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    कंक्रीट के जंगल को कहें अलविदा! बरेली में बन रहा नार्थ इंडिया का शानदार 'ट्री-हाउस रिट्रीट'

    Updated: Sat, 13 Dec 2025 06:00 PM (IST)

    बरेली में उत्तर भारत का शानदार 'ट्री-हाउस रिट्रीट' बन रहा है, जो कंक्रीट के जंगल से दूर प्रकृति के करीब एक अनोखा अनुभव प्रदान करेगा। यह रिट्रीट बरेली ...और पढ़ें

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    सीबीगंज में वन व‍िभाग के इसी आरबोरेटम में वि‍कस‍ित होगा नगर वन

    कमलेश शर्मा, जागरण, बरेली। कंकरीट के जंगल (शहर) के मध्य प्राकृतिक वातावरण, पर्वतीय क्षेत्रों की तरह पेड़ों पर लकड़ी के घर (ट्री-हाउस) का लुत्फ लिया जा सकेगा। जंगल में योग और ध्यान लगाने की सुविधा मिलेगी। कुछ घंटे में ही परिवार के साथ पर्यटन का शौक पूरा किया जा सकेगा।

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    हम बात कर रहे हैं सीबीगंज के आरबोरेटम में विकसित किए जा रहे नगर वन की। ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए इस महत्वाकांक्षी परियोजना को सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है। 10 करोड़ रुपये की लागत से ईको फ्रेंडली कैफेटेरिया विकसित होगा। बच्चों के लिए पार्क भी विकसित किया जाएगा।

    वन विभाग के साथ पर्यटन विभाग, बरेली विकास प्राधिकरण व नगर निगम की भी सहभागिता रहेगी। जिले में वन क्षेत्र तो बहुत कम है, लेकिन शहर से सटे सीबीगंज का आरबोरेटम 30 हेक्टेयर क्षेत्र में संरक्षित किया गया है। इसमें चंदन, रुद्राक्ष, केवड़ा, शाल समेत श्रीलंका में पाई जाने वाली प्रजातियों के पेड़ उपलब्ध हैं।

    बांस की विविध प्रजातियां भी उपलब्ध हैं। ब्रिटिशकालीन दुर्लभ प्रजाति के पेड़ों को सहेजे इस वन क्षेत्र को ईको टूरिज्म के रूप में विकसित कराने की पहल खुद वन मंत्री डा. अरुण कुमार ने की है। उच्चाधिकारियों के स्तर पर मंथन के बाद अब तक जो खाका खींचा गया, उसके अनुरूप जगह-जगह ट्री-हाउस बनेंगे जो पर्यटकों का कौतुहल बढ़ाएंगे।

    जगह-जगह पेड़ों के ऊपर लकड़ी के घर बनाए जाएंगे। इसमें पर्यटक स्वजन के साथ पहुंचकर समय गुजार सकेंगे। इसमें लोगों के टहलने के लिए मार्ग तैयार किए जाएंगे। हर्बल और औषधीय पौधों की वाटिका विकसित की जाएगी। प्राचीन वृक्षों को लोग आसानी से पहचान सकें और उसके बारे में जानकारी कर सकें, इसके लिए उन वृक्षों पर विस्तृत जानकारी लिखी जाएगी।

    बनाए जाएंगे सेल्फी प्वाइंट

    सेल्फी प्वाइंट बनाए जाएंगे। बच्चों के खेलने के लिए किड्स प्ले एरिया भी बनाया जाएगा। मुख्य वन संरक्षक के निर्देशन में यहां वनस्पतियों पर शोध, प्रशिक्षण के लिए भी सेंटर विकसित किए जाएंगे। खास बात यह रहेगी कि वन क्षेत्र की भूमि पर पक्का निर्माण नहीं कराया जाएगा। कोई भी पेड़ काटा नहीं जाएगा।

    वन मंत्री की इस परियोजना में नगर निगम, बीडीए, पर्यटन विभाग की भी सहभागिता कराकर वन विभाग को डीपीआर तैयार कराने के लिए निर्देशित किया है। दावा है कि सब कुछ अनुकूल चल रहा है, डीपीआर बनाई जा रही है। वन मंत्री की सक्रियता को देखते हुए माना जा रहा है कि जल्द ही परियोजना धरातल पर उतर आएगी।

    चिड़ियाघर बनाने के प्रस्ताव को नहीं मिल सकी मंजूरी

    सीबीगंज के वन क्षेत्र में कुछ साल पहले चिड़ियाघर बनाने का भी प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन अपेक्षित जगह नहीं मिल पाने के कारण इसे मंजूरी नहीं मिल सकी थी। विगत वर्षों में यहां मियावाकी वन विकसित कराया गया। अब नगर वन विकसित कराने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसे दुर्लभ प्रजाति के वृक्षों को संरक्षित कराने के साथ पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। नाथ कारिडोर का काम पहले से चल रहा है, नगर वन से आस्था के साथ पर्यटन को जोड़ने की परिकल्पना को भी बल मिलेगा।

     

    यूपी ईको टूरिज्म की मीटिंग में नगर वन परियोजना को सैद्धांतिक सहमति मिल गई है। 10 करोड़ रुपये की लागत से परियोजना को मूर्त रूप देने की कार्ययोजना बनी है। वन विभाग के अलावा पर्यटन विभाग, बीडीए और नगर निगम की भी इसमें सहभागिता रहेगी। डीपीआर तैयार कराई जा रही है। जल्द ही प्रक्रिया पूर्ण कराकर डीपीआर शासन को भेजी जाएगी।

    - दीक्षा भंडारी, डीएफओ

     

    सीबीगंज में नगर वन विकसित होने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। स्वजन के साथ पर्यटक यहां समय बिता सकेंगे। प्राकृतिक वातावरण में लोगों को टहलने के अलावा योगा और ध्यान लगाने का भी उपयुक्त स्थान मिल जाएगा। इसमें पर्यटन विभाग की ओर से ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।

    - रवींद्र कुमार, उप निदेशक पर्यटन


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