UP News: विवाहिता की गला काटकर हत्या में पति, सास-ससुर को फांसी की सजा
बरेली में एक विवाहिता की गला काटकर हत्या के मामले में पति सास-ससुर को फांसी की सजा सुनाई गई है। फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने मामले में तीनों को दोषी माना और उन्हें फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा है कि दोषियों को तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उनकी मौत न हो जाए। घटना एक मई 2024 की है।

जागरण संवाददाता, बरेली। दहेज की मांग पूरी नहीं होने पर पर पति ने अपने माता-पिता के साथ मिलकर पत्नी की गला काटकर हत्या कर दी। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने तीनों को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा है कि प्रेम-मुहब्बत में किसी की जान नहीं नहीं ली जाती। पति पत्नी का संबंध ही प्रेम-मुहब्बत पर चलता है।
मकसद अली ने जिस तरह से अपनी पत्नी की गला काटकर हत्या की, यह पति-पत्नी के संबंध पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। कोर्ट ने प्रेम के उदाहरण समझाने के लिए बाबा आदम और हव्वा, लैला-मजनू और शीरी-फरहाद की प्रेम कहानी का भी जिक्र अपने आदेश में किया है। इसके अलावा कई कविताओं का भी जिक्र किया है।
कोर्ट ने कहा है कि दोषियों को फांसी के फंदे पर तब तक लटकाया जाए जब तक उनकी मृत्यु न हो जाए। इसके साथ ही दोषियों पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। घटना एक मई 2024 की है, देवरनिया के रिछा निवासी मुसब्बर अली ने नवाबगंज थाने में प्राथमिकी लिखाई थी।
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कहा था कि उन्होंने अपनी बहन फराह की शादी करीब दो वर्ष पहले नवाबगंज के जयनगर मुहल्ला निवासी मकसद अली से की थी। शादी में उन्होंने दहेज स्वरूप बाइक समेत काफी सामान उपहार के तौर पर दिया। शादी के कुछ दिन बाद ही फराह का पति मकसद अली, ससुर साबिर अली, सास मसीतन उर्फ हमशीरन ने उनकी बहन को प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। कम दहेज का ताना देकर मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे।
दहेज में बुलेट और सोने के जेवरात की मांग करते थे। कोर्ट में मुसब्बर अली ने बयान दिया कि ससुरालियों की इस प्रताड़ना से कई बार उनकी बहन ससुराल से मायके आ गई। घटना से 10 दिन पहले ही ससुराल वाले उसे यह कहकर अपने साथ ले गए कि अब वह दहेज की मांग कभी नहीं करेंगे।
बांके से काटकर महिला की हत्या कर दी गई।- जागरण
मायके से फराह को भी काफी समझाकर भेजा गया। इसके बाद फिर फराह ने बताया कि मायके वाले दहेज की मांग कर अभी भी प्रताड़ित कर रहे हैं। उनके व्यवहार में कोई परिवर्तन नहीं आया। मुसब्बर का आरोप था कि एक मई, 2024 की शाम करीब चार बजे आरोपितों ने फराह की बांके से गला काटकर हत्या कर दी। जब वह मौके पर पहुंचे तो उनकी बहन का शव बिस्तर पर पड़ा था।
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गर्दन मात्र मामूली खाल से जुड़ी रह गई। बेरहमी से उसकी हत्या की गई। मामले में उन्होंने नवाबगंज थाने में प्राथमिकी लिखाई। सरकारी वकील दिगम्बर सिंह ने कोर्ट में आठ गवाह पेश किए। फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने मामले में पति मकसद अली, ससुर साबिर अली व सास मसीतन उर्फ हमशीरन को फराह की हत्या का दोषी माना है। तीनों को फांसी की सजा सुनाई है।
कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि मुस्लिम समाज में निकाह को बहुत बड़ा पुण्य का कार्य माना गया है। हजरत मोहम्मद साहब का कथन है कि निकाह मेरी सुन्नत है, जो लोग जीवन के इस ढंग को नहीं अपनाते वह मेरे अनुयायी नहीं हो सकते।
कोमल न्याय देना समाज के लिए होता गलत संदेश कोर्ट ने टिप्पणी की है कि जिस तरह से दोषियों ने विवाहित की गला काटकर पशुवत तरीके से हत्या की उसमें साफ्ट जस्टिस अर्थात कोमल न्याय देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। कोर्ट ने कहा है कि दहेज की मांग में किसी बहू की हत्या की जाती है ते उसकी प्रत्येक व्यक्ति को निंदा करनी चाहिए।
यदि यह सिद्ध हो जाए कि हत्या दहेज के लिए की गई तो दोषियों को कठोरतम दंड दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि एक बार महिलाओं में आर्थिक स्वतंत्रता आ जाएगी तब दहेज रूपी बुराई का अपने आप स्वाभाविक रूप से अंत हो जाएगा। इसके लिए कोर्ट ने पश्चिमी देशों का उदाहरण दिया। बताया कि, पश्चिमी देशों में शायद ही कोई बात सुनाई देती हो, क्योंकि वहां पर महिलाएं शिक्षित एवं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं।
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