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    बिल पर 'खरीदी', नशे के लिए 'बिकी': लाखों की कोडीन सीरप का स्टॉक जीरो!

    Updated: Fri, 05 Dec 2025 03:00 AM (IST)

    खाद्य एवं औषधि प्रशासन की जांच में सामने आया 97 लाख रुपये के कोडीनयुक्त सीरप का बड़ा घोटाला। बिलों पर दवा खरीदी, पर न स्टॉक मिला न बिक्री के वाउचर। नश ...और पढ़ें

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    प्रतीकात्‍मक च‍ित्र

    अनूप गुप्ता, जागरण, बरेली। कोडीनयुक्त खांसी के सीरप समेत अन्य नारकोटिक दवाओं की बिलों पर जमकर खरीद की गई, लेकिन उसका स्टाक और बिक्री के दस्तावेज नहीं मिले। कारोबारियों ने दवाएं मंगाई और उन्हें लाखों की हेरफेर कर ठिकाने लगा दिया। खाद्य एवं औषधि प्रशासन की जांच में सब खुल गया। चूंकि कोडीनयुक्त सीरप और अन्य नारकोटिक दवाओं का बड़े पैमाने पर अवैध रूप से इस्तेमाल नशा के लिए भी किया जाता है, ऐसे में इसके बिक्री में जमकर खेल किए जाने की आशंका जताई जा रही है।

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    इसी मामले में फंसी एक्सट्रीम हेल्थ साल्यूशन नाम की फर्म ने जिस तरह से गाजियाबाद की एक कंपनी से सालभर में 97 लाख रुपये के कोडीनयुक्त सीरप की खरीद की लेकिन उसके पास इसका कोई स्टाक न मिलना और बिक्री के भी बिल न दिखा पाना, यह साफ कर रहा है कि फर्म ने बिल-बाउचर्स पर खरीद दिखाई और दवाओं को ठिकाने लगवा दिया। कोडीनयुक्त और नारकोटिक दवाओं के कारोबार में हेराफेरी का खेल कोई नया नहीं है। पहले भी इसे मामलों में कई दवा कारोबारी फंस चुके हैं और उनसे कड़ी पूछताछ भी की जा चुकी है।

    दरअसल, इन दवाओं का प्रयोग अवैध रूप से नशे के लिए भी होता है, इसलिए इसकी देश के तमाम हिस्सों के साथ बांग्लादेश तक इसकी काफी मांग रहती है। चूंकि इन दवाओं की खुलेआम बिक्री पर प्रतिबंध है, इसलिए जो भी फर्म इन दवाओं की बिक्री करेगी, उन्हें क्रय-विक्रय के सभी बाउचर्स भी दिखाने पड़ेंगे। इसलिए इन दवाओं की अवैध बिक्री में शामिल कई दवा कारोबारी चोरी-छिपे इसकी खेप मंगवाते हैं। इतना ही नहीं, सारा लेनदेन बिल-बाउचर्स पर होता रहता है और दवाएं इन्हीं के जरिये ठिकानों पर लगाई जाती रहती हैं।

    खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने 20 और 21 नवंबर को इसी शक में तीन फर्मों की जांच शुरू कराई थी। इसमें फंसी गली नवाबान स्थित एक्सट्रीम हेल्थ साल्यूशन नाम की फर्म को लेकर जांच में ऐसी ही गड़बड़ी का खेल सामने आ चुका है। उसने गाजियाबाद की एक फर्म से करीब 97 लाख रुपये कीमत की 62,687 कोडीनयुक्त सीरप की बोतलों की खरीद की, सारा लेनदेन कागजों पर ही चला। जांच के दौरान मौके पर न तो कोई स्टाक मिला और न ही फर्म मालिक राहुल सभरवाल बिक्री के बिल-बाउचर्स दिखा सके।

    इतना जरूर है कि इन सीरप की खरीद के लिए पीलीभीत के बरखेड़ा की एक सूर्या मेडिकल स्टोर ने उन्हें 13 लाख रुपये का आनलाइन भुगतान है, लेकिन बाकी लाखों रुपये की खरीद का ब्योरा कहां है, इसका कोई पता नहीं चल सका है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि पकड़ी गई गड़बड़ी में खरीद का ब्योरा केवल एक साल का ही है, जबकि कारोबारी काफी समय से दवाओं की बिक्री कर रहा है।

    इससे यह खरीद-बिक्री इससे कई गुणा ज्यादा हो सकती है। बताते हैं कि यह तो मामला सामने आ चुका है लेकिन कई और भी दवा कारोबारी है, जो कोडीनयुक्त सीरप की खरीद-बिक्री कागजों पर ही कर रहे हैं। इसका कोई स्टाक न होने और बिक्री का भी दिखाई न देना उन पर शक पैदा नहीं होने देता है। जांच टीम की ऐसे कई और व्यापारियों पर भी नजर लगी हुई है।

    बांग्लादेश से भी जोड़ा जा रहा कारोबारियों का कनेक्शन

    नारकोर्टिस और कोडीन युक्त दवाओं की बिक्री की चेन बांग्लादेश तक जुड़ी है। प्रदेश में कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें इन दवाओं की खेप बांग्लादेश जाती हुई पकड़ी जा चुकी है। बताते हैं कि मंडल व आसपास के कई जगहों के दवा कारोबारियों के इसमें शामिल होने का शक काफी दिनों से है।

    यह दवाएं लखनऊ होते हुए कोलकाता के रास्ते बांग्लादेश पहुंचाई जाती है। चूंकि यह सारा खेल ट्रांसपोर्टरों से मिलकर होता है और उन्हें के जरिये इसकी खेप को चोरी-छिपे इधर-उधर भेज दी जाती है, इसलिए जांच टीम कई ट्रांसपोर्टरों के यहां भी पहुंचकर सुराग लगाने में जुटी है, ताकि इस खेल का राजफाश किया जा सके।

    कई कारोबारियों की लग चुकी दिल्ली तक परेड, पुरानी फाइलें खोलने की तैयारी

    नारर्कोटिक और कोडीन युक्त सीरप की बिक्री में पहले भी कई दवा कारोबारी फंस चुके हैं। करीब पांच साल पहले आठ दवा कारोबारियों के नाम भी इसमें उछले थे। जांच के लिए इन व्यापारियों की परेड दिल्ली तक लगवाई गई थी। धीरे-धीरे यह मामला ठंडा हो गया तो फाइलें भी दब गई। अब फिर से कोडीन वाले सीरप की बिक्री का प्रकरण गरमा है तो पुराने मामला भी धीरे-धीरे दम भरता दिखाई देने लगा है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग अंदरखाने ऐसे मामलों की तह तक जाने की तैयारी कर रहा है।

    डाक्टर कम ही लिखते सीरप, फिर कहां खप रही लाखों की दवा

    कई चिकित्सकों से बात की गई तो उनका कहना है कि कोडीनयुक्त सीरप काफी कम ही लिखी जा रही हैं। इसलिए तमाम दुकानों पर भी यह सीरप काफी कम ही नजर आती है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कोडीनयुक्त सीरप काफी सीमित लिखी जा रही है और तमाम दुकानों पर भी यह सीरप आसानी से नहीं मिलती तो हर साल लाखों रुपये की इस दवा की खरीद कर कहां खपाया जा रहा है। बात दें कि यह सीरप किसी एमबीबीएस चिकित्सक के लिखने के बाद ही बेची जा सकती है। इसके साथ दुकानदार को इसका रिकार्ड भी रखना पड़ता है।

    अभी दो फर्मों की चल रही जांच

    कोडीनयुक्त सीरप की बिक्री की जांच में पवन फार्मास्युटिकल्स गली नवाबान और मैसर्स पवन फार्मास्युटिकल्स,माडल टाउन के नाम भी शामिल है। औषधि निरीक्षक राजेश कुमार ने बताया कि इन दोनों ही फर्मों से रिकार्ड मांगे जा रहे हैं। फर्म स्वामी पवन कोहली की ओर से बिल-बाउचर्स भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अभी यह कहना मुश्किल है कि इन दोनों फर्मों ने कोडीनयुक्त सीरप की बिक्री अवैध रूप से की है या नहीं। सभी रिकार्ड मिल जाने के बाद भी यह तय होगा कि फर्म पर क्या कार्रवाई की जानी है।

     

    एक्ट्रीम हेल्थ सोल्यूशन नाम की फर्म को लेकर पुलिस के साथ विभागीय जांच भी चल रही है। इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि व्यापारी ने कागजों पर ही क्रय-विक्रय दिखा दिया है। एफआइआर पहले ही दर्ज कराई जा चुकी है। पूरी जांच के बाद ही कुछ बताया जा सकता है।

    - संदीप कुमार, सहायक आयुक्त औषधि


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