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    लेबर रूम का रहस्य: जुड़वा बच्चे या सिर्फ बेटी? 5 लोगों ने दबा रखा है बच्चे के 'गायब' होने का राज

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 01:00 PM (IST)

    बरेली के जिला महिला अस्पताल में एक प्रसूता को जुड़वा बच्चे होने के बाद एक बच्चे के गायब होने का मामला सामने आया है। परिजनों ने बच्चे को गायब करने का आ ...और पढ़ें

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    सुरेश बाबू और राजेश्वरी देवी

    अनूप गुप्ता, जागरण, बरेली। जिला महिला अस्पताल में आठ दिसंबर की शाम को राजेश्वरी देवी के जुड़वा शिशु हुए थे या एक बेटी ही पैदा हुई थी, इसका राज सिर्फ पांच लोगों के बीच छिपा है। इसमें राजेश्वरी का प्रसव कराने वाली दोनों चिकित्सक, रेडियोलाजिस्ट, नर्स व वार्ड ब्वाय शामिल हैं। मामले की जांच कर रहीं स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. पुष्पलता समी की ओर से सभी को नोटिस जारी करने की तैयारी है, ताकि इनके लिखित बयान लिए जा सके। सीएमएस डा. त्रिभुवन प्रसाद ने बताया कि जांच पूरी होने में समय लगेगा, लेकिन सच्चाई सामने आएगी।

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    फरीदपुर के गांव जिगरेना निवासी सुरेश बाबू ने गर्भवती पत्नी राजेश्वरी देवी को आठ दिसंबर को जिला महिला अस्पताल में भर्ती कराया था। अस्पताल का स्टाफ उन्हें लेकर लेबर रुम में गया और कुछ देर बाद सुरेश की गोद में एक बेटी लाकर सौंप दी। यह देखकर सुरेश बाबू चौक गए, क्योंकि राजेश्वरी देवी दो अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट हुई थी।इसमें एक अल्ट्रासाउंड राजेश्वरी के 26 सप्ताह की गर्भवती होने पर निजी लैब में कराया था, जिसमें जुड़वा शिशु होने व एक की सांस चलने की जानकारी दी गई। दूसरा अल्ट्रासाउंड राजेश्वरी के 34 सप्ताह की गर्भवती होने पर जिला महिला अस्पताल में कराया गया था। इसमें भी जुड़वा शिशु की जानकारी दी गई, लेकिन प्रसव के बाद एक बेटी मिलने पर शक हुआ कि उसके एक शिशु को कहीं गायब तो नहीं कर दिया गया। इसको लेकर वह उलझन में आ गया। डाक्टरों व अन्य कर्मचारियों के आगे गिड़गिड़ाने लगा।

    गठित कमेटी कर रही मामले की जांच

    मामले की जांच को वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. पुष्पलता समी के नेतृत्व में टीम गठित की जा चुकी है। प्रथम द़ृष्टया टीम ने राजेश्वरी देवी के प्रसव के दौरान ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक डा. सीमा सिंह, रेडियोलाजिस्ट डा. चंद्रपाल सिंह, डा. इला, स्टाफ नर्स रंजीता पाल और वार्ड ब्वाय को जांच के दायरे में लिया है। जांच अधिकारी की ओर से जल्द ही इन सभी पांचों लोगों से लिखित बयान लिए जाएंगे। साथ ही यह जानने की कोशिश भी की जाएगी कि अल्ट्रासाउंड में जब जुड़वा शिशु दिखाई दे रहे हैं तो प्रसव के बाद एक बेटी क्यों दी गई?

    यह थी अल्ट्रासाउंड की दोनों रिपोर्ट

    सुरेश बाबू ने पत्नी राजेश्वरी देवी का तीन सितंबर को भुता के ही एक निजी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराया था। इसकी रिपोर्ट में जुड़वा बच्चा होने व एक की सांस चलने की जानकारी दी गई। 14 नवंबर को जिला महिला अस्पताल में फिर से अल्ट्रासाउंड कराया तो उस रिपोर्ट में जुड़वा बच्चे होने की पुष्टि की गई, लेकिन आठ दिसंबर को महिला अस्पताल में राजेश्वरी के प्रसव के बाद एक ही बेटी दी गई।

    लेबर रूम से गर्भवती की सास को निकालने से गहराया शक

    जिला महिला अस्पताल में राजेश्वरी को प्रसव पीड़ा होने पर उनकी सास लेबर रूम में थीं, लेकिन कुछ देर बाद सास को थोड़ी देर लिए बाहर जाने को बोला। कुछ मिनट बाद जब वापस गई, तो उन्हें एक बेटी के जन्म की जानकारी दी गई। सवाल यह है कि महिला की सास को बाहर जाने के लिए क्यों बोला गया, जबकि प्रसव के दौरान घर की कोई महिला मदद के लिए साथ रह सकती है।

     

    मामले की जांच की जा रही है। प्रसव के समय तैनात चिकित्सक, रेडियोलाजिस्ट, स्टाफ नर्स और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लिखित बयान लिए जाएंगे। घटना से जुड़े दसरे साक्ष्यों को भी जुटाया जा रहा है। स्वजन को भी बुलाना है। सभी बिंदुओं को ध्यान में रखकर जांच की जा रही है।

    - डा. पुष्पलता समी, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ/जांच अधिकारी, जिला महिला अस्तपाल


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