Updated: Mon, 15 Sep 2025 10:05 PM (IST)
बरेली के एक एग्जिक्यूटिव क्लब के स्वीमिंग पूल में साढ़े तीन साल की बच्ची की डूबने से मौत हो गई। आरोप है कि स्वीमिंग पूल पर कोई लाइफ गार्ड नहीं था। बच्ची के माता-पिता के अनुसार बच्ची खेलते समय पूल में गिर गई। परिजनों ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। पुलिस का कहना है कि शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
जागरण संवाददाता, बरेली। पीलीभीत रोड स्थित एग्जिक्यूटिव क्लब के स्वीमिंग पूल में साढ़े तीन वर्ष की बच्ची की डूबने से मौत हो गई। स्वीमिंग पूल पर कोई भी लाइफ गार्ड नहीं होने के कारण बच्ची को बचाया नहीं जा सका। परिवार की ओर से पुलिस को शिकायती पत्र नहीं दिया गया है, लेकिन मासूम की मौत ने निजी तौर पर चल रहे स्वीमिंग पूल की व्यवस्थाओं को कठघरे में जरूर खड़ा कर दिया है।
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बारादरी थाना क्षेत्र के सिंधुनगर निवासी नमकीन कारोबारी हनी देवनानी पत्नी व बेटी माहिरा के साथ एग्जिक्यूटिव क्लब के स्वीमिंग पूल में गए थे। वहां पर नहाने के बाद मां चेजिंग रूम में चली गई, जबकि पिता फोन पर किसी से बात करने लगे। स्वजन के मुताबिक, माहिरा काफी चंचल स्वभाव की थी। वह पापा के पास जाना बताकर मां के पास से बाहर चली आई। बाहर आकर वह किसी तरह स्वीमिंग पूल में गिर गई। कपड़े बदलने के बाद मां बाहर आई और बच्ची के बारे में पूछा तो पिता ने बाहर नहीं आने के बारे में बताया। इस पर दोनों बच्ची को बाहर तक ढूंढ आए। फिर उन्होंने पूल में देखा तो बच्ची का शव उतराता मिला।
दोनों उसे लेकर तत्काल पास के एक मेडिकल कॉलेज पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। स्वजन का कहना है कि स्वीमिंग पूल में कोई लाइफ गार्ड नहीं था और वहां न ही सुरक्षा के कोई इंतजाम थे। घटना के वक्त यदि वहां कोई होता तो बच्ची की जान बच सकती थी।
स्वीमिंग पूल में यह होना अनिवार्य
आरएसओ चंचल मिश्रा के मुताबिक, किसी भी स्वीमिंग पूल को संचालित करने के लिए वहां पर कम से कम एक लाइफ गार्ड, लाइफ जैकेट, मेडिकल किट, बाउंड्रीवाल आदि होना अनिवार्य है। वहीं, इंस्पेक्टर बारादरी धनंजय पांडेय ने बताया कि जानकारी मिली थी कि स्वीमिंग पूल में बच्ची की डूबने से मौत हुई है। हमारे पास किसी भी तरह की कोई शिकायत नहीं आई है। यदि शिकायत आती है तो मामले में अग्रिम विधिक कार्रवाई की जाएगी।
स्विमिंग पूल : ये है नियमावली
खेल निदेशालय से पूल की अनुमति हो।
राष्ट्रीय या राज्य स्तर का खिलाड़ी कोच हो।
लाइफ गार्ड साई द्वारा प्रमाणित हो अथवा फौज या पीएसी से जुड़ा हो।
पूल में फिल्टर प्लांट हो, 24 घंटे में चार घंटे चले।
इंडोर या आउटडोर पूलों में पर्याप्त रोशनी हो। - आक्सीजन के साथ लाइफ सेविंग किट जरूरी।
पूल पर रजिस्टर मेंटेन हो, जिसमें हर तैराक का उल्लेख हो।
चेंजिंग रूम जरूर होना चाहिए।
पूल की गहराई की मार्किंग होनी चाहिए।
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