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    Bareilly News: आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्‍ट ट्रैक से डीएल जारी करने में फर्जीवाड़ा, बिना कार चलाए ही 10 चालक पास

    By Ankit ShuklaEdited By: Vivek Bajpai
    Updated: Sun, 27 Nov 2022 10:06 AM (IST)

    Fraud in Automatic Driving Test Track Bareilly आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक में आवेदक का टेस्ट शुरू होने से पहले आवेदक को एक आरएफआइडी कार्ड (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन) दिया जाता है। इसे स्कैन करने के बाद ही टेस्ट शुरू होता है। यह सभी आवेदकों की अलग-अलग होती है।

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    मुख्‍यालय को गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट भेज दी गई है। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

    बरेली, (अंकित शुक्‍ला)। Fraud in issuing driving License: परसाखेड़ा स्थित आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक से ड्राइविंंग लाइसेंस जारी करने में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज से पता चला कि एक ही दिन में 10 ऐसे आवेदकों को लाइसेंस जारी कर दिया गया, जिन्‍होंने कार चलाई ही नहीं। एक ही कार ट्रैक पर घूमती रही और आवेदकों के लाइसेंस जारी होते रहे। वहीं सुपर वाइजर इन आरोपों को गलत बता रहा है।

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    आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक का संचालन राजस्‍थान की फर्म मेसर्स राईज टैक साफ्टवेयर प्रा. लि. व न्यू लुक स्टेनलेस प्रा. लि. द्वारा किया जा रहा है। एजेंसी पर रुपये लेकर टेस्ट में पास करने का आरोप लगाया गया। मामले में जांच शुरू हुई तो आरोप सही मिले। परिसर में लगे सीसीटीवी फुटेज में एक दिन में एक ही गाड़ी पूरे ट्रैक पर घूमती दिखाई दी। इस गाड़ी में न तो कोई चढ़ा न ही कोई उतरा। इसके बाद भी 10 अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण कर दिया गया।

    परिवहन विभाग की जांच में पकड़ी गई गड़बड़ी 

    बता दें कि आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक में आवेदक का टेस्ट शुरू होने से पहले आवेदक को एक आरएफआइडी कार्ड (रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन) दिया जाता है। इसे स्कैन करने के बाद ही टेस्ट शुरू होता है। यह सभी आवेदकों की अलग-अलग होती है। जांच के दौरान सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासन मनोज सिंह, आरआइ टेक्निकल मानवेंद्र प्रताप सिंह व डीबीए आदित्य कुमार की जांच में स्पष्ट हुआ कि एक ही गाड़ी से ट्रैक पर कई टेस्ट दिए गए।

    एक ड्राइवर ने ही पास कर दी सभी की परीक्षा

    सीसीटीवी फुटेज में न तो कोई इस वाहन से उतरता दिखाई दिया और न ही कोई चढ़ता हुआ। पहली बार वाहन में बैठे हुए व्यक्ति द्वारा ही कई लोगों की परीक्षा दे दी गई। आरएफआइडी कार्ड को हर राउंड में केवल स्कैन किया गया। इसके अलावा जांच के दौरान कार्यालय में मौजूद तीन कर्मचारियों के पास नामित फर्म की ओर से कोई भी अधिकृत पत्र व आइडी नहीं मिला।

    मुख्यालय भेजी गई जांच रिपोर्ट, वीडियो फुटेज

    आरटीओ कमल गुप्ता ने बताया कि जांच में नामित फर्म द्वारा कई खामियां मिली हैं। सभी साक्ष्य व जांच रिपोर्ट को मुख्यालय भेजा गया है। इसके अलावा वीडियो फुटेज को संकलित करके उसे भी भेज दिया गया है। तमाम खामियां मिलने के बाद भी नामित फर्म टेस्ट ले रही है। एआरटीओ प्रशासन मनोज सिंह ने बताया कि फर्म को शासन की ओर से नामित किया गया है। उसे कार्य से रोकने आदि का कार्य भी मुख्यालय स्तर से ही होगा।

    सुपरवाइजर बोला, सभी आरोप निराधार

    नामित फर्म के सुपरवाइजर दशरथ लांबा ने बताया कि लगाए गए आरोप निराधार हैं। साफ्टवेयर से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। हां, एक गाड़ी से कई लोगों ने टेस्ट दिए हैं, यह बात सही है। बताया कि कई बार आवेदक एक साथ एक गाड़ी लेकर टेस्ट देने आते हैं, ऐसी स्थिति में एक ही गाड़ी से कई आवेदक टेस्ट देते हैं। वीडियो फुटेज में भी कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।