युवाओं में तेजी से बढ़ रहे किडनी रोग! जानें लक्षण, कारण और 5 गलतियां जो कर रही हैं किडनी फेलियर
युवाओं में किडनी रोग (High Creatinine, यूरिया) तेज़ी से बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों की चेतावनी: असंतुलित जीवनशैली, ज़्यादा नमक और पेनकिलर का अत्यधिक सेवन ...और पढ़ें
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प्रतीकात्मक चित्र
जागरण संवाददता, बरेली। हाल के वर्षों में उत्तर भारत में किडनी संबंधी रोगों के मरीजों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। पहले जहां यह बीमारी मुख्यतः बुज़ुर्गों में पाई जाती थी, वहीं अब 25–45 वर्ष के युवाओं में भी हाई क्रिएटिनिन, यूरिया और हाई ब्लड प्रेशर से जुड़े किडनी विकार तेजी से सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, असंतुलित जीवनशैली, ज्यादा नमक का सेवन, दर्दनाशक दवाओं का अत्यधिक उपयोग और पानी कम पीना इस बढ़ोतरी के बड़े कारण हैं।
आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. संजीवन स्वामी का कहना है कि अधिकतर मरीज तब अस्पताल पहुंचते हैंं, जब स्थिति काफी बिगड़ चुकी होती है।किडनी के शुरुआती लक्षण बहुत बार नज़रअंदाज़ कर दिए जाते हैं।जैसे पैरों में हल्की सूजन, भूख कम लगना, बार-बार उल्टी या उबकाई आना, पेशाब कम होना और लगातार थकान।
यदि इन संकेतों को समय रहते पहचान लिया जाए तो किडनी को और खराब होने से बचाया जा सकता है। विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि सिरदर्द, बुखार या शरीर में दर्द में बार-बार पेनकिलर लेने से किडनी की फिल्ट्रेशन क्षमता कम होती है। कई मरीज बिना डाक्टर की सलाह के एनएसएआइउी दवाएं लंबे समय तक ले रहे हैं, जो किडनी फेलियर का बड़ा कारण बन रहा है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार, शुरुआती चरण में किडनी रोगों को सही आहार, जल सेवन, हर्बल प्रोटोकाल और जीवनशैली सुधार से नियंत्रित किया जा सकता है। डा. संजीवन के अनुसार कई मरीजों में तीन से चार सप्ताह में क्रिएटिनिन स्तर में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। सबसे बड़ी गलती यह है कि मरीज देर से इलाज शुरू करते हैं।
यदि लक्षण शुरुआती स्तर पर पकड़ लिए जाएं तो कई बार डायलिसिस की नौबत आने से रोकी जा सकती है। विशेषज्ञों ने अपील की है कि अधिक नमक, पैक्ड फूड और कोल्ड ड्रिंक्स से बचें। पेनकिलर का प्रयोग केवल आवश्यकता पर करें। धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएंं। हर रोज कम से कम दो से तीन लीटर पानी पीना चाहिए।

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