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    Bareilly News: बरेली में आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट का खेल, 120 सेंसर खराब, 40 से ज्यादा ने पास किया टेस्ट

    By Jagran NewsEdited By: Ravi Mishra
    Updated: Fri, 25 Nov 2022 08:41 AM (IST)

    Bareilly Automatic Driving Track Test Game बरेली में आटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक टेस्ट का खेल लोगों की शिकायत पर जांच के बाद सामने आया हैं। अधिकारियों ने जांच कराई तो वह एक दिन में 40 से ज्यादा से आवेदकों के टेस्ट में पास होने का आंकड़ा देख हैरान रह गए।

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    Bareilly News: बरेली में आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट का खेल, 120 सेंसर खराब, 40 से ज्यादा ने पास किया टेस्ट

    बरेली, जागरण संवाददाता। Bareilly Automatic Driving Track Test Game : बरेली के परसाखेड़ा स्थित आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक (Automatic Driving Track ) पांच हजार वर्ग मीटर में बनाया गया है। पारदर्शी व्यवस्था, केवल दक्ष चालक का ही ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License) बन सके इसके लिए बनाए गए ट्रैक पर कुल 250 सेंसर व सीसीटवी कैमरों को लगाया गया।

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    शासन की ओर से इसके संचालन की जिम्मेदारी मेसर्स राईज टैक साफ्टवेयर प्रा. लि. तथा न्यू लुक स्टेनलेस प्रा. लि. राजस्थान को दिया गया। चार जुलाई से इस ट्रैक पर टेस्ट देने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जा रहे थे। जुलाई से सितंबर माह तक एक दिन में अधिकतम तीन से चार लोग ही टेस्ट में पास हो पा रहे थे।

    जरा सी गलती होने पर सेंसर टेस्ट देने वाले अभ्यर्थी को फेल कर देता था। अक्टूबर माह से टेस्ट में उत्तीर्ण होने वालों की संख्या में वृद्धि होने लगी। इसके बाद अधिकारियों को शिकायत भी मिलने लगी। लोगों ने लिखित शिकायती पत्र देते हुए कहा कि टेस्ट पास कराने के नाम पर आठ हजार रुपये प्रति आवेदक लिया जा रहा है।

    29 अक्टूबर को अचानक 40 अभ्यर्थी पास होने पर अधिकारी अचंभित हो गए और मामले में जांच के आदेश आरटीओ कमल प्रसाद गुप्ता ने एआरटीओ प्रशासन (ARTO Administration) मनोज सिंह व आरआइ (टेक्निकल) मानवेंद्र प्रताप सिंह को जांच के आदेश दिए।

    शुरुआती जांच में ट्रैक पर लगे 250 सेंसर में 120 से अधिक सेंसर खराब मिले। अधिकारियों ने पूछा कि जब सेंसर ही खराब हैं तो इतने लोग उत्तीर्ण कैसे हो गए, इसका जवाब न तो एजेंसी के कर्मचारी दे सके, न ही एजेंसी का सुपरवाइजर दशरथ लांबा।-

    सरकारी सिस्टम में की सेंधमारी, कार्रवाई की तैयारी

    प्रदेश सरकार सभी जिलों में आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक स्थापित करने जा रही है। अभी तक यह व्यवस्था केवल कानपुर व बरेली में ही लागू है। आटोमेटिक सेंसरों से लेस व सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होने वाली परीक्षा में केवल दक्ष चालक की उत्तीर्ण होता था। ऐसे में विभाग की छवि भी साफ हो रही थी।

    इसके साथ ही दलालों का काम भी लगभग बंद हो गया था। दलालों ने प्रदेश सरकार की इस पारदर्शी व्यवस्था पर ट्रैक संचालन के लिए नामित एजेंसी के साथ सांठगांठ कर पूरे सिस्टम में ही सेंधमारी कर दी। शुरुआती जांच में ही एजेंसी के नामित कर्मचारियों, सुपरवाइजर की तमाम खामियां मिली हैं। अब इस मामले में नामित एजेंसी पर कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है।

    सरकार से एग्रीमेंट के नियमों का भी किया उल्लंघन

    सरकार के साथ राजस्थान की नामित फर्म के हुए एग्रीमेंट की शर्त का भी खुलेआम उल्लंघन जांच में मिला है। एजेंसी को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि आवेदकों का टेस्ट केवल सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक होगा। अधिक आवेदक होने व अन्य किसी प्रकार की समस्या पर अगर पांच बजे के बाद टेस्ट आदि किया जाना पड़ेगा तो आरटीओ या एआरटीओ प्रसाशन से इसके लिए अनुमति लेनी होगी। इसके बाद भी एजेंसी द्वारा कई बार बिना अनुमति लिए शाम छह से सात बजे के बीच लोगों को टेस्ट कराकर उन्हें पास किया गया।

    29 अक्टूबर को रात नौ बजे के बाद भी हुए टेस्ट

    जांच के दौरान एडीटीटी में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी गई तो उसमें 29 अक्टूबर की रात नौ बजे के बाद टेस्ट होता मिला। इसके लिए किसी भी अधिकारी से कोई अनुमति भी नहीं ली गई। यही नहीं वहां लगे सीसीटीवी कैमरों से छेड़छाड़ किए जाने की भी पुष्टि हुई है।

    सुपरवाइजर बोला नहीं लिए किसी से रुपये

    नामित फर्म के सुपरवाइजर दशरथ लांबा ने बताया कि दीपावली की छुट्टी के बाद 28 अक्टूबर को आरटीओ खुला था। टेस्ट के लिए काफी संख्या में लोग पहुंचे थे, लेकिन समस्या के चलते एक भी टेस्ट उस दिन नहीं हो सके थे, 29 अक्टूबर को सभी को एक साथ टेस्ट के लिए बुलाया गया था। काफी संख्या में टेस्ट हुए थे, किसी से कोई रुपया नहीं लिया गया है। अधिक लोग होने के कारण देर रात तक टेस्ट होते रहे।

    शुरुआती जांच में एडीटीटी में कार्यरत एजेंसी की ओर से तमाम खामियां मिली हैं। पूरे मामले की रिपोर्ट बनाकर उसे मय साक्ष्य के लखनऊ मुख्यालय भेजा जा रहा है। - कमल प्रसाद गुप्ता, आरटीओ बरेली