नवजात को बिना राइस टयूब से कैसे दी जा सकेगी ऑक्सीजन Bareilly News
नवजात शिशुओं की जीवन रक्षा के लिए अब महंगे वेंटीलेटर की जरूरत नहीं होगी। नवजात को बिना ट्यूब डाले बाहर से ही ऑक्सीजन दी जा सकेगी।
जेएनएन, बरेली : नवजात शिशुओं की जीवन रक्षा के लिए अब महंगे वेंटीलेटर की जरूरत नहीं होगी। नवजात को बिना ट्यूब डाले बाहर से ही ऑक्सीजन दी जा सकेगी। इंडियन पीडियाटिक्स एकेडमी की स्थानीय शाखा की ओर से आइएमए भवन में आयोजित जोनल निओकॉन 2019 में डॉ. गिरीश अग्रवाल व डॉ. अतुल अग्रवाल ने ये जानकारी दी।
नॉन इनवेसिव वेंटीलेशन का उद्देश्य
कार्यशाला के दूसरे दिन उन्होंने बताया कि नेशनल निओ नेटोलॉजी फोरम इस सुविधा को जल्द ग्रामीण स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचाने के प्रयास में है। इसका उद्देश्य नॉन इनवेसिव वेंटीलेशन यानी बिना ट्यूब डाली मशीन लगाए बाहर से नवजात को ऑक्सीजन देने की जानकारी देना है। 50 डॉक्टरों को ट्रेनिंग भी दी गई।
15 फीसद शिशु मृत्यु दर कम करने में सहायक
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. एस मनाजिर अली ने बताया कि देश में हर साल 270 लाख बच्चों का जन्म होता है। इनमें से दस लाख बच्चे मृत पैदा होते हैं। एक हजार में से 39 बच्चे मौत के मुंह में समा रहे। प्रदेश में यह आंकड़ा 27 प्रति एक हजार है। मां का दूध करीब 15 फीसद तक शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए सहायक है। प्रीमेच्योर व कम वजन के बच्चों में सबसे बड़ी समस्या सांस नहीं ले पाने की होती है। दिमाग तक ऑक्सीजन न पहुंचना मौत का कारण बन जाता है।
सही टीके से शिशु की मौत की संभावना कम
लखनऊ के केजीएमयू के निओ नेटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. एसएन सिंह बताया कि प्रीमेच्योर बच्चों के फेफड़े सिकुड़े होते हैं। इससे सांस लेने में दिक्कत होती है। गर्भवती को छह या सात माह में दर्द, पानी का स्राव होने पर एंटी नेटल कारटिको स्ट्राइड इंजेक्शन लगाने चाहिए।
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