरण, बरेली। रुहेलखंड में बरेली और बदायूं के सैकड़ों गांवों को रामगंगा की बाढ़ से बचाने और सिंचाई के लिए नहरों का जाल बिछाने के लिए चौदह साल पहले शुरू हुई रामगंगा बैराज बदायूं सिंचाई परियोजना पर 630 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। बैराज का काम 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है। 57.85 किमी नहरों की खोदाई भी कराई जा चुकी है, लेकिन बजट के अभाव में छह साल से काम ठप पड़ा है।
परियोजना पूर्ण कराने के लिए अब भी 1554.50 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। पुनरीक्षित बजट का प्रस्ताव केंद्रीय जल आयोग में लंबित है। बताया जा रहा है कि इस महीने होने वाली आयोग की बैठक में परियोजना की दिशा तय होगी। परियोजना 630 करोड़ की थी, जो बढ़कर 2154 करोड़ की हो चुकी। बावजूद इसके बजट नहीं मिल रहा।
जीवनदायिनी रामगंगा नदी में हर साल बाढ़ आने पर सैकड़ों गांव प्रभावित होते हैं। हजारों बीघा फसल बर्बाद हो जाती है। तटवर्ती गांवाें के मकान भी कटकर सैलाब में समा जाते रहे हैं। वर्ष 2010 में आई बाढ़ ने बरेली और बदायूं दोनों जिलों में तबाही मचाई थी। तब प्रदेश में बसपा की सरकार थी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने जन प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से रिपोर्ट मंगाने के बाद रामगंगा पर बैराज बनाकर बाढ़ की समस्या का स्थायी समाधान और नहरों की खोदाई कर खेतों की सिंचाई की व्यवस्था कराने के लिए बदायूं सिंचाई परियोजना बनवाई। इंजीनियरों ने महीनों सर्वे के बाद किसानों को दोहरा लाभ पहुंचाने के लिए रामगंगा पर बैराज बनाने और दोनों जिलों में नहरों का जाल बिछाने का प्रस्ताव तैयार किया।
शासन स्तर पर मंथन के बाद 2011 में बजट का आवंटन कर कार्य शुरू करा दिया गया। बैराज निर्माण के साथ नहरों की खोदाई भी शुरू कराई गई। अभी परियोजना अधूरी थी कि सत्ता परिवर्तन हो गया और परियोजना डंप हो गई। हर वित्तीय वर्ष में बजट की डिमांड भेजी जाती रही, लेकिन बजट आवंटन नहीं हो सका।
परियोजना में अब तक हुए कार्यों की बात करें तो बैराज में पानी संकलित करने के लिए 26 किमी बांध का निर्माण कराया जाना है, जिसमें से 24 किमी का निर्माण कराया जा चुका है, लेकिन दो किमी का काम अब भी अधूरा है। बैराज का निर्माण 90 प्रतिशत हो चुका है, 10 प्रतिशत काम अभी बाकी है।
669.30 किमी नहरों की खोदाई की जानी है, जिनमें से अब तक 57.85 किमी ही नहरों की खोदाई कराई जा सकी है। अभी 611.45 किमी नहरों की खोदाई का काम बाकी है। खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए बरेली और बदायूं में 885 पुल और पुलिया का निर्माण कराया जाना है, जिनमें से अब तक 69 पुल ही बनाए जा सके हैं।
अब भी 816 पुलों का निर्माण कराया जाना है। 630.04 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन 1554.50 करोड़ रुपये की और जरूरत है। बजट के अभाव में वर्ष 2019 से काम ठप पड़ा है। अब 2184.54 करोड़ रुपये का पुनरीक्षित बजट का प्रस्ताव केंद्रीय जल आयोग को भेजा गया है।
परियोजना अगर मानकों पर खरी उतरी तो प्रधानमंत्री सिंचाई परियोजना में शामिल हो जाएगी, लेकिन मानक पर खरी नहीं उतरी तो प्रदेश सरकार की कैबिनेट में स्वीकृति मिलने के बाद प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी। बताया जा रहा है कि इसी महीने केंद्रीय जल आयोग की बैठक प्रस्तावित है, इस बैठक में लिए जाने वाले निणर्य पर ही इस अधूरी परियोजना का भविष्य तय होगा।
बदायूं सिंचाई परियोजना में तीन चौथाई काम हो चुका है। बैराज का काम 90 प्रतिशत कराया जा चुका है। पिछले छह वर्षों से बजट नहीं मिल पाने से काम बंद पड़ा है। 2019 से लगातार डिमांड भेजी जा रही है, लेकिन कोई बजट आवंटित नहीं हुआ। केंद्रीय जल आयोग को पुनरीक्षित बजट का प्रस्ताव भेजा गया है। इसी महीने आयोग की बैठक होने की जानकारी मिली है। मानक पर खरा उतरने पर इसे प्रधानमंत्री सिंचाई परियोजना में शामिल किया जा सकता है। यह शासन स्तर पर चल रहा है, जो भी दिशा निर्देश मिलेगा उसी के अनुरूप आगे कार्य कराया जाएगा।
- धर्मेंद्र वर्मा, अधिशासी अभियंता, बदायूं सिंचाई परियोजना
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