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    जुड़वा बच्चों की मिस्ट्री: निजी अल्ट्रासाउंड पर कार्रवाई की तैयारी, महिला अस्पताल के स्टाफ की भूमिका संदिग्ध

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 09:22 PM (IST)

    बरेली प्रसव विवाद: दो अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में जुड़वा शिशु, पर डिलीवरी सिर्फ एक बच्ची की हुई। शिशु चोरी के संदेह में सरकारी अस्पताल के स्टाफ की भूमिका ...और पढ़ें

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    राजेश्वरी देवी और सुरेश बाबू

    जागरण संवाददाता, बरेली। प्राइवेट और निजी अस्ट्रासाउंड की रिपोर्ट में जुड़वा शिशु और जन्म एक बेटी का होेने का मामला अभी उलझा हुआ है। इसमें निजी अल्ट्रासाउंड संचालक का लाइसेंस निरस्त कराने की तैयारी है। जबकि जिला महिला अस्पताल की भूमिका की जांच अभी चल ही रही है। बहरहाल यह जांच पूरी न हो पाने से अब तक इस प्रकरण को लेकर स्थिति भी स्पष्ट नहीं सकी है।

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    हालांकि मंडलायुक्त इसमें जांच रिपोर्ट आने के साथ ही प्रसव के दौरान ड्यूटी पर तैनात स्टाफ की गतिविधियों को लेकर पूरी आख्या देने के निर्देश दिए है। फरीदपुर के गांव जिगरेना निवासी सुरेश बाबू ने गर्भवती पत्नी राजेश्वरी देवी को आठ दिसंबर को जिला महिला अस्पताल लाकर भर्ती कराया था।

    यहां महिला को अस्पताल का स्टाफ लेबर रूम में ले गया और थोड़ी देर बाद बाहर आने के बाद सुरेश की गोद में एक बेटी लाकर सौंप दी। जबकि सुरेश बाबू ने पत्नी राजेश्वरी देवी की इसी साल तीन सितंबर को भुता के बरेली अल्ट्रासाउंड सेंटर में जांच कराई थी। उस रिपोर्ट में बताया गया कि गर्भ में दो शिशु पल रहे हैं लेकिन उसमें एक की सांस चल रही है। बाद में आठ माह का शिशु होने पर 14 नवंबर को जिला महिला अस्पताल में फिर से अल्ट्रासाउंड कराया तो उस रिपोर्ट में जुड़वा शिशु होने की पुष्टि की गई।

    आठ दिसंबर को यहां महिला अस्पताल में जब राजेश्वरी का प्रसव हुआ तो स्टाफ ने एक ही बच्ची के जन्म होने की जानकारी दी गई। इसके बाद से ही सुरेश बाबू को शक है कि उनके एक शिशु को जिला महिला अस्पताल के स्टाफ ने ही चोरी करा दिया है। इस शिकायत के बाद मंडलायुक्त भूपेंद्र एस चौधरी ने इस प्रकरण में त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

    इधर, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भुता के अल्ट्रासाउंड सेंटर का लाइसेंस निरस्त करने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि इस सेंटर ने तो दो जुड़वा शिशु में एक की सांस लेने की पुष्टि की थी लेकिन शिशु के करीब आठ महीने में पूरे होने पर जिला महिला अस्पताल की रिपोर्ट में साफ तौर से दर्शाया गया था कि गर्भ में दो शिशु पल रहे है, लेकिन महिला अस्पताल में एक ही बेटी का जन्म हुआ।

    अब स्वास्थ्य विभाग की जांच टीम इस प्रकरण की जांच कर रही है। हालांकि इसमें जिला महिला अस्पताल की भूमिका भी संदिग्ध है, उसकी जांच कर अभी कार्रवाई होनी बाकी है। इसकी जांच मंडलायुक्त के भी निर्देश पर भी चल रही है।

    साक्ष्यों को इधर-उधर करने पर जताई चिंता

    पीड़ित पिता सुरेश बाबू को अब तक इस प्रकरण में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। जबकि जांच हुए हुई कई दिनों का समय बीत चुका है। सुरेश बाबू ने फोन पर बताया कि इस मामले में अब तक बयान के लिए उसे बुलाया ही नहीं गया है। समय बीतने के साथ उसे शक है कि कहीं साक्ष्यों को भी इधर-उधर न कर दिया जाए।

    इसे देखते हुए उन्होंने इसकी शिकायत पोर्टल के माध्यम से मुख्यमंत्री को भी भेजा है। उनका कहना है कि यह पूरा मामला काफी संदिग्ध है। इसलिए इसमें जल्द जांच होने जाएगी, ताकि जिला अस्पताल के अल्ट्रासाउंड सेंटर की रिपोर्ट में जो जुड़वा शिशु की जांच सामने आई है, उसमें मुताबिक, उसे एक बच्चा वापस मिलना चाहिए।

    निजी अल्ट्रासाउंड संचालन ने तोड़ा संपर्क

    भुता स्थित बरेली अल्ट्रासाउंड संचालक ने संपर्क तोड़ दिया है। उसके पर्चे पर जो दो मोबाइल पर उसमें एक नंबर बंद है और दूसरे पर फोन नहीं उठा रहा। ऐसे में संचालक से संपर्क नहीं हो सका है। इसलिए उसके पक्ष को भी शामिल नहीं किया जा सका है। बता दें कि तमाम अल्ट्रासाउंड सेंटर ऐसे हैं, जहां रेडियोलाजिस्ट ही नहीं है और इधर-उधर का स्टाफ अक्सर जांचें करता रहता है। यहां सवाल जिला अस्पताल के अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट को लेकर है। जहां बकायदा रेडियालाजिस्ट की तैनाती भी की जाती है।

     

    इस प्रकरण में जिला महिला अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक सहित अन्य स्टाफ की भूमिका की जांच कराई जा रही है। इसमें सभी पक्षों से अच्छी तरह वार्ता करने के बाद रिपोर्ट तैयार होगी, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि इसके पीछे सच्चाई क्या है।

    - भूपेंद्र एस चौधरी, मंडलायुक्त


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