Independence Day: पति के बलिदान के बाद बेटे को अग्निवीर बना सेना में भेजा, वीर नारी ने बताया मकसद
गांव सिरोधी अंगदपुर के सिपाही टेकचन्द को ऑपरेशन पराक्रम के दौरान वीरगति मिली थी। पति के दुनिया से विदा होते ही बृजेश कुमारी पर दुख का पहाड़ टूट पड़ा। एक ओर पति को खोने का गम और दूसरी ओर गर्भ में पल बच्चे को जीवन देने की चिंता। मासूम बेटी का पालन पोषण करने का भार। लेकिन वीर नारी ने पति के बलिदान का मान रखते हुए संघर्ष शुरू किया।

बरेली, पीयूष दुबे। फौजी के साथ शादी करके वर्ष 2000 में जब बृजेश कुमारी मीरगंज के गांव सिरोधी अंगदपुर में पहुंचीं तो चारों ओर खुशियां थीं। देश सेवा करने वाले सैनिक से विवाह बंधन में बंधने वाली बृजेश कुमारी भी खुश थीं। पहली संतान के रूप में बेटी हुई तो घर किलकारियों से गूंज उठा। इसके करीब डेढ़ वर्ष बाद दोबारा गर्भवती हुईं तब भी घर-परिवार में खुशियां मनाई गईं। खासतौर पर फौजी पति टेकचन्द बेहद खुश थे। छुट्टियां खत्म हुई और वो वापस चले गए। 'ऑपरेशन पराक्रम' के दौरान शौर्य का परिचय देते हुए सिपाही टेकचन्द बलिदान हो गए।
बृजेश कुमारी पर टूट पड़ा दुख का पहाड़
बलिदानी पति के दुनिया से विदा होते ही बृजेश कुमारी दुख का पहाड़ टूट पड़ा। एक ओर पति को खोने का गम और दूसरी ओर गर्भ में पल बच्चे को जीवन देने की चिंता। डेढ़ वर्ष की बेटी का पालन पोषण करने का भार। लेकिन वीर नारी ने पति के बलिदान का मान रखते हुए संघर्ष शुरू किया। हर कदम पर संघर्ष करना पड़ा।
बेटा बढ़ाएगा देश का मान
मां की कोख में पल रहे हेमंत का जन्म पिता की मृत्यु के पांच माह बाद 13 दिसंबर 2022 को हुआ था, लेकिन वीर नारी बृजेश कुमारी ने ठान लिया लिया था कि बेटे को देश की रक्षा के लिए सेना में भेजना है और वो सपना उन्होंने सच कर दिखाया। बेटे का पालन पोषण इसी तरह से किया कि वह सेना जाकर पिता की तरह देश सेवा करके मान बढ़ाए।
अग्निवीर बनकर सेना में भर्ती हुआ बेटा
बेटे की उम्र 19 वर्ष पूरी हो पाई थी कि अग्निवीर सैनिक बनने के लिए भर्ती देखने के लिए भेज दिया। मां के संघर्ष में तपकर कुंदन बना बेटा पहली ही भर्ती में अग्निवीर के रूप में 25 दिसंबर वर्ष 2022 को सेना में भर्ती हो गया। इसके बाद प्रशिक्षण लिया और पासिंग आउट परेड के बाद घर पर पांच अगस्त को आ गए। अब बेटे को पोस्टिंग का इंतजार है, जिससे कि देश सेवा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ दे सके।
पति के बलिदान का वीर नारी को दुख तो बहुत है, लेकिन उनके शौर्य की वीरगाथा से मस्तक हमेशा गर्व से ऊंचा रहता है। मेरा सिर्फ एक बेटा है। अगर और बेटे होते तो उनको भी खुशी-खुशी सेना में भेजती, जिससे उनको भी पता लगता कि उनके पिता को अपने देश की माटी से कितना प्रेम था। महज 23 वर्ष की आयु में माथे का सिंदूर मिट गया, लेकिन उनके शौर्य से आज भी मेरा ललाट चमकता है। भारत माता की जय।- बृजेश कुमारी, वीर नारी
देश सेवा के लिए सर्वस्व न्योछावर करने से भी पीछे नहीं हटूंगा
अग्निवीर हेमंत कुमार ने कहा, पिता की वीर गाथा सुनकर बड़ा हुआ। देश में जहां गया, जब लोगों को पिता के बलिदान के बारे में पता हुआ तो उन्होंने इतना प्यार और सम्मान दिया कि उसे भुलाया नहीं जा सकता है। मां की इच्छा थी कि मैं भी फौजी बनकर देश की सेवा करूं। अब बदन पर सेना की वर्दी पहन ली है तो देश सेवा के लिए सर्वस्व न्योछावर करने से भी पीछे नहीं हटूंगा।
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