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    इज्जतनगर बस अड्डा निर्माण: 5 साल से अटका 'पहिया', मार्च 2026 तक भी काम पूरा होना मुश्किल

    Updated: Tue, 25 Nov 2025 03:58 PM (IST)

    इज्जतनगर में बस अड्डे का निर्माण कार्य पांच वर्षों से रुका हुआ है। धीमी गति के कारण मार्च 2026 तक भी इसके पूरा होने की संभावना कम है। परियोजना को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा है, जिससे लागत भी बढ़ गई है। बस अड्डे के निर्माण में देरी से स्थानीय लोगों में निराशा है, जो आधुनिक बस अड्डे की सुविधा का इंतजार कर रहे हैं।€

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    इज्‍जतनगर में न‍िर्माणाधीन बस अड्डा

    कमलेश शर्मा, जागरण, बरेली। लग्जरी प्राइवेट बसों से प्रतिस्पर्धा करने के लिए परिवहन निगम एसी बसों की संख्या तो बढ़ा रहा है, लेकिन ढांचागत सुधार नहीं हो पा रहा है। घनी आबादी के बीच आ चुके पुराना बस अड्डा का लोड कम करने के लिए पांच साल से इज्जतनगर बस अड्डा का निर्माण अटक-अटक कर बन रहा है। काम तो छह महीना पहले मार्च में ही पूर्ण हो जाना था, लेकिन अब भी 44 प्रतिशत काम बाकी है।

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    इसके लिए बजट तो मिला है, लेकिन दो महीने में टेंडर की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो सकी है। गत दिवस निरीक्षण करने पहुंचे वन मंत्री को कार्यदायी संस्था के प्रतिनिधि ने आगामी मार्च तक कार्य पूर्ण कराने का भरोसा तो दिलाया था, लेकिन अधूरे काम अभी तक शुरू भी नहीं हो सके हैं। इसलिए मार्च तक कार्य पूर्ण हो पाना मुश्किल लग रहा है। पुराना बस अड्डा और सेटेलाइट बस अड्डा पर बसों का दबाव बढ़ने से शहर में जाम की स्थिति गंभीर होने लगी है।

    इस समस्या से उबरने के लिए जन प्रतिनिधियों और जिला प्रशासन ने पांच साल पहले 2020 में शहर के बाहर इज्जतनगर में नया बस अड्डा का प्रस्ताव शासन को भेजा था। प्रशासन ने इज्जतनगर में केंद्रीय कारागार की 2.285 हेक्टेयर भूमि परिवहन निगम को हस्तांतरित कराया। शासन से भी उसी वित्तीय वर्ष में 16.72 करोड़ रुपये की परियाेजना को मंजूरी दे दी, लेकिन बजट आवंटित नहीं किया गया।

    निर्माण कराने की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश स्टेट कंस्ट्रक्शन एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड को दी गई, लेकिन तीन साल तक बजट ही जारी नहीं हो सका। निगम और जिला प्रशासन की ओर से लगातार पत्राचार होते रहे, लेकिन परियोजना खटाई में पड़ती दिखने लगी थी। जन प्रतिनिधियों ने शासन स्तर पर पैरवी बढ़ाई तो अगस्त 2023 में तीन करोड़ रुपये का बजट आवंटित होने के बाद कार्य आरंभ हुआ। बजट खप जाने के बाद फिर बजट का इंतजार होने लगा। मार्च 2024 में दूसरी किस्त में दो करोड़ रुपये जारी हुए।

    फिर टेंडर कराकर काम शुरू कराया गया, हालांकि तीसरी किस्त में 3.90 करोड़ रुपये जल्दी मिल गए। 8.90 करोड़ रुपये की लागत से विहंगम भवन बनकर तैयार हो गया, लेकिन बजट के अभाव में काम ठप हो गया। पांच साल में 60 प्रतिशत काम ही हो सका है, 40 प्रतिशत काम अब भी बाकी है। इसमें फर्नीचर, परिसर में टायलीकरण और मेंटीनेंस के कार्य कराए जाने हैं। मार्च में काम पूर्ण कराकर बस अड्डा चालू कराने का दावा किया जा रहा था, लेकिन परियोजना अधर में लटक गई।

    आठ महीने से काम बंद है। अधूरे कार्यों को पूर्ण कराने के लिए दो महीना पहले सितंबर में शासन से 6.98 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया, लेकिन अभी तक टेंडर की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो सकी है। बजट का आवंटन होने पर वन एवं पर्यावरण मंत्री डा. अरुण कुमार ने निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक दीपक चौधरी, एआरएम अरुण कुमार वाजपेयी के साथ निरीक्षण कर कार्यदायी संस्था के अभियंता को मार्च से पहले कार्य पूर्ण कराकर हस्तांतरण कराने के निर्देश दिए थे।

    उन्‍होंने यह भी कहा कि इसी वित्तीय वर्ष में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इसका लोकार्पण कराया जाएगा। अब तक दोबारा काम ही शुरू नहीं हो सका है। कार्यदायी संस्था के अभियंता ने मार्च तक कार्य पूर्ण कराने का भरोसा तो दिलाया है, लेकिन इसके आसार नहीं दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि कार्य पूर्ण कराने के लिए आगामी जून तक का समय बढ़वाने की कोशिश की जा रही है।

    नए बस अड्डा से चार रूटों पर चलेंगी बसें

    निर्माणाधीन इज्जतनगर बस अड्डा से दिल्ली, मुरादाबाद, नैनीताल, पीलीभीत रोड पर बसों का संचालन कराने की कार्ययोजना बनी है। इससे पुराना बस अड्डा और सेटेलाइट बस अड्डा का लोड 50 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। इसी उम्मीद में पुराना बस अड्डा परिसर में ई-चार्जिंग सेंटर बनवाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। हालांकि अभी स्वीकृति नहीं मिल सकी है।

    रामगंगा किनारे चौबारी पर नए अड्डे की मिली मंजूरी

    शहर के पूर्वी हिस्से में रामगंगा किनारे चौबारी पर भी नया बस अड्डा बनवाने की सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है। भूमि चिह्नित कर परिवहन निगम को हस्तांतरित कराने की प्रक्रिया चल रही है। यह बस अड्डा बन जाने से बदायूं, कासगंज, मथुरा, आगरा, फर्रुखाबाद की तरफ से आने-जाने वाली बसों की भीड़ शहर में नहीं पहुंचेगी। इससे जाम की समस्या से राहत मिलेगी।

     

    इज्ज्जनगर बस अड्डा के निर्माण में विलंब हुआ है। भवन तो बन चुका है, लेकिन फर्नीचर, मेंटीनेंस, टायलीकरण का काम बाकी है। काम पूरा कराने के लिए बजट मिल चुका है। टेंडर की प्रक्रिया लगभग फाइनल हो चुकी है। कार्यदायी संस्था पर दबाव बनाया जा रहा है कि इसी वित्तीय वर्ष में कार्य पूर्ण हो जाए। हस्तांतरण के बाद यहां अधिकारी, कर्मचारियों की तैनाती की प्रक्रिया आरंभ होगी। इसके बाद दिल्ली, नैनीताल और पीलीभीत रूट पर बसों का संचालन कराया जाएगा।

    - दीपक चौधरी, क्षेत्रीय प्रबंधक परिवहन निगम


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